Sunday, November 24, 2024
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नैतिक शिक्षा से जीवन की नैया को लगाई जा सकती है पारः जेलर

2017.04.01 02 ravijansaamnaउधार लेना व जिसका लिया उसको वापस न करना, जुआ खेलना तथा बुरी संगत वाला व्यक्ति कभी भी पनपता नही: सरदार मेहर सिंह
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिला कारागार के प्रांगण में हरियाणा सिरसा से पधारें समाजसेवी व नैतिक शिक्षा विशेषज्ञ सरदार मेहर सिंह ने बन्दियों को नैतिक शिक्षा के तहत आयोजित कार्यक्रम में पुरूष व महिला बन्दियों को नैतिक शिक्षा, अनुशासन आदि के महत्व को बताते हुए कहा कि अच्छी संगत, अच्छी किताबों का अध्ययन, अनुशासित जीवन व रचनात्मक तथा सकारात्मक कार्यों से अपना विकास होने से भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि उधार लेना व जिसका लिया उसको वापस न करना, जुआ खेलना तथा बुरी संगत वाला व्यक्ति कभी भी पनपता नही है। गरीबी किसी के भाग्य में नहीं लिखी होती है बुरी संगत, नशाखोरी, बड़ा परिवार, आलस्य डिस्क्रिएटिविटी, सोच, गरीबी व दरिद्रता की ओर ले जाती है। नशा स्वयं के साथ परिवार को भी नष्ट करता है। मेहर सिंह ने भगवान गौतमबुद्ध व देव समाज के उपदेशों को सुनाते हुए कहा कि जीवन व मृत्यु एक सच है। कोई भी घटना होती है या गरीबी होती है, कोई बीमारी होती है, या कोई अपराध होता है उसका एक कारण होता है और उस कारण को दूर करना चाहिए। बुराईयों को पनपने नहीं देना चाहिए। गौतम बुद्ध ने कहा है कि संसार दुखों का सागर है। हर दुःख का एक कारण होता है, जिसका निवारण जरूरी है। कारागार में सकुशल रहें, परस्पर एक दूसरे का आदर भाईचारा बढ़ाने के साथ ही साथ कारागार के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा बताये गए सुधारात्मक रचनात्मक व सकारात्मक कार्यों को अमल में लाएं। देव समाज स्कूल के प्रबन्धक, धावक व वरिष्ठ समाजसेवी के0एस0 चैहान ने माता-पिता के महत्व को बताते हुए कहा कि माता-पिता कष्ट सहते हुए बच्चों को आगे बढ़ाते हैं। कोई ऐसा कार्य नहीं करना है चाहिए जिससे उन्हें कष्ट हो। समाजसेविका कंचन मिश्रा ने कहा कि नैतिक शिक्षा का पाठ बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए लाभदायक है। मुलाकाती परिजनों से मुलाकात के दौरान नैतिक शिक्षा के महत्व आदि की चर्चा के साथ ही साथ नशाखोरी, रिश्वतखोरी, बुरी संगत आदि से दूर रहने की सलाह दें। परिजनों को छोटे-बडे़ भाई-बहनों की शिक्षा की भी जानकारी लें। सच बोलना, ईमानदारी, रचनात्मक कार्यों के करने से आदमी की कीमत बढ़ती है। कारागार अधीक्षक अरूण कुमार सिंह तथा जेलर राजेश पाण्डेय ने भी नैतिक शिक्षा को अपनाने से जीवन की नैया बेहतर पार लग सकती है। रूचि शर्मा ने सुख दुख दोनो रहते है, जीवन है एक नाव, कभी धूप कभी छांव‘‘ सहित अग्रिमा पाण्डेय व मीरा पाण्डेय ने भी गीत सुनाकर महौल को जीवान्त किया। इस मौके पर चंडीगढ से आये सरदार दर्शन सिंह, पंचकुला के धर्म सिंह चैहान, संगरौर के डा. नवजोत सिंह, पृथ्वीपाल, देवसमाज स्कूल प्रधानाचार्य सुभाष शर्मा, एडी सूचना प्रमोद कुमार सहित बड़ी संख्या में कारागार कर्मी सहित कारागार महिला पुरूष बन्दी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।