Tuesday, November 26, 2024
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रबी की प्रमुख फसलों को कीट एवं रोगों से बचाव हेतु दी गयी जानकारी

किसान भाई फसल में रोग/कीट की समस्या होने पर कृषि विभाग के हेल्पलाइन नं0-9452247111, 9452257111 पर सूचना प्रेषित करें
प्रयागराज, जन सामना ब्यूरो। जिला कृषि रक्षा अधिकारी, प्रयागराज इन्द्रजीत यादव ने बताया है कि वर्तमान मौसम में नमी एवं कोहरा होने के कारण रबी की प्रमुख फसलों में कीट एंव रोगों का प्रकोप होने की अधिक सम्भावना है। इसलिये सम्भावित कीट/रोगों से बचाव हेतु नियमित निगरानी करते रहें। कीट/रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल निम्नलिखित सुझाव एंव सस्तुतियों को अपनाकर फसल को बचा सकते है। गेहूं-(पीली गेरूई रोग) के लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों पर पीले रंग की धारी के रूप में दिखायी देते है, जिसे हाथ की उंगलियों से छूने पर पीले रंग की पाउडर लग जाता है।  रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई0सी0, 500 मिली0 मात्रा को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। रोग के प्रकोप तथा फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अन्तराल पर करें। फसल पर रसायन का छिड़काव वर्षा व कोहरे की स्थिति मे न करें।
राई/सरसों की फसल में तापमान में गिरावट होने पर राई/सरसों की फसल मे माहू कीट के प्रकोप होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यदि कीट प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (5 प्रतिशत प्रभावित पौधे) से अधिक हो तो निम्नलिखित रसायनों में से किसी एक को प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-750 ली0 पानी में घोल छिड़काव करें। एजाडिरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0सी0-2.5 लीटर। डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0-1.0 लीटर। आक्सीमडिमेटान मिथाइल-25 प्रतिशत ई0सी0-1.0 लीटर। आलू की फसल में मौसम में नमी/कोहरा छाया रहने के कारण आलू की फसल में अगेती/पछेती झुलसा रोग का प्रकोप होने की सम्भावना है, जो क्रमशः आॅल्टरनेरिया सोलेनाई एवं फाईटोप्थोरा नामक फफॅूदियों के प्रकोप होने के कारण होता है। इस समय मौसम फफॅूदी बढ़ने के अनुकूल है। अतः फसल की निगरानी करना नितान्त आवश्यक है। उपरोक्त दोनों बीमारियों में पौधे की पत्तियों तथा तने पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं एवं तीव्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के बचाव हेतु सुरक्षात्मक रूप से निम्नलिखित रसायनों मे से किसी एक को 200-250 ली0 पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। कापरआॅक्सी क्लोराईड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0-1.0 कि0ग्रा0। मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0-0.8 कि0ग्रा0। जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0-0.8 कि0ग्रा0।
      किसान भाई अपने बागवानी/सब्जी की फसल का निरन्तर निगरानी करते रहें, क्योंकि इस समय तना सड़न/जड़ सड़न रोग की प्रबल सम्भावना रहती है, जिससे रोग का प्रसार कम से कम हो सके। फसल में किसी भी प्रकार के रोग/कीट समस्या होने पर कृषि विभाग के हेल्पलाइन नं0-9452247111, 9452257111 पर सूचना प्रेषित करें एवं अपने विकास खण्ड के कृषि रक्षा इकाई, प्रभारी से अथवा अधोहस्ताक्षरी के मो0 नं0-8429031726 पर सम्पर्क कर सकते हैं।