कोरोना महामारी की चपेट में कई देश आये और उनमें से कई देशों में इस महामारी ने अपना कहर बरपाया। भारत में कोरोना के चलते तमाम लोग बेरोजगार हुए तो अनेकों परिवार पलायन कर गये। इस दौरान पलायप के ऐसे नजारे देखने को मिले जो शायद अकल्पनीय थे। कोरोना से बचाव के लिये अनेक सावधानियां बरतने के लिये कई तरह के उपाय बताये गये तो कई कदम भी उठाये गये। लेकिन कोरोना का बढ़ता संक्रमण अभी भी किसी चुनौती से कम नहीं दिख रहा है।
इसी को देखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को नए सिरे से इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर सुझाव दिया गया है। बावजूद इसके कई राज्यों में हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और कोरोना के मरीजों की संख्या में बेतहासा वृद्धि देखने को मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह शायद यह है कि लोग सार्वजनिक स्थानों, समारोहों व कार्यक्रमों में जरूरी सजगता का परिचय नहीं दे रहे है?
देश के प्रधानमन्त्री भी कोरोना से बचाव के लिये वैक्सीन आने का हवाला दे रहे हैं और बार बार अपने भाषणों से यही संदेश दिया करते हैं। ऐसे में जब यह स्पष्ट है कि वैक्सीन आने तक कोई उपाय नहीं है तो सवाल यठता है कि ऐसे वातावरण में सजगता और सतर्कता के प्रति लापरवाही क्यों? वहीं मास्क पहनने जैसी बुनियादी अपेक्षा के प्रति भी लोगों में अब गंभीरता नहीं दिखाई पड़ रही है। यह आचरण भी कोरोना महामारी से छिड़ी लड़ाई को कमजोर बना रहा है। चूंकि यह साफ होता जा रहा है कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई अभी और लंबी चलने वाली है तो ऐसे में लोगों को चाहिये कि सार्वजनिक स्थानों, कार्यक्रमों में सतर्कता रखें, लापरवाही कदापि ना बरतें, क्योंकि लापरवाही भरा आचरण किसी पर भी महंगा पड़ सकता है।