उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सरकारी महकमों में हलचल देखी जा सकती है। लेकिन यह कबतक चलती रहेगी इस पर कुछ कहना उचित नहीं। हां, इतना तो जरूर है कि सरकारी महकमें में योगी चर्चा अवश्य सुनी जा सकती है। इसका दूरगामी परिणाम क्या मिलेगा इसपर भी कुछ कहना जल्दवाजी होगी, फिर भी अभी तक जो हुआ उस पर कुछ नहीं कहना उचित नहीं समझता लेकिन स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, स्कूली शिक्षा को रोजगारोन्मुख और गुणवत्तापरक बनाने के लिए योगी जी को कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि जगजाहिर है कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत गिर चुका है। अगर हमारी नौननिहाल पीढ़ी को सही शिक्षा नहीं मिलेगी तो अच्छे भविष्य की कल्पना काल्पनिक ही रहेगी। वहीं युवाओं को शिक्षित, रोजगार लायक और प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के व्यवसायिक घटक को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने की महती आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा अभियान सिर्फ कागजों या दीवारों के विज्ञापन मात्र बनकर रह गए हैं। इसमें शिक्षित और रोजगार लायक युवाओं के बीच के अंतर को भरने, माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वालों की दर कम करने और उच्चतर स्तर पर शिक्षण के दबाव को कम करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा के स्तर व गणवत्ता में सुधार करने पर योगी जी को पुनर्विचार करने की जरूरत है। ऐसा नहीं कि शिक्षा के स्तर के योगी जी अनभिज्ञ हैं। अभी तक सांसद होने के नाते उन्होंने ग्रामीण अंचलों के प्राथमिक स्कूलों के बारे में अवश्य जानकारी रखी होगी। अगर योगी जी सरकारी शिक्षण व्यवस्था को गुणवत्ता परक बनाने के लिए सार्थक कदम उठाएंगे तो न सिर्फ नौनिहालों का भविष्य अच्छा होगा बल्कि निजी संस्थानों के शोषण से भी मध्यम व निम्नवर्ग के लोगों को निजात मिलेगी। श्री योगी जी को उन शिक्षकों से जवाब लेने की जरूरत है जो हर माह हजारों रुपये वेतन डकार रहे हैं और जितने हजार रुपये उन्हें वेतन मिल रहा है उतने बच्चों को सही तरीके से पढ़ा भी नहीं रहे हैं।
गौर करने का तथ्य यह भी है कि देश के छात्रों को शैक्षिक समानता प्रदान करने के लिए 15 जुलाई, 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वायत्त संगठन – नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ ओपन स्कूलिंग ;एनआईओएसद्ध ने कौशल विकास और उद्यमियता मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के साथ समझौता ज्ञापन ;एमओयूद्ध पर हस्ताक्षर जरूर किए हैं। लेकिन सही क्रियान्वयन पर सवालिया निशान लगते दिख रहे हैं। आशा है कि देश की न सही लेकिन उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चुस्त करने के लिए योगी जी सार्थक प्रयास करेंगे और सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा।