राजनीतिक हास्यास्पद सोशल मीडिया पर बहुत शोर मचा रहा हैं। आज प्रत्येक युवा जो राजनीति की नीति के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते है वो भी सोशल मीडिया पर युवा नेता बनकर घूम रहे हैं, हालांकि यहां तक तो ठीक बात है कि युवा नेता बनकर घूम रहे लेकिन किसी एक दल का पूँछ पकड़कर दूसरे दलों से संबंधित लोगों से बिना जानकारी के अभाव में ही झगड़ा कर रहे हैं। ये यथार्थ बात है कि युवा को राजनीति में अवश्य शामिल होना चाहिए और देश के भविष्य की नींव को मजबूत करना चाहिए लेकिन इससे पहले ये भी उन युवा नेताओं को सोचना चाहिए कि उनके राजनीतिक ज्ञान की नींव मजबूत है अथवा नहीं!
अक्सर देखने को मिलता है कि राजनीति की नासमझ बहस के कारण कभी कभी युवा एक दूसरे के जानी दुश्मन भी बन जाते हैं और संकीर्ण सोच अथवा बदले की भावना में बहुत बड़ा गलत कदम भी उठा सकते हैं इसलिए युवाओं को सर्वप्रथम राजनीति का परिदृश्य समझना होगा उसके बाद राजनीति पर बहस अथवा लोगों को जानकारी दी जाए। राजनेता हमेशा युवा वर्ग का फ़ायदा उठाते हैं और उन्हें अपने जाल में फंसाकर चुनाव जीतने की नींव को मजबूत करते रहते हैं, यहाँ पर बहुत सारे युवा ऐसे होते हैं जो राजनेताओं की महत्वाकांक्षा को नहीं समझकर उनके कहे अनुसार कार्य करने लग जाते हैं और इसके लिए अपनों से भी झगड़ा कर देते है। सोशल नेटवर्किंग के जरिए आज नेताओं को चुनाव जीतने में आसानी हो रही है क्योंकि वो अपने क्षेत्र के युवाओं को प्रलोभन दे देते हैं या फिर देशभक्ति का महत्वाकांक्षी जुनून भर देते हैं और प्रचार प्रसार में लगा देते हैं। वैसे भी बहुत युवा हैं जो आवारा पशुओं की तरह उनके कहे अनुसार चलते रहते हैं लेकिन ये युवाओं के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है क्योंकि राजनेता तो चुनाव जीतने के बाद उनसे कभी मिलते भी नहीं है लेकिन उन युवाओं को तो अपने ही क्षेत्र में रहना है। इसलिए किसी पार्टी विशेष की पूँछ पकड़कर ना बैठे बल्कि उसके परिदृश्य को भी समझे। ज्यादातर युवा अनायास फेमस होने की चाह में पूरे दिन सोशल मीडिया पर राजनीतिक ज्ञान देते रहते हैं ताकि उनको लगता है इससे लोग उनको बड़ा राजनीतिज्ञ समझेंगे लेकिन यथार्थ में तो लोग उनको आवारा ही समझते हैं। युवाओं राजनीति के लिए अपने संबंध खराब मत करों क्योंकि राजनीति में तो पल पल में दलबदल का परावेश हैं। आप तो अपने नेता के साथ अपनी पार्टी की प्रसंशा करते ही होगे और आपका नेता दूसरी पार्टी में चला जाएगा तब अपना ज्ञान कहाँ रखोगे?
हाँ राजनीति में सक्रिय अवश्य रहिए उसमें शामिल भी हो लेकिन उससे पहले उसको भलीभाँति जांच परख ले वर्ना हो सकता आपको शर्मिंदा भी होना पड़े।
कवि दशरथ प्रजापत