कोरोना वायरस (कोविड-19) से उपजी महामारी से मौत का आंकड़ा भले ही कुछ कम दिख रहा हो, लेकिन फिलहाल ऐसे संकेत नहीं दिख रहे कि उस पर लगाम कब तक लग जायेगी? जब अभी कोई ऐसे संकेत नहीं दिख रहे कि कोरोना का संक्रमण थम रहा हो तो किसी भी स्तर पर ढिलाई करना कतई उचित नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर जो भी कदम उठा रहीं वो उनकी कोशिश है लेकिन आम आम हो खास सभी को अपने स्तर से सतर्कता रखने की आवश्यकता है।
यह कतई ठीक नहीं है कि लाॅकडाउन से छूट मिलने के साथ ही लोगों की लापरवाही भी बढ़ती दिख रही है। शायद इसी का नतीजा कह सकते हैं कि अब हर दिन हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं। सावर्जनिक स्थलों पर एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाने और मास्क का सही ढंग से उपयोग करने में लापरवाही का ही नतीजा है और यह लापरवाही उन प्रयासों पर पानी फेरने का ही काम कर रही है, जिसके तहत सरकारें अधिक से अधिक लोगों का कोरोना परीक्षण कर रही हैं। वहीं प्रतिदिन संक्रमित होने वालों की संख्या में भले ही कुछ कमी आती दिख रही है और संक्रमण की चपेट में आए मरीजों के ठीक होने की दर भी बढ़कर 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इसका यह मतलब नहीं कि छूट का नाजायज फायदा उठाया जाये और किसी की जानमाल से खिलवाड़ करने दिया जाये।कोरोना पीड़ितों की संख्या की तुलना में ठीक हो रहे लोगों की संख्या के आंकड़ों से यह उम्मीद तो जग रही है कि आखिरकार कोरोना परास्त होगा, लेकिन इसे भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं कि कोरोना से संक्रमित मरीज अकाल ही मौत के मुंह में समा रहे हैं। पहले पहल तो यह कहा जा रहा था कि कोरोना से सिर्फ बुजुर्गों व बच्चों को ही खतरा है लेकिन मिले परिणामों से चिंता की बात यह है कि कोरोना की चपेट में सभी आयु वर्ग के लोग आ रहे हैं। ऐसे में पूरे देश में लोगों को सतर्क रहने व उनमें सतर्कता का स्तर बढ़ाने और संदिग्ध संक्रमित मरीजों की पहचान करने की भी महती आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना अभी जल्द में खत्म होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में अच्छा यह रहेगा कि कोरोना के प्रति भय का माहौल ना बनाया जाये बल्कि उसके प्रति सतर्क रहने पर जोर दिया जाये, जागरूकता अभियान चलाया जाये जिससे कि लोगों की जानमाल की रक्षा हो सके।