अनगिनत भावों के
मिश्रण से बनी
सृष्टि की सबसे अनमोल रचना
सृष्टि की प्रतीक हूं मैं
कहीं सर्द कही ऊष्ण
कहीं ठोस कही नम
कहीं तम कही प्रकाश
कहीं जल कही थल
कहीं अश्रु कही मुस्कान
कहीं उर्वर कही शुष्क
कहीं श्वेत कही श्याम
कहीं जन्मदायिनी कही संहारक
कहीं बिंदु कही अनंत
कहीं धरती कही अन्तरिक्ष
हाँ सृष्टि ही तो हूँ मैं
-ललिता करमचंदानी