नई दिल्ली। भारत ने रवांडा के किगाली में 28 वीं पार्टिज बैठक में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) संशोधन पर सहमति की सराहना की है। किगाली समझौता विश्व के जलवायु परिवर्तन को कम करने के इरादे की पुष्टि करता है और साथ इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण पेश करता है। यह समझौता 01 जनवरी, 2019 से लागू होगा।
यह समझौता सामान्य सिद्धांत की पुष्टि करता है लेकिन जिम्मेदारियों और अपनी-अपनी क्षमताओं (सीबीडीआर एवं आरसी) के बीच अंतर करता है। भारत जैसे उच्च विकास की जरूरत वाली आर्थिक व्यवस्थाओं की जरूरतों को मान्यता देता है और उच्च वैश्विक ताप संभावना (जीडब्ल्यूपी) हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का वास्तविक और व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करता है।
इस अवसर पर पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल महादेव देव ने कहा ‘ हमारा रुख लचीला, उदार और महत्वाकांक्षी रहा। पूरा विश्व एक परिवार की तरह है और परिवार के एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते इस समझौते के समर्थन और इसके पोषण में हमने अपनी भूमिका निभाई।’
उन्होंने कहा कि भारत को बहुत खुशी है कि इस समझौते तक पहुंचने में उसने रचनात्मक, सहयोगात्मक और सकारात्मक भूमिका निभाई। इसके शुरू से अंत तक अन्य देशों के साथ काम करने के दौरान भारत ने खुले दिमाग और बहुत ही लचीलेपन का प्रदर्शन किया। इससे एक न्यायसंगत, एक समान और महत्वाकांक्षी समझौता हो सका जो हमारे लोगों, विकासशील देशों और विश्व के सर्वश्रेष्ठ हित में है।
इस समझौते को स्वीकार किए जाने के बाद पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव अजय नारायण ने कहा ‘हम किगाली में उदार भावना के साथ भारत, विकासशील देशों और दुनिया के लिए सर्वश्रेष्ठ सौदा करने के लिए आए थे। हमने उसे पा लिया।’
पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव और समझौते के मुख्य वार्ताकार मनोज कुमार सिंह ने बताया ‘हमने देश के हित की सुरक्षा के साथ एक महत्वाकांक्षी जलवायु समझौता हासिल है।’