नई दिल्ली। हाइड्रोकार्बन क्षेत्र की कंपनियों की शीर्ष संस्था पेट्रोफेड ने जलवायु परिवर्तन जोखिमों रू तेल और गैस क्षेत्र की तैयारी विषय पर अध्ययन के लिए टेरी (टीईआरआई) के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस सचिव के. डी. त्रिपाठी और तेल तथा गैस उद्योग के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
धर्मेन्द्र प्रधान ने सहमति ज्ञापन की सराहना करते हुए कहा कि इससे नीति तथा हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में व्यवहार के बीच खोई हुई कड़ी की जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि सीओपी 21 जल्द ही प्रभावी होगा और देश के लिए ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव तथा उन्हें नियंत्रित करने के तरीकों को जानना आवश्यक है। सरकार देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गैस, नवीकरणीय ऊर्जा तथा जैवऊर्जा पर बल दे रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की अड़चनों को समझना है और राष्ट्र की ऊर्जा क्षेत्र के लिए भारतीय मॉडल विकसित करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान, उचित कारोबारी माॅडल और लोगों के बीच जागरूकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से तेल तथा गैस अवसंरचना विकास पर भविष्य की नीति के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से तेल और गैस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के खतरों का व्यापक विश्लेषण प्राप्त होगा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता 2005 के स्तर से 2030 तक 33-35 प्रतिशत नीचे लाने के भारत के आईएनडीसी हासिल करने में तेल और गैस क्षेत्र के लिए उचित उपाय सुझाएगा। इस अध्ययन से जानकारी मिलेगी कि कैसे जलवायु परिवर्तन नीति उपायों के परिणामस्वरूप विश्व बाजार और टेक्नोलॉजीकल विकल्पों में बदलाव आएगा और कैसे 1.5 डिग्री तथा 2 डिग्री ग्लोबल वार्मिंग अवसंरचना तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में संचालन को प्रभावित करेगा।
श्री प्रधान ने कहा कि भारत के ऊर्जा बास्केट में गैस की हिस्सेदारी 6.5 से 7 प्रतिशत की है जबकि विश्व औसत 24 प्रतिशत का है। भारत अगले 3 से 5 वर्षों में ऊर्जा बास्केट में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी चाहता है ताकि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था बन सके। उन्होंने बताया कि गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को 80 लाख कनेक्शन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अतंर्गत दिए गए हैं और इस वर्ष 1.5 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।