ईवीएम से घपले की खबर एमपी से हुई वायरल तो बसपा के दावे को मिली ताकत
कानपुर के पूर्व आईआईटीयन ने कहा ईवीएम भारत के लोकतंत्र को खत्म कर देगी
कानपुर, पंकज कुमार सिंह। कोई कुछ भी कहे। कितनी भी दलींले दे। लेकिन ईवीएम (इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन) कठघरे से बाहर नहीं आ पा रही है। हाल ही में हुए देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ईवीएम से गड़बड़ी के आरोप तो लग ही रहे हैं साथ ही चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली भी संदेह के घेरे में आ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा ईवीएम को लेकर उठाए गए सवालों को भी धार मिल रही है। गौरतलब है कि हाल ही में मध्यप्रदेश में उपचुनावों की तैयारी के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की खबर सामने आईं। इसमें जो मामला प्रकाश में आया उसमें भिण्ड में मौक टेस्ट के दौरान ईवीएम से जुड़ी वीवीपीएटी मशीन कथित तौर पर कमल के फूल निशान वाली पर्ची ही निकाल रही थी। इस दौरान मौंके पर मुख्य निर्वाचन पीठाधिकारी उपस्थिति थीं। आरोप है कि ईवीएम बटन किसी भी चुनाव चिन्ह का दबाए लेकिन वोट के लिए कमल के फूल वाली पर्ची ही निकली। यह देख मुख्य निर्वाचन पीठाधिकारी सलीना सिंह अवाक रह गई उन्होंने मौके पर मौजूद लोगों को कथित तौर पर यह कहते हुए धमकाया कि खबर छपी तो थाने भिजवा दूंगी। इस पूरे प्रकरण का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है। ऐसे में बसपा ने इसे पक्के सबूत के तौर पर लिया है। आम आदमूी पार्टी (आप) नेता व दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल, समावादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव, नेता विपक्ष गुलामनवी आजाद, जेडी(यू) नेता शरद यादव, कांगे्रस नेता दिग्विजय सिंह सहित देश के कई बड़े नेताओं ने ईवीएम के खिलाफ आवाज बुलन्द की है। इससे पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवानी भी ईवीएम पर सवाल उठा चुके है इसी के साथ भाजपा नेता सुब्रमण्ययम् स्वामी ने भी ईवीएम पर प्रतिबन्ध को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में वाद दाखिल कर चुके है। जहां सर्वोच्च न्यायालय ने भी ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकने पर सहमति जताते हुए ईवीएम से वीवीपीएटी मशीन जोड़कर वोट पर्ची के लिए आदेश दे चुका है। यूपी के विधानसभा चुनावों में पूर्णतः वीवीपीएटी मशीन का प्रयोग नहीं किया गया। इसको लेकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है। जबकि चुनाव अयोग ईवीएम में गड़बड़ी की बात से इंकार कर रहा है। बुधवार को संसद में भी विपक्ष ईवीएम के खिलाफ लामबन्द रहा। बसपा प्रमुख मायावती ने मोर्चा सम्भाला।
ईवीएम की जांच से किनारा क्यों कर रहा चुनाव आयोग?
ईवीएम को लेेकर देश भर में विरोध तेज हो चला है। ईवीएम वर्षों से कटघरे में है। मामला सुप्रिम कोर्ट तक पहुंचा है। सुप्रिम कोर्ट में भी ईवीएम संदेह के घेरे में ही रही। विधानसभा चुनावों में भी कई क्षेत्रों में वोटों को लेकर ईवीएम की गड़बड़ी अखबारों की सुर्खियों बनीं। फिर भी चुनाव आयोग और सरकार ईवीएम की जांच को तैयार नहीं है और न ही इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जाँच की मांग स्वीकारी गई है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक पार्टिंया और कई बड़े नेता जांच की मांग कर रहे हैं।लोकतंत्र पर भरोसा कायम रखने के लिए जरूरी है।
आखिर भिण्ड के अफसरों पर कर्रवाई क्या दर्शा रही?
भिण्ड में मौक टेस्ट के दौरान ईवीएम से जुड़ी वीवीपीएटी मशीन से कथित कमल का निशान वाली पर्ची ही निकाल रही थी। जब इस प्रकरण का वीडियो वायरल हुआ तो इसकी कर्रवाई में भिण्ड के कलेक्टर और एसएसपी के खिलाफ कर्रवाई की गई। इसके साथ रह प्रकरण भी चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर से यह बात सामने आई है कि चुनाव आयोग के अधिकारियों का यह बयान है कि भिंड में बार बार बीजेपी की पर्ची निकालने वाली ईवीएम का इस्तेमाल आखिरी बार यूपी के विधानसभा चुनावों के दौरान कानपुर में हुआ था।
ईवीएम देश के लोकतंत्र के लिए खतरा: प्रो.पाल
ईवीएम के मुद्दे पर आईआईटी कानपुर के पूर्व रिसर्च स्काॅलर और कानपुर विश्वविद्यालय के यूआईईटी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीएन पाल ने चुनावों में ईवीएम से घपला होने की बात का समर्थन किया है। उन्होंने कहा हैे कि ईवीएम में गड़बड़ी तो की ही जा सकती है। उन्होंने ईवीएम को भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद नुकसानदेय बताया और कहा ईवीएम से लोगों का विश्वास उठ गया है। ऐसे में लोग वोट डालने ही कतराएंगे। ऐसे तो ईवीएम लोकतंत्र को खत्म कर देगी।
हम लड़ेंगे और ईवीएम का विरोध करेंगेः प्रशांत सिंह
बसपा कानपुर जिलाध्यक्ष प्रशांत सिंह दौहरे ने कहा है कि विधानसभा चुनावों में हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। ईवीएम में गड़बड़ी कर बसपा प्रत्याशियों को हराया गया है। हम इस धोखे के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे और ईवीएम के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि आगामी 11 अप्रेल को नानाराव पार्क में यूपी विस चुनाव रद्द करने की मांग के साथ ईवीएम को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए बैठक कर रणनीति तय की जा रही है।
ईवीएम से कोई फायदा नहीं
लोगों का तर्क है कि गड़बड़ी के आरोपों पर ईवीएम से मतदान की पुनः गिनती नहीं हो सकती है। ईवीएम से केवल वोटों की गिनती ही जल्दी हो जाती हैं। ऐसे में जहां घपलों की आशंका हो तो ईवीएम के स्थान पर पूर्व की चुनाव पद्धति वैलेट पेपर का इस्तेमाल होना चाहिए। इसके लिए अमेरिका, रूस, जापान, चीन, जैसे कई विकसित देशों का हवाला भी लोग दे रहे है जहां ईवीएम प्रतिबन्धित है।