भारत ने प्रतिस्पर्धा, पूंजी, भागीदारी एवं प्रौद्योगिकी के लिए कोयला और खनन सेक्टरों को पूरी तरह से खोलने का अहम निर्णय लिया है: प्रधानमंत्री
कोयला सेक्टर में सुधार पूर्वी और मध्य भारत, हमारे जनजातीय क्षेत्र, को विकास स्तंभ बना देंगे: प्रधानमंत्री
‘आत्मनिर्भरता’ एक मजबूत खनन और खनिज सेक्टर के बिना संभव नहीं है: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया का शुभारंभ किया। यह दरअसल ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत भारत सरकार द्वारा की गई अनेक घोषणाओं की श्रृंखला का एक हिस्सा है। कोयला मंत्रालय ने फिक्की के सहयोग से इन कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की है। कोयला खदानों के आवंटन के लिए दो चरणों वाली इलेक्ट्रॉनिक नीलामी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत ‘कोविड-19’ महामारी पर अवश्य ही विजय पाएगा और हमारा राष्ट्र इस संकट को एक अवसर में तब्दील कर देगा। उन्होंने कहा कि इस संकट से भारत ने ‘आत्मनिर्भर’ बनने का सबक सीखा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ आयात पर निर्भरता कम करना और इसके साथ ही आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत करना है। इसके तहत यह आवश्यक है कि भारत संसाधनों को घरेलू स्तर पर ही विकसित करे, ताकि देश को आयात पर निर्भर न रहना पड़े। यही नहीं, इसका अर्थ उन वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यातक बनना भी है जिनका आयात अभी हम करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे हासिल करने के लिए प्रत्येक सेक्टर, प्रत्येक उत्पाद एवं प्रत्येक सेवा को ध्यान में रखा जाना चाहिए और किसी विशेष क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समग्र रूप से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज उठाया गया अहम कदम भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कदम न केवल कोयला खनन सेक्टर से संबंधित सुधारों पर अमल को, बल्कि युवाओं के लिए लाखों रोजगार अवसरों की शुरुआत को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आज हम न केवल वाणिज्यिक कोयला खनन की नीलामी की शुरुआत कर रहे हैं, बल्कि इसके साथ ही कोयला सेक्टर को दशकों के लॉकडाउन से मुक्त भी कर रहे हैं।
उन्होंने इस विडंबना को रेखांकित किया कि दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार होने और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ ही भारत दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक भी है। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से यही स्थिति चली आ रही है और कोयला सेक्टर को कैप्टिव (स्व-उपयोग) और गैर-कैप्टिव खदानों के जाल में निरंतर उलझाए रखा गया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस सेक्टर को प्रतिस्पर्धा एवं पारदर्शिता से वंचित रखा गया, जो एक बड़ी समस्या थी। उन्होंने कहा कि इस वजह से कोयला सेक्टर में निवेश का अभाव देखा गया और इसकी दक्षता भी सवालों के घेरे में रही।
प्रधानमंत्री ने बताया कि कोयला सेक्टर के विकास को नई गति प्रदान करने के लिए वर्ष 2014 में कोल लिंकेज की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि भारत ने अधिक प्रतिस्पर्धा, पूंजी, भागीदारी एवं प्रौद्योगिकी के लिए कोयला और खनन सेक्टरों को पूरी तरह से खोलने का अहम निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने का ध्यान रखा गया है कि निजी खनन सेक्टर में नए खिलाड़ियों या कंपनियों को वित्त की समस्या का सामना कतई न करना पड़े। प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत खनन और खनिज सेक्टर के बिना आत्मनिर्भरता संभव नहीं है क्योंकि ये दोनों ही हमारी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों के बाद कोयला उत्पादन और समस्त कोयला सेक्टर आत्मनिर्भर हो जाएगा। अब बाजार को कोयले के लिए खोल दिया गया है, इसलिए कोई भी सेक्टर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कोयला खरीद सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों से न केवल कोयला सेक्टर, बल्कि इस्पात, अल्युमीनियम, उर्वरक और सीमेंट जैसे अन्य सेक्टर भी लाभान्वित होंगे। इतना ही नहीं, यह बिजली उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खनिज क्षेत्र में सुधारों को कोयला खनन सुधारों से काफी बल मिला है क्योंकि लोहा, बॉक्साइट और अन्य खनिज दरअसल कोयला भंडारों के बहुत करीब अवस्थित होते हैं। