⇒थाना प्रभारी व जाँच अधिकारी के अनुसार हत्यारोपी के आत्म समर्पण की तारीख अलग अलग।
⇒जाँच अधिकारी ने मृतक के बेटे से कहा कि आला कत्ल बरामद करवाओ।
⇒आरोपी की रिमाण्ड लेने से बचती दिख रही सजेती पुलिस।
⇒जाँच अधिकारी अलख निरंजन की भूमिका पर परिजनों ने उठाये सवाल।
कानपुरः जन सामना ब्यूरो। सजेती थाना क्षेत्र का एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें पीड़ित परिजनों ने पुलिसिया कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाया है और आरोपियों को बचाने का आरोप स्थानीय पुलिस पर लगाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कानपुर के बर्रा-6 निवासी राज कुमार सिंह अपने गांव कोहरा पारिवारिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने गये थे। इस दौरान गांव निवासी सुशील सिंह उन्हें अपने साथ ले गया और अपने घर में मरणासन्न कर दिया। मरणासन्न हालत में राज कुमार को पहले कानपुर के हैलट अस्पताल में भरती करवाया और स्थिति बिगड़ती देख बाद में लखनऊ स्थित एक प्राईवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान 27 नवम्बर 2019 को राज कुमार सिंह की मौत हो गई। सूचना पाकर लखनऊ पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाया और शव को परिजनों के हवाले कर दिया।
मृतक के बेटे रोहित सिंह की तहरीर के मुताबिक, 20 नवम्बर 2019 को गांव निवासी सुशील सिंह अपने साथ सजेती कस्बा में कुछ सामान खरीदने के लिये उनके पिता राज कुमार को ले गया। इसके बाद रात्रि में अपने घर ले गया। देर रात्रि तक राजकुमार अपने घर नहीं लौटे तो राज कुमार की पत्नी विद्या अपनी देवरानी नीता के साथ खोजते हुए सुशील सिंह के घर पहुंची तो राज कुमार सुशील के घर में मरणासन्न मिले। इस मौके पर सुशील की पत्नी भी मिली।
रोहित के अनुसार मरणासन्न हालत में राज कुमार को हैलट में भर्ती करवाया गया लेकिन स्थिति को गंभीर देखते हुए इलाज हेतु लखनऊ गये और इलाज के लिये एक प्राईवेट हास्पिटल में भर्ती करवाया। इलाज के दौरान 27 नवम्बर को राज कुमार की मौत हो गई। रोहित ने बताया कि जब पापा को होश आ जाता था तो वे बताते थे कि सुशील, उसकी पत्नी और दो अन्य लोगों ने उन्हें धोखे से मारा है।
बताते चलें कि परिजनों की तहरीर के आधार पर सजेती थाने में 23 नवम्बर को 307, 323, 504, 506 के तहत आरोपी बनाते हुए सुशील सिंह, उसकी पत्नी व दो अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
पीड़ित के परिजनों से जानकारी करने पर पता चला कि हत्यारोपी सुशील सिंह ने आत्म समर्पण कर दिया है, लेकिन पुलिस ने आलाकत्ल बरामद करने के लिये आरोपी की रिमाण्ड लेना अभी तक मुनासिब नहीं समझा है। उन्होंने यह भी बताया गया कि है कि जाँच अधिकारी, उप निरीक्षक अलख निरंजन ने रोहित से कहा कि आलाकत्ल बरामद करवा दो। मृतक के बेटे रोहित ने यह भी बताया कि उप निरीक्षक अलख निरंजन से कई बार कहा कि पापा के बयान दर्ज कर लो तो उन्होंने कहा कि पहले इलाज करवा लो बयान तो होते ही रहेंगे।
परिजनों ने यह भी बताया कि सुशील सिंह अपराधिक प्रवृत्ति का शातिर व्यक्ति है जिसकी जानकारी पुलिस को दी है लेकिन पुलिस इस ओर दिलचस्पी नहीं ले रही है बल्कि मामले को हल्का करने में अपनी रुचि दिखा रही है।
उक्त घटना के बावत जब ‘जन सामना’ ने थाना प्रभारी सजेती से जानकारी मांगी कि हत्यारोपी ने आत्मसमर्पण कब किया तो उन्होंने बताया कि लगभग 30 नवम्बर को हत्यारोपी सुशील सिंह ने आत्म समर्पण किया है लेकिन जब यही जानकारी जाँच अधिकारी उप निरीक्षक अलख निरंजन से की तो उन्होंने बताया कि 4 दिसम्बर को सुशील ने आत्म समर्पण किया है यानिकि थाना प्रभारी और जाँच अधिकारी का जवाब अलग-अलग मिला। साथ ही दोनों अधिकारी अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी ना करने, मौत से पहले मृतक के बयान दर्ज करने आदि पर व्यस्तता का हवाला देकर गोलमोल जवाब देते रहे। धाराओं में समायोजन के बारे में पूंछा तो बताया कि जाँचोपरान्त धाराओं में परिवर्तन किया जायेगा, अभी व्यस्तता है इस लिये कुछ नहीं किया।