ऑनलाइन पढ़ाई में अधूरी तैयारी और संसाधनों का अभाव बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद के लिए कड़ी चुनौती बना हुआ है। किसी गांव में नेटवर्क की दिक्कत है, तो किसी के सामने स्मार्ट फोन न होना परेशानी बढ़ा रहा है। जिस गांव में नेटवर्क है भी, वहां स्पीड बहुत कम आना भी छात्रों को बाधा उत्पन्न कर रहा है। शिक्षक हो या छात्र या फिर अभिभावक सभी के सामने यह समस्या गंभीर बनी हुई है।
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में स्कूल और कॉलेज बंद है। शिक्षा विभाग कर्फ्यू के बीच ऑनलाइन पढ़ाई करवाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन इसमें अभी भी कई दिक्कतें हैं। कई विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के दर्जनों स्कूलों ने लॉकडाउन के समय ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी है। किसी ने क्लास स्तर से वाट्सएप ग्रुप तैयार कराकर छात्रों की पढ़ाई शुरू की तो किसी ने यू-ट्यूब चैनल बनाकर उस पर पढ़ाई कराई जा रही है। कुछ स्कूलों ने ऐसा भी कर रखा है कि वे छात्रों को एक साथ वीडियो कॉलिग के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं। किन्तु ऑनलाइन पढ़ाई से बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद पिछड़ा हुआ है। कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11 के छात्रों की पहले ही पढ़ाई यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान प्रभावित रही थी। उसके बाद कोरोना के आये भूचाल ने इन छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह ही प्रभावित कर दी है। अब सरकार ने अधूरी तैयारी और संसाधनों के सहारे ऑनलाइन पढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। यह विधि ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा परेशानी पैदा कर रही है। क्योंकि यहां पर अधिकांश लोगो के पास मल्टीमीडिया मोबाइल का न होना व जिनके पास है भी उनके मोबाईल में नेटवर्क की धीमी रफ्तार और नेटवर्क न आना सबसे बड़ी बाधा का कारण बना हुआ है। यह समस्या भी विभाग को कड़ी चुनौती दे रही है। ऐसे छात्रों की पढाई शासन-प्रशासन व शिक्षा विभाग कैसे पूरी करायेगा यह बड़ा सवाल है।