Wednesday, November 27, 2024
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चीनी उत्पाद का बहिष्कार आसान नहीं…

इन दिनों चीनी सामानों का बहिष्कार का मसला बहुत तूल पकड़ रहा है। सीमा पर भी तनावपूर्ण माहौल है। हमें चीनी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बिल्कुल नहीं करना चाहिए, सही है बिल्कुल। लेकिन अगर आप ध्यान दें तो हमारे देश में चीनी उत्पाद ने बहुत गहरी पैठ बनाई हुई है। छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी चीज तक में चीनी बाजार फैला हुआ है।
जिस तरह जनता से अपील की गई चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए उसी तरह देश की सरकार से भी अपील होनी चाहिए कि चीनी सामानों का आयात बंद करें। चीनी व्यापारियों से जो समझौते हुए हैं वो रद्द करे। चीनी उत्पाद पर बैन लगाये। जब चीनी वस्तुएं उपलब्ध ही नहीं होंगी तो जनता स्वयं ही देशभक्ति की ओर अग्रसर हो जायेगी। स्वदेशी अपनाओ का नारा बहुत सही है तो स्वदेशी चीजों को प्रोत्साहन देकर विदेशी वस्तुओं के आयात पर रोक लगायें।

आखिर विदेशी चीजें व्यक्ति क्यों खरीदता हैं जाहिर है कि उनकी गुणवत्ता स्वदेशी चीजों से ज्यादा अच्छी होती है तो स्वेदशी चीजों की गुणवत्ता बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए। बाजार में  दाम और गुणवत्ता के हिसाब से उत्पाद की मार्केटिंग की जाये। विदेशी सामानों में मिलावट नहीं होती ऐसा नहीं है लेकिन फिर भी उनके ग्लैमर और क्वालिटी के कारण वो बाजार में ज्यादा चलते हैं और हम ज्यादा पैसा देकर उसे खरीदते हैं। स्वदेशी चीजों की गुणवत्ता बढ़ाने और विदेशी सामानों का आयात बंद हो तभी ये बहिष्कार संभव है।
स्वदेशी और आत्मनिर्भर बनने का नारा तब तक सफल होने में संदेह है जब तक लघु उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिलेगा।
मीडिया पर एक तरफ चीनी सामानों के बहिष्कार की बात होती है दूसरे पर चीनी उत्पाद का विज्ञापन दिखा दिया जाता है।  बाजार भी चीनी सामानों से अटा पड़ा है, आम आदमी की मजबूरी कहें या जरूरत उसे इन सामानों पर निर्भर रहना पड़ता है। आम आदमी की ही बात क्यों बड़ी – बड़ी कंपनियां भी इससे अछूती नहीं है। चीनी बायकॉट बनाम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम मुश्किलों से भरा हुआ है बल्कि चुनौतीपूर्ण भी है। जिस तरह से चीन टेक्नोलॉजी में हम से आगे है और उसका मुकाबला कर पाना हमारे लिए मुश्किल है। फिर भी आत्मनिर्भर बनने के लिए हमें साइंस और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना होगा। शिक्षा में ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिसमें सिर्फ डिग्री की खानापूर्ति ना हो बल्कि खोज और प्रयोग पर शिक्षा आधारित होनी चाहिए ताकि हमारे यहां टेक्नोलॉजी का विकास बढ़े।
विदेशों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए हैं और लोग उससे प्रभावित भी बहुत हो रहें हैं। इसी दिशा में पर्यटन एक बेहतर विकल्प है अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए। इस दिशा में बेहतर प्रयास किए जाने चाहिए और जर्जर होती व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जाना चाहिए। खेती किसानी, ग्रामीण रोजगार, घरेलू उत्पादों को बढ़ावा मिलना चाहिए। तभी हम आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकेंगे। -प्रियंका माहेश्वरी