पीयूष गोयल ने खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) का शुभारंभ किया
नई दिल्ली। केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) की शुरूआत की। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने 13 राज्यों में मीडिया के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक के माध्यम से बातचीत की और एमएसएस के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
एमएसएस एक उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य जनता की भागीदारी के माध्यम से स्वचालित रिमोट सेंसिंग खोज प्रौद्योगिकी के उपयोग से अवैध खनन गतिविधियों का पता लगाकर उन्हें रोकना और एक जिम्मेदार खनिज प्रशासन की स्थापना करना है।
खान मंत्रालय ने देश में अंतरिक्षि प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिये भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के माध्यम से एमएसएस विकसित किया है। इसे विकसित करने में भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशंस एण्ड जियो दृ इनफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी) गांधीनगर और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का सहयोग लिया गया है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया, एमएसएस दुनिया में विकसित ऐसी पहली निगरानी प्रणाली है जिसमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी करने की वर्तमान प्रणाली स्थानीय शिकायतों और अपुष्ट जानकारियों पर आधारित है। इस तरह की शिकायतों पर की गई कार्रवाई की निगरानी के लिए कोई भी मजबूत प्रणाली उपलब्ध नहीं है।
शासन और विकास में अंतरिक्ष आधारित उपकरणों और अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में 7 सितंबर, 2015 को आयोजित राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करने हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुशासन को अर्जित करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान की भूमिका पर जोर देते हुए सभी विभागों से कहा था कि वे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रभावी इस्तेमाल का पता लगायें।
प्रधानमंत्री के निर्देशों के बाद, एमएसएस में खनन पट्टों के खसरा मानचित्रों को भू-संदर्भित किया गया है। भू-संदर्भित खनन पट्टों कोकार्टोसैट और यूएसजीएस से प्राप्त नवीनतम उपग्रह रिमोट सेंसिंग दृश्यों पर सुपरइंपोज किया जाता है। यह प्रणाली मौजूदा खनन सीमा के आसपास के 500 मीटर के क्षेत्र की किसी भी असामान्य गतिविधि की जांच करती है क्योंकि ऐसी गतिविधियां अवैध खनन की हो सकती हैं। अगर ऐसी कोई भी विसंगति पाई जाती है तो इसकी ट्रिगर के रूप में जानकारी मिलती है।
स्वचालित सॉफ्टवेयर ईमेज प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकी का अनधिकृत गतिविधियों पर स्वयं ही संकेत भेजने शुरू कर देती हैं।इन संकेतों का आईबीएम के एक रिमोट सेंसिंग नियंत्रण केंद्र में अध्ययन किया जाएगा और उसके बाद सत्यापन के लिए उस क्षेत्र के जिला स्तर के खनन अधिकारियों को प्रेषित कर दिया जाएगा। ऑपरेशन में अवैधता की जांच की जाती है और एक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके पुनः सूचना भेज दी जाती है।
एक सरल मोबाइल एप्लिकेशन बनाया गया है जिसका उपयोग कर अधिकारीगण अपनी निरीक्षण की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कर सकते हैं। मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर नागरिक जन भी असामान्य खनन गतिविधि की रिपोर्ट कर सकते हैं इससे भागीदारी की निगरानी प्रणाली की स्थापना हो सकेगी।
एमएसएस के तहत एक कार्यकारी डैशबोर्ड भी बनाया गया है जो एक निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में काम करेगा। इस डैशबोर्ड का उपयोग करके अधिकारीगण देश भर के सभी प्रमुख खनिज खनन पट्टों खनन पट्टों की मैपिंग की वर्तमान स्थिति, ट्रिगर्स के कारण, उत्पन्न ट्रिगर्स से संबंधित निरीक्षणों की स्थिति, लगाया गया दण्ड इत्यादि की विवेचना कर सकते हैं।
सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी परआधारित निगरानी प्रणाली के लाभ इस प्रकार हैं-
पारदर्शी (सार्वजनिक प्रणाली के लिए एक पहुँच प्रदान किया जाएगा) पूर्वाग्रह-मुक्त और स्वतंत्र (सिस्टम नहीं मानव हस्तक्षेप किया है) रोकथाम (आसमान से निगरानी) शीघ्र प्रतिक्रिया और कार्रवाई ( खनन क्षेत्रों में नियमित रूप से नजर रखी जाएगी, संवेदनशील क्षेत्रों पर अधिक नजर रखी जाएगी) प्रभावी आगे की कार्यवाही (ट्रिगर्स पर कार्रवाई का विभिन्न स्तरों परफॉलो-अप किया जा सकेगा जैसे डीएमजी, राज्य खनन सचिव, आईबीएम के राज्य कार्यालय और मुख्यालय,खनन मंत्रालय, भारत सरकार)।
भारत में प्रमुख खनिजों के कुल 3843 खनन पट्टे हैं। जिसमें से 1710 कार्यरत खानें और 2133 गैर कार्यरत खानें हैं। अधिकांश कार्यरत खानों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। गैर कार्यरत खानों के डिजिटलीकरण का प्रयास राज्य सरकारों के माध्यम से किया जा रहा है जो अगले तीन महीनों में पूर्ण कर लिया जाएगा।
प्रारंभिक चरण में, एमएसएस सॉफ्टवेयर में 296 ट्रिगर्स दर्ज किये गए हैं जो सभी राज्यों में 3994.87 हेक्टेयर के कुल क्षेत्र से उत्पन्न हुए हैं और इस प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। सफल ट्रिगर्स की राज्यवार संख्या निम्न है मध्य प्रदेश (46), गोवा (42), कर्नाटक (35), गुजरात (32), आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु (29 प्रत्येक), राजस्थान (23), ओडिशा (20 के रूप में संक्षेप किया जा सकता ), हिमाचल प्रदेश (11), महाराष्ट्र (8), मेघालय (7), छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (6) और झारखंड (2)।
राज्य सरकारों के साथ गठबंधन में गौण खनिजों के लिए इसी तरह की एक प्रणाली शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। हरियाणा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के राज्यों को एक पायलट परिक्षण के लिए चुना गया है।एमएसएस कोभू-सूचना विज्ञान केनेशनल सेंटर पोर्टल पर होस्ट किया गया है।