वर्तमान में जब समाज में कोई नकारात्मक कृत्य घटित हो जाता है तो सभी सोशल मीडिया के माध्यम से शोक प्रकट करने लगते है वास्तव में यह सब हमारे द्वारा दिए गए संस्कारों का परिणाम है जो इस तरह की भयानक घटनाओं के रूप में सामने आते है–
एकल परिवार का प्रचलन बढ़ने से माता-पिता की बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच बच्चे अपनी संस्कृति और संस्कारों से अपरिचित रह जाते है क्योंकि संयुक्त परिवार में माता-पिता, दादा-दादी की छांव में जब एक बच्चा बड़ा होता है तो वह इन समस्त गुणों से परिपूर्ण हो जाता है!!
जन्म के साथ ही बच्चे को मोबाइल थमा देना व्यस्तता के कारण माता-पिता की मजबूरी होती है परंतु बचपन से ही विकिरणों के नकारात्मक प्रभाव से बच्चे की दशा(स्वास्थ संबंधी समस्यायें) और दिशा(मूल्यहीन मनोवृत्ति) दोनों का नकारात्मक विकास हो जाता है!!
बच्चे को रामायण की जगह कार्टून दिखाना, व्यस्तता के कारण समय न दे पाना, जब कभी बात नही सुनी तो कह देते है कि बाबा आ जायेगा उठा ले जाएगा या ऐसे ही कुछ उदाहरण देते है बजाय इसके की अगर आपने नही सुना तो ईश्वर नाराज हो जायेगे, थोड़ा बड़ा होने पर स्कूल जाना शुरू करता है तो माता-पिता सिर्फ इस बात पर ध्यान देते है कि कक्षा में प्रथम आये बजाय इसके की वास्तव में उसकी रुचि किसमे है, जैसे वो और थोड़ा बड़ा होता है तो हम और बेफिक्र हो जाते है कि अब क्या समय देना बड़ा हो गया ऐसे में माता-पिता और बच्चों के बीच दोस्ताना माहौल नही बन पाता जिससे बच्चे राह भटक जाते है और कुछ और बड़े होने पर गलत संगति में आधारभूत मूल्यों के अभाव में नकारात्मक कृत्य करने को मजबूर हो जाते है!!
हम सभी जानते है कि वर्तमान में समाज मे जितने भी अपराध होते है उसमे 15 से 25 वर्ष के लोगो का हाथ होता है उसका कारण उनके जीवन मे उन आधारभूत मूल्यों की कमी है क्योंकि बच्चा कच्ची मिट्टी के समान होता है और अगर बचपन से लेकर कुछ वर्षों तक माता-पिता उसे एक संवेदनशील, संस्कारों एवं मूल्यों से परिपूर्ण रूपी घड़े में ढाल ले तो समाज नई उभरती संस्कृति से बच जाएगा!!
बच्चे के जन्म के साथ ही माता-पिता उसके उज्जवल भविष्य के लिए धन-संपत्ति एकत्रित करने में लग जाते है पर अगर सभी माता-पिता उसे संस्कारो की धन-संम्पत्ति सौंपे तो इससे वह स्वयं अपनी योग्यता और क्षमता से असीमित संपत्ति का निर्माण कर लेगा और साथ ही एक बेहतर समाज का निर्माण होगा जहाँ किसी भी प्रकार की शर्मनाक घटना नही होगी!!
माता-पिता का फर्ज केवल बच्चे को बड़ा करना या उसके भविष्य की सुरक्षा करना नही है बल्कि बच्चों का सकारात्मक सर्वांगीण विकास कर उन्हें समाज में एक संवेदनशील व्यक्तित्व के रूप में पेश करना है!!
-प्रियंका गुप्ता, छतरपुर, म.प्र.