जब प्रधानमंत्री जी ने 22 मार्च को ट्रायल के रूप में संपूर्ण भारत भारत बंद का ऐलान किया था तब तक लॉक डाउन जैसे शब्द से हम बहुत से भारतीय परिचित नहीं थे। बहुत से भारतीयों को यह तक नहीं मालूम था कि 22 मार्च के दिन संपूर्ण भारत बंद क्यों किया गया है आखिर सरकार का क्या उद्देश्य है अचानक इस तरह का कदम उठाकर। जिस कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी को तब तक हम कुछ नहीं समझते थे हम बस इसे केवल एक सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर गुड मॉर्निंग और गुड नाइट मैसेज की तरह ले रहे थे पर आज कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी का नाम बच्चे बच्चे की जुबां पर आ गया है। इस समय लॉक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है पर सड़कों पर बेवजह घूमते हुए लोग और बेवजह ग्रुप बनाकर गपशप करते लोगों को देखकर कहीं भी प्रतीत नहीं हो रहा कि लॉक डाउन जैसा कुछ चल रहा है। और तो और कुछ दिनों पहले जब से शराब की दुकानें खुलने का आदेश दे दिया गया तब से लोग बेखौफ होकर कहीं भी घूम रहे हैं किसी भी तरह के नियम का पालन नहीं हो रहा है आखिर हम भारतीय जो है जो बिना डर के और बिना लालच के कुछ नहीं करते। इस समय पुलिस विभाग भी अब पूरी तरह से पस्त नजर आ रहा है क्योंकि उन्होंने लगभग 45 दिन खूब मेहनत की पर अचानक इस तरह से शराब की दुकाने खुलने से उनके किए कराए पर भी पानी फिर गया। अब वह किसी से कुछ कह भी नहीं सकते क्योंकि पहले अगर कोई दवा भी लेने जा रहा होता था तो पुलिस उससे कई तरह की पूछताछ करती थी पर आज वो शान से कहता है कि मैं दारू लेने जा रहा हूं और पुलिस कुछ नहीं कर पाती क्योंकि यह सरकार का एक आदेश है जिसका पालन उन्हें करना ही है।
जब हमारे प्रधानमंत्री जी ने लॉक डाउन के पहले चरण का ऐलान किया था तब उन्होंने यह बताया था कि संक्रमण की इस श्रृंखला को तोड़ने के लिए 21 दिन की अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण है। बहुत से लोगों ने यह भी समझ लिया कि 21 दिन में यह संक्रमण की श्रृंखला खत्म हो जाएगी और वायरस बिल्कुल समाप्त हो जाएगा। बेशक चिकित्सा और स्वास्थ्य विशेषज्ञ जानते थे कि संक्रमण की श्रृंखला 21 दिन में नहीं टूटेगी उन्होंने प्रधानमंत्री से लॉक डाउन को बढ़ाने का आग्रह किया 14 अप्रैल को उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रीय टेलीविजन पर ऐलान किया और कहा पिछले कुछ दिनों के अनुभव से स्पष्ट दिखता है कि हमने सही रास्ता चुना यदि हम लगातार धैर्य बनाए रखें और नियमों का पालन करें तो हम कोरोना जैसी महामारी को पराजित कर देंगे अहम शब्द थे हमने सही रास्ता चुना और धैर्य से काम लें तथा कोरोना जैसी महामारी को पराजित करना पर तब भी चिकित्सा और स्वास्थ्य विशेषज्ञ जानते थे कि जागरूकता फैलाना और चिकित्सा स्वास्थ्य संबंधी ढांचे में तेजी के साथ बढ़ोतरी करना असली उद्देश्य है और इसी दौरान प्रधानमंत्री ने जी ने जनता के लिए कई तरह के औपचारिक काम भी बताएं जैसे घंटी बजाना, बर्तन बजाना, मोमबत्ती जलाना दिया जलाना आदि आदि पर प्रधानमंत्री जी ने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की अपील की थी पर जितना लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया पर जब प्रधानमंत्री जी ने जब मोमबत्ती जलाने को कहा तो बहुत से लोगों ने तो पटाखे तक फोड़े और सोशल डिस्टेंस तक की कोई परवाह तक नहीं की। असली बात अब भी समय के गर्त में छुपी हुई है कि आखिर यह लॉक डाउन लागू कब तक रहेगा क्योंकि यह संक्रमण कोई निश्चित तारीख बता कर खत्म होने वाला नहीं है सरकार ने अनजाने में कई महत्वपूर्ण गलतियां की जब लॉक डाउन की अपेक्षा थी तब उन्होंने अचानक कुछ घंटे की नोटिस पर इसे लागू किया जो कि एक बड़ी चूक थी। 