प्रतिवर्ष २७ जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह जागृति दिवस मनाने की जरूरत इसलिए महत्वपूर्ण हुई क्योंकि इस बीमारी के कारण और बचाव के विषय में लोगों के बीच काफी मतभेद और अनभिज्ञता देखी जा रही है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व की लगभग ६-७ % आबादी मधुमेह नामक बीमारी से ग्रसित है। मधुमेह से पीडि़तों की संख्या में इतनी तेजी से वृद्धि लोगों में मधुमेह के प्रति अनभिज्ञता की उपज है। भारत के परिपेक्ष में यह बीमारी आम बात है , इस बीमारी से ग्रसित लोगों की बड़ी जनसंख्या भारत में निवास करती है। इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग ७.७ करोड़ पीड़ितों के साथ मधुमेह की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। इसीलिए भारत को विश्व मधुमेह की राजधानी का दर्जा प्राप्त है। इन आंकड़ों के मद्देनजर वैश्विक स्तर पर हर पांचवां मधुमेह रोगी भारतीय है। मधुमेह के यह आंकड़ें इतने चिंतनशील हैं कि पूरी दुनिया में इसके निवारण व उपचार में प्रतिवर्ष करीब २५० से ४०० मिलियन डॉलर का खर्च वहन किया जाता है। इस बीमारी के कारण वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष करीब ५० लाख लोग अपनी नेत्र ज्योति खो देते हैं और करीब १० लाख लोग अपने पैर गवां बैठते हैं । मधुमेह के कारण विश्व भर में लगभग प्रति मिनट ६ लोग अपनी जान गंवा देते हैं और किडनी के निष्काम होने में इसकी मुख्य भूमिका होती है।
मधुमेह शोध के अनुसार भारत में इस रोग का आनुवांशिक लक्षणों में पाया जाना बेहद चिंतनशील मुद्दा है। आज विश्व के लगभग ९५ % रोगी टाइप – २ मधुमेह से पीडि़त हैं , इसका मुख्य कारण लोगों का आवश्यकता से अधिक कैलोरी युक्त भोजन कर मोटापे का शिकार होना जबकि उनकी दिनचर्या में व्यायाम व योग का अभाव का होना है।
यही कारण है कि कम उम्र के लोगों में भी इस बीमारी का अतिक्रमण बहुत तेजी से देखा जा रहा है। रक्त ग्लूकोज शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है और कार्बोहाइड्रेट आंतों में पहुँचकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो अवशोषित होकर रक्त में पहुँचता है फिर इंसुलिन के माध्यम से रक्त द्वारा कोशिकाओं के भीतर प्रवेश करता है , इसी इंसुलिन की अनिवार्यता में कमी मधुमेह को जन्म देती है।
टाइप – १ मधुमेह बच्चों व युवाओं में अग्नाशय से इंसुलिन का स्राव न होना। टाइप – २ मधुमेह अधिक आयु के लोगों में अग्नाशय से कम इंसुलिन का उत्पन होना । इन दोनों ही परिस्थितियों में रोगी को जीवन पर्यन्त इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। इन जटिलताओं के कारण मधुमेह रोगियों में हृदयाघात , मूत्राशय व किडनी में संक्रमण व खराबी , आँखों की खराबी , कटे-जले घाव का ठीक न होना आदि बीमारियों का प्रभाव देखा जाता है।
इस बीमारी से बचाव के लिए हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है और जो इससे संक्रमित हैं उन्हें अपने खान-पान पर नियंत्रण तथा दैनिक जीवनचर्या में व्यायाम व योग को स्थान देने की परम आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक लगभग लाइलाज बीमारी है जिसे दवाओं व समझदारी से केवल नियंत्रित किया जा सकता है। खान-पान में गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन तथा तली-भूनी चीजों व शक्कर से परहेज करना चाहिए। स्वास्थ्यवर्धक चीजों का सेवन तथा शारिरिक व मानसिक परिश्रम करना चाहिए। आज के इस प्रदूषित वातावरण को देखते हुए यह सभी स्वास्थ्यवर्धक उपाय अपनाने की महती आवश्यकता हर रोगी व निरोगी दोनों प्रकार के व्यक्तियों हेतु अत्यंत आवश्यक है। इस गंभीर चिंतनशील बीमारी से बचने के लिए हमें स्वस्थ जीवनशैली, स्वास्थ्यवर्धक आहार, व्यायाम व योग को अपनाना होगा और वर्ष में एक बार रक्त परीक्षण भी जरुर करवाना चाहिए जिससे इस बीमारी से बचा जा सके।
रचनाकार – मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’