सासनी, हाथरस। कर्माें का भोग निश्चित हैं ,जिसमे आपको अहसास होगा कि व्यक्ति कितना भी इतरा ले उसके कर्म उसे उसकी सही जगह पर ला ही देते हैं और कर्मो का फल जन्म मृत्यु के भी परे हैं जब तक पूरा हिसाब नहीं होता यह फल पीछा नहीं छोड़ते है।
यह विचार मोहाल्ला दाऊली में गौरव दीक्षित के आवास पर हुए सत्संग प्रवचन के दौरान आचार्य मुकेश शास्त्री इगलास वालों ने प्रकट किए। उन्होंने बताया कि आप ही तय करें आप पाप का भागी बनाना चाहते हैं या सदकर्मो के आप अपना दिल छोटा न करे, कभी ऐसा न सोचे की आप एक पल भी अकेले है या आपकी कोई देख रेख नहीं कर रहा है आपको परमात्मा की तरफ से हर सहायता मिल रही है,जिसकी आपको जरूरत है पर कभी कभी कर्मो का भार कुछ इतना ज्यादा होता है की उसकी वजह से हमको मानसिक दुखो से गुजरना पड़ता है। रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है हित चाहने वाला पराया भी अपना हैं और अहित करने वाला अपना भी पराया है। यदि आप किसी अच्छी बात का अभ्यास नहीं कर रहे, तो समझ लीजिये कि बुरी या व्यर्थ बातों का अभ्यास अपने आप हो रहा है। उन्होने बताया कि मानव देह ही वह एक मात्र रथ हैं, जिस पर सवार होकर आत्मा परमात्मा तक पहुँच सकती हैं, अपने अंदर की आग को कभी भी बुझने न दें, क्योंकि यही वह रोशनी है जो आपको जीवन का मार्ग खोजने में मदद करेगी। इस दौरान कस्बा के सैकड़ों श्रोता मौजूद थे।