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए आज की गई नीलामी की शुरुआत दरअसल सभी हितधारक उद्योगों के लिए फायदेमंद है। यही नहीं, राज्य सरकारों को अपेक्षाकृत अधिक राजस्व मिलेगा और देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को रोजगार मिलेगा। एक और विशेष बात यह है कि हर सेक्टर पर सकारात्मक असर होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला सुधारों को लागू करते समय यह सुनिश्चित किया गया है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता कतई कमजोर नहीं पड़े। उन्होंने कहा, ‘कोयले से गैस बनाने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जा सकता है और कोयला गैसीकरण जैसे कदमों से पर्यावरण का संरक्षण किया जाएगा। कोयले से प्राप्त गैस का उपयोग परिवहन एवं खाना पकाने में किया जाएगा, जबकि यूरिया और इस्पात (स्टील) विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा देंगे।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2030 तक लगभग 100 मिलियन टन कोयले के गैसीकरण का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य के लिए चार परियोजनाओं की पहचान की गई है और इनमें तकरीबन 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला सेक्टर में लागू किए गए ये सुधार पूर्वी और मध्य भारत, हमारे आदिवासी क्षेत्र, को विकास स्तंभ बना देंगे। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आकांक्षी जिले हैं और वे प्रगति एवं समृद्धि के अपेक्षित स्तर पर पहुंचने में समर्थ नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि देश के 16 आकांक्षी जिलों में कोयले का विशाल स्टॉक या भंडार है, लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों को इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया है। इतना ही नहीं, इन स्थानों या क्षेत्रों के लोगों को रोजगार के लिए दूरदराज के शहरों में जाना पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक खनन की दिशा में उठाए गए कदम पूर्वी और मध्य भारत के स्थानीय लोगों के लिए काफी मददगार साबित होंगे क्योंकि उन्हें अपने-अपने घरों के आसपास ही रोजगार मिलना संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोयला निकालने और परिवहन के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओें के निर्माण पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। इनसे भी रोजगार अवसर सृजित होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला सेक्टर में लागू किए गए सुधार और निवेश जनजातीय लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। कोयला उत्पादन के जरिए सृजित अतिरिक्त राजस्व का उपयोग इस क्षेत्र में जन कल्याणकारी योजनाओं में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों को ‘जिला खनिज कोष’ से आगे भी मदद मिलती रहेगी, जिसके एक बड़े हिस्से का उपयोग आसपास के क्षेत्रों में आवश्यक सुविधाओं को विकसित करने में किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नीलामी ऐसे समय में हो रही है जब आर्थिक गतिविधि तेजी से पहले की तरह सामान्य होती जा रही है। खपत और मांग तेजी से कोविड-19 से पहले वाले स्तर पर पहुंच रही हैं। प्रधानमंत्री ने उन सेक्टरों का उल्लेख किया जिनमें मांग कोविड-19 से पहले वाले स्तर को तेजी से छूने जा रही है जिनमें बिजली की खपत, पेट्रोलियम उत्पादों की मांग, ई वे बिल, टोल संग्रह, रेलवे से माल ढुलाई, डिजिटल खुदरा (रिटेल) लेन-देन शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बेहतरी दर्शाने लगी है। उन्होंने बताया कि खरीफ की खेती के तहत फसल क्षेत्र या रकबा के साथ-साथ इस वर्ष गेहूं की खरीद भी बढ़ गई है। इसका मतलब यही है कि किसानों की जेब में अपेक्षाकृत अधिक पैसा गया है। ये सभी संकेतक हमें बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से ऊंची छलांग लगाने और तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री ने मंगल-कामना की कि भारत इस संकट से भी ठीक उसी तरह से उबर जाएगा जैसा कि वह अतीत में इससे भी बड़े संकट से उबरने में कामयाब रहा था। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत ‘आत्मनिर्भर’ बन सकता है और भारत की सफलता एवं प्रगति निश्चित है। उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि कैसे कुछ हफ्ते पहले तक एन-95 मास्क, कोरोना टेस्टिंग किट, पीपीई और वेंटिलेटर की हमारी अधिकांश मांग आयात से पूरी होती थी, जबकि अब ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से पूरी हो रही है। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही यह भरोसा व्यक्त किया कि बहुत जल्द हम चिकित्सा उत्पादों का एक महत्वपूर्ण निर्यातक बन जाएंगे। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपना भरोसा और मनोबल निरंतर बनाए रखने का आग्रह किया, ताकि हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने का सपना साकार कर सकें।
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