मीरजापुर, जन सामना संवाददाता। अहरौरा स्थित मदारपुर गाँव में सुबह सुबह किसानों के आंखों में उबाल देखने को मिला। जब किसानों ने देखा कुछ दिन पहले ही अपनी खेतो में रवी की फसल गेंहू, बजड़ा की बुवाई कर रखी थी वो खेत सुबह के वक्त पानी से लबालब डूबा हुआ मिला। किसानों की मेहनत और लागत रातो रात जलमग्न हो चुकी थी।सभी एकजुट होकर मामले की जानकारी प्रधानपति विवेक मौर्या को देने के साथ साथ सम्बंधित अधिकारियों को भी दी। आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोप लगाया की रात्रि अहरौरा बांध से पानी को सिचाई हेतु नहर में छोड़ा गया था, किंतु एक चंदौली के सत्ता पक्ष के नेता के करीबियों द्वारा अपनी गिट्टी लोड मात्र अपनी ट्रकों को पास करने हेतु पुलिया के बराबर में मिट्टी डालकर पुलिया से ऊपर की हाइट का रपटा निर्माण किया गया था।
जब बांध से छोड़े गए पानी का फ्लो रपटा के लेबल में गया तो रपटा के पहले के करीब पचास बीघे से ऊपर बोये हुवे रवि के फसल पूरी तरह जलमग्न होकर बर्बाद हो गये। किसानों और ग्रामीणों का आक्रोश देख चंदौली नेता के करीबियों और कार्यकर्ताओं के द्वारा आनन फानन में मिट्टी से बनाये गये रपटा को जेसीबी से काटकर जल प्रवाह को उसके दिशा में स्थिर किया गया। तब जाकर अन्य किसानों को भी राहत मिली जिनके खेतो में पानी घुसने के कगार पर था।साथ ही नेता जी करीबियों के द्वारा पीड़ित किसानों को बोये हुवे बर्बाद फसल की मुवायजे देने का आश्वासन भी दिया गया।
संज्ञान में डाल दें की पांच महीने पूर्व हुवे दुर्घटना के बाद ट्रकों में आगजनी के बाद पुलिया बनने तक अहरौरा चकिया मार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन को जिला प्रशासन के आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन ने बीच रोड पर पोल गाड़कर लोड गाड़ियों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दिया था। किंतु मात्र एक संस्थान के द्वारा रपटा पुलिया का निर्माण कर सिर्फ अपने वाहनों के लिए आवागमन पुनः सुरु कर दिया गया जिसका खामियाजा यहां तीन गाँवो के ग्रामीण भुगत रहे हैं।