डाक्टरों को धरती का भगवान माना जाता है और उनका क्षेत्र यानीकि चिकित्सा क्षेत्र सेवा का क्षेत्र कहा जाता है। लेकिन यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि चिकित्सा का क्षेत्र अब सेवा का नहीं बल्कि व्यापार का क्षेत्र बन चुका है, बने भी क्योंकि ना…? सवाल मेरे मन में उठा कि जब लाखों रूपये खर्च कर डाक्टरी की पढ़ाई की है तो डाक्टर बनने वालों का शायद यही पहला उद्देश्य रहेगा कि पहले लागत को क्यों ना वसूला जाये…? इसके बाद समाजसेवा कर ली जायेगी।
वहीं हमारे देश के ज्यादातर अभिभावकों की चाह भी यही होती है कि मेरे बेटे या बेटी अच्छी शिक्षा पाये और अच्छा धन कमाये, इसीलिए वो अपनी सन्तानों को शिक्षित करने के लिए भारी भरकम रकम खर्च करते हैं। और जब भारी भरकम रकम खर्च कर डिग्री ली जायेगी तो फिर उसके बाद सेवा भाव करने की बात महज एक बेमानी ही कही जायेगी। जो लोग डाक्टर बन जाते हैं चाहे वो सरकारी अस्पताल में स्थान पायें या निजी अस्पताल खोलें उनका पहला उद्ेश्य यही रहता कि जो खर्च किया गया है उसे कमाया जाये। इसलिए उनमें चिकित्सा क्षेत्र में सेवा भाव नहीं बल्कि व्यापार पहले दिखता है।
वहीं सूबे के नये मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने चिकित्सकों से कहा है कि वो सेवा भाव से की तरह काम करें तो योगी जी को पहले पहल तो चिकित्सा क्षेत्र की शिक्षा की ओर ध्यान देना होगा कि डाक्टरी व इससे सम्बन्धित सभी शिक्षाएं व डिग्रियां लेना सस्ता करें या चिकित्सा क्षेत्र की पढ़ाई करने वालों को सुविधायें उपलब्ध करवायें और महंगी फीस की ओर ध्यान दें। जब चिकित्सा क्षेत्र में रुचि रखने वालों को शिक्षा व सुविधा सस्ती या मुफ्त मिलेगी तो शायद उनसे समाजसेवा का काम लेना उचित रहेगा वर्ना ऐसा सम्भवव ही नहीं । महंगाई के दौर में लाखों का खर्च कर समाज सेवा करना मतलब घर फूंक तमाशा देखने वाली कहावत को ही चरित्रार्थ करने के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि डाक्टरी की शिक्षा लेना शायद हर किसी के बस की बात नहीं। इस लिए योगी जी को चाहिए कि पहले चिकित्सकीय क्षेत्र की शिक्षा को सुलभ व सस्ता करवाने पर जोर दें और जब इस ओर कुछ सुलभता मिलेगी तो डाक्टरों से सेवा का कार्य लेना शायद कुछ सार्थक हो सकता है। वहीं योगी जी को चाहिए कि चिकित्सा ही नहीं अपितु हर शिक्षा क्षेत्र में निजी कालेजों की मनमानी रोकें और सूबे के परिवारों को निजी प्रबन्धतंत्रों के शोषण से बचाने के लिए कठोर कानून बनाएं क्योंकि कालेजों की मनमानी के तथ्य किसी से छिपे नहीं हैं। शिक्षा के हर क्षेत्र में सस्तापन व सुलभता जरूरी है ताकि बच्चे अच्छी शिक्षा पायें और जब उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी तो सूबे का ही नहीं बल्कि देश का भविष्य अच्छा रहेगा।