Thursday, November 7, 2024
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लक्ष्मण शक्ति एवं कुम्भकरण वध की लीला देखने को उमड़ा जनसैलाब

फिरोजाबाद। श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति के तत्वावधान में रविवार को रामलीला में मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण को शक्ति बाण मारना, हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूंटी लाना, सुषेन वैद्य के उपचार से लक्ष्मण जी का ठीक होना, कुम्भकरण वंध की लीला का मंचन किया गया।
रविवार को जैसे ही रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण का डोला पहुंचता है। वैसे ही रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है। रावण द्वारा शांति का प्रस्ताव ठुकराने पर भगवान श्रीराम युद्व के लिए सेना को आदेश देते है। लंका में श्रीराम की वानर सेना एवं रावण की सेना के बीच भीषण युद्ध प्रारंभ हो जाता है। युद्ध में रावण क्रोधित होकर अपने पुत्र मेघनाथ को युद्ध करने के लिए भेजता है, मेघनाद से राम दल का संघर्ष प्रारंभ होता है। मेघनाथ लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार करता है। जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं, लक्ष्मण को उठाने के लिए जैसे ही मेघनाथ झुकता है। तब हनुमानजी वहां पर पहुंचते हैं और उसको एक मुष्ठी प्रहार कर हनुमान रामादल में लक्ष्मण जी को उठाकर ले आते हैं। श्री राम लक्ष्मण को मूर्छित देखकर बहुत परेशान होते हैं। राम विलाप करने लगते है और उनका जीवित करने का उपाय पूछते है। तभी विभीषण सुषेण वैध के बारे में बताते है और उनके उपचार से लक्ष्मण जी जीवित हो सकते है। लक्ष्मण के पुनर्जीवन प्रदान करने के लिए हनुमान लंका से सुषेण वैद्य को लाते है। सुषेण वैध लक्ष्मण की नाभि को देखते और कहते है सूर्यास्त से पहले संजीवनी बूंटी लानी होगी। तभी लक्ष्मण को जीवित किया जा सकता है। राम की आज्ञा पाकर लक्ष्ण संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत पर जाते है और उसके द्वारा बताई गई संजीवनी बूटी सहित द्रोणागिरी पर्वत को ही उठा ले आते हैं। पूर्व पर्वत खंड आकाश मार्ग से लाते समय हनुमान को अयोध्या पर से गुजरना होता है तब श्री भरत की निगाहें उन पर पड़ती हैं। भरत हनुमान पर बाण चला देते हैं हनुमान घायल अवस्था में पर्वतखंड सहित अयोध्या में उतरते हैं। हनुमान उस घायल अवस्था में राम जी के भाई भरत को श्रीराम और लक्ष्मण का हाल सुनाते हैं लक्ष्मण मूर्छित हैं सूर्योदय से पूर्व ही संजीवनी बूटी के उपचार से लक्ष्मण की मूर्छा दूर हो सकती है। भरत हनुमान जी को बाण पर बैठाकर जल्द ही लंका भेज देते है। और संजीवनी बूटी से सुषेण वैध लक्ष्मण जी का उपचार करते है और लक्ष्मण जी मूच्र्छा से उठकर बैठते है। वहीं हनुमान सकुशल सुषेण वैध को लंका छोड़ कर आते है। वहीं लक्ष्मण का जीवित होने का समाचार रावण को मिलता है तो वह क्रोधित होने लगता है। वही रावण अपने अनुज कुम्भकरण को जगाने का आदेश देता है। वहीं कुम्भकरण के जागने के बाद रावण उसे कहता है कि मुझे तुम्हारी युद्व में जरूरत है। वहीं कुम्भकरण भी रावण से कहता है भाई तुम ने जो सीता का हरण किया वह गलत है। कुम्भकरण और रावण में संवाद होता है और बड़े भाई की आज्ञा पाकर कुम्भकरण श्रीराम से युद्व करने चल देता है। कुम्भकरण द्वारा अपने पैरो ंके नीचे कई बानर सेना का कुचल देता है और श्रीराम का युद्व के लिए ललकारता है। राम के हाथों कुम्भकरण मारा जाता है। वहीं लीला को विराम दिया जाता है। वहीं श्रीराम की समिति द्वारा आरती उतारी जाती है।