25 मार्च के फाइनेंशियल एक्शन प्लान के तहत गरीबों के बैंक खातों में धन नहीं डालना एक भारी चूक थी और अभी तक बहुत से श्रमिकों के खातों में 1000 जैसी मामूली रकम तक नहीं आई है और ना ही कोई राहत पैकेज मिल पाया है जो भी थोड़ी बहुत मदद हुई है क्षेत्रीय लोगों और क्षेत्रीय पार्षदों के सहयोग से हुई है और जबकि यह सर्व विदित है कि पीएम केयर फंड और मुख्यमंत्री फंड में राशि चैरिटी के माध्यम से सेलिब्रिटी और कई धनाढ्य लोग लगातार डाल रहे हैं तो राशि आखिर कहां जा रही है जब उसका गरीबों को कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। जब संक्रमण अत्यंत कम था उस समय प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्यों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था नहीं करना गंभीरतम चुक थी जिसका परिणाम हमें क्या उन बेसहारा मजदूरों को भुगतना पड़ा और उनके परिवारों को। लॉक डाउन एक दो या तीन के बावजूद संख्या बढ़ रही है लाग डाउन 3 में 4 मई से 8 मई के दौरान 5 दिन में औसतन रोजाना 3215 लोग संक्रमित हुए हैं दूसरे देशों से तुलना करें तो सौभाग्य से 130 करोड़ लोगों के अनुपात में संक्रमित लोगों की संख्या अब भी अत्यंत कम है। संभवत इसलिए क्योंकि जांच की दर कम है। इसके अलावा संक्रमित लोगों में मृत्यु दर सिर्फ 3.36 फ़ीसदी है। लॉक डाउन तीन जब खत्म होगा उस समय आखिर क्या होगा अभी भी संशय बना हुआ है उस समय प्रधानमंत्री जी के पास दो विकल्प होंगे वर्तमान लॉक डाउन को 17 मई से आगे बढ़ाया जाए और चार का ऐलान किया जाए और या लॉक डाउन खत्म करें और सारी आर्थिक और वाणिज्य गतिविधियां शुरू करें सामान और सेवाओं की सारी आपूर्ति श्रृंखला की बहाली करें सड़क रेल और हवाई मार के सारे सार्वजनिक परिवहन की को मंजूरी दे और संक्रमित लोगों के इलाज के लिए तैयार रहें। हमारे लिए भी और सरकार के लिए भी तो बहुत सी बातें अभी कहना मुनासिब नहीं। भारत को अलग-अलग रंगों के जोन रेड जोन ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन में बांटने और कुछ शर्तों के साथ छूट देने से आर्थिक गतिविधियां को दोबारा शुरू करने में मदद नहीं मिली है पिछले 47 दिनों में और अधिक उद्योग हाशिए पर चले गए हैं कुछ और लाख गरीब लोग पीड़ित हो गए हैं और कुछ और हजार मध्यमवर्गीय परिवार कर्ज के दबाव में आ गए हैं यदि लॉक डाउन नहीं हटाया जाता तो आज की तुलना में अधिक असंतोष भड़क सकता है इसमें संदेह नहीं कि दूसरे विकल्प से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा लेकिन हमें रोजाना औसतन ने मामलों में तेजी से वृद्धि देखने को मिल सकती है कुछ ग्रीन जोन ऑरेंज ओन में और कुछ ऑरेंज रेड जोन में जा सकते हैं जिससे राज्य और जिला प्रशासन के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और कोविड-19 अस्पताल जिनका अभी पर्याप्त उपयोग नहीं हो रहा है मरीजों से भर जाएंगे यानी या प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर होगा कि वह जितना संभव हो सके खुद को सुरक्षित रखें। प्रधानमंत्री जी के निर्णय से ज्यादा अब जनता को ज्यादा जिम्मेदारी उठानी होगी क्योंकि क्योंकि अगर संक्रमण की इस श्रृंखला को तोड़ना है तो हमें लॉक डाउन हो चाहे न हो इसके नियमों का पालन करना ही होगा जैसे किसी भी सेलिब्रिटी के बनने में और बिगड़ने में जनता का ही हाथ होता है उसी तरह इस कोविड-19 महामारी को अगर रोकना है तो जनता को ही आगे आना होगा।
वत्सल वर्मा, कानपुर