कानपुर, जन सामना ब्यूरो। गौ-गौरैया संरक्षण समिति नया दाना पानी स्टैण्ड (अड्डा) कानपुर प्राणि उद्यान को भेंट किया गया जो पूर्णतः प्राकृतिक, लकड़ी व मिट्टी से निर्मित है। उनके द्वारा एक दर्जन स्टैण्ड जू परिसर में लगाये गये और उसमें दाना पानी स्टैण्ड दीपक कुमार वन संरक्षक/निदेशक के कर कमलों के द्वारा डाला गया। कार्यक्रम में गौ-गौरैया संरक्षण समिति के अध्यक्ष मनीष पाण्डेय व सहयोगी दीपक सिंह, रजीश द्विवेदी, संतोष बरार, प्रमोद अवस्थी एवं सहायक वन संरक्षक केवल प्रसाद आदि उपस्थित रहे। इस अवसर जन सामान्य को गौरैया संरक्षण, गर्मी में पक्षियों हेतु दाना व पानी की व्यवस्था हर घर के आस पास करने की प्रेरणा दी गई। एक-दो दशक पहले लोगों के घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया जब घर-घर में दिखती थीं, लेकिन समय के साथ पक्के मकानों और कम होते जंगलों के कारण गौरैया कम हो गए, जिसका असर पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। आज गौरैया विलुप्ति के कगार पर है. भारत में गौरैया की संख्या घटती ही जा रही है. इस नन्हें से परिंदे को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. पर्यावरण संरक्षण में गौरैया के महत्व और भूमिका के प्रति लोगों का ध्यान खिंचने और इस पक्षी के संरक्षण के लिए जनजागरूकता फैलाने के इरादे से यह आयोजन किया जाता है। यह दिवस पहली बार साल 2010 में मनाया गया था. वैसे देखा जाए तो इस नन्ही गौरैया के विलुप्त होने का कारण मानव ही हैं. हमने तरक्की तो बहुत की लेकिन इस नन्हें पक्षी की तरक्की की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया. यही कारण है कि जो दिवस हमें खुशी के रूप में मनाना चाहिए था, वो हम आज इसलिए मनाते हैं कि इनका अस्तित्व बचा रहे।