केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा कुप्रथाओं के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाए जाने की जरूरत- एड किशन भावनानी
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनेक चैनलों पर एक लंबे अरसे से हम देख रहे हैं कि रात करीब क़रीब 12:00 बजे से एक टीवी प्रोग्राम वार्ता के रूप में दिखाया जाता है, जिसमें दवाइयां, कोई अलौकिक चमत्कारी तावीज,कोई भगवान का स्वरूप, या इस प्रकार की अनेक वस्तुओं का जो उनके द्वारा निर्मित होती है, प्रचार प्रसार करके उनका बखान सुनाते हैं और जनता या दर्शकों को वह चमत्कारी व तथाकथित शक्तियों से भरपूर वस्तुएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों द्वारा कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही, एक डिस्क्लेमर दिखा दिया जाता है।फिर भी अनेक दर्शक इनकी बातों में विश्वास कर उपरोक्त, तथाकथित अलौकिक शक्तियों से भरपूर वस्तुएं ले लेते हैं हालांकि इस प्रकार के कार्यक्रमों और विज्ञापन पर कानूनी दांवपेच जो अपने अपने कानूनी सलाहकारों के सहयोग से कानूनी धाराओं में नहीं आने की गुंजाइश को मजबूत करके रखते हैं, और इस तरह की वाणी का उपयोग करते हैं कि काम भी बने और आंच भी ना आए इत्यादि अनेक बड़े बुजुर्गों की कहावतों में इस प्रकार की व्यवस्था फिट बैठती है।… इससे संबंधित एक मामला माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट के औरंगाबाद बेंच में,2 सदस्यों की एक बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति तानाजी नरवाडे और माननीय न्यायमूर्ति मुकुंद सेवलिकर की बेंच के सम्मुख आया, क्रिमिनल रिट पिटिशन क्रमांक 459/2015 राजेंद्र बनाम यूओआई हस्ते,सचिव इंफॉर्मेशन ब्रॉडकास्टिंग मंत्रालय दिल्ली तथा महाराष्ट्र राज्य हस्ते, मुख्य सचिव गृह विभाग मुंबई सहित 19 अन्य रेस्पोंडेंट, और सुनवाई के बाद उस मामले को 16 दिसंबर 2020 को आदेश के लिए सुरक्षित रखा गया था। जिस पर,मंगलवार दिनांक 5 जनवरी 2021 को माननीय बेंच ने 27 पृष्ठों और 28 पॉइंटों में अपना आदेश सुनाया आदेश कॉपी के अनुसार उन वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगा दी हैं,जो टेलीविजन विज्ञापन केमाध्यम से यह दावा करती है कि उनके पास चमत्कारी याअलौकिक शक्तियां हैं।बेंच ने यह भी कहा है कि इस तरह के विज्ञापन का प्रसारण करने वाला टीवी चैनल महाराष्ट्र प्रतिबंध और मानव बलि और अन्य अमानवीय,बुराई और अघोरी प्रथाओं की रोकथाम और काला जादू कानून, 2013 के प्रावधानों के तहत उत्तरदायी होगा। बेंच ने राज्य को यह भी निर्देश दिया है कि वह उन व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करे, जो इस तरह के विज्ञापन कर रहे हैं और इस तरह के लेख बेच रहे हैं। मामला न्यायालय के समक्ष याचिका में टीवी चैनलों पर विज्ञापन के प्रसारण को रोकने की मांग की गई थी जिसके द्वारा हनुमान चालीसा यंत्र जैसे लेखों की बिक्री को बढ़ावा दिया गया था याचिकाकर्ता ने अपनी दलील के माध्यम से कहा कि वह टीवी चैनलों पर विज्ञापनों के माध्यम से आए थे,जो प्रचारित कर रहे थे कि हनुमान चालीसा यंत्र में विशेष,चमत्कारी और अलौकिक गुण/गुण थे, जिसे विज्ञापनदाता बेच रहा था।दलील में कहा गया है कि विज्ञापन का उद्देश्य उक्त यंत्र की बिक्री को बढ़ावा देना है। यह तर्क दिया गया कि यह एक गलत प्रचार और यह प्रचार उन व्यक्तियों का शोषण करने के लिए किया गया था, जो स्वभाव से अंधविश्वासी हैं और उनका शोषण करते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह गलत प्रचार किया गया कि यंत्र एक बाबा मंगलनाथ द्वारा तैयार किया गया था, जिन्होंने सिद्धि (कुछ भी करने की क्षमता) हासिल की थी।यह कहा गया कि झूठे प्रचार में यह भी कहा जाता है कि बाबा के पास भगवान का आशीर्वाद है और इस विज्ञापन में कहा गया कि यन्त्र को घर पर लाना स्वयं भगवान को घर लाने जैसा था और जो यह दावा कर रहा था कि भगवान के साथ यह महसूस कर रहा था कि उसे और भगवान उसे हर तरह की सुरक्षा दे रहे थे। यहां तक कि बड़ी फिल्मी हस्तियों को भी दिखाया गया और उनके अनुभवों को भी उद्रघुत किया गया था व..न्यायालय के अवलोकन बेंच ने काले जादूअधिनियम की धारा 3 का उल्लेख किया और टिप्पणी की कि हनुमान चालीसा यंत्र, जो एक लटकन की तरह है, जैसे लेखों को बेचकर लोगों से पैसे कमाना आसान था। [नोट:अधिनियम की धारा 3 (1) में कहा गया है, कोई भी व्यक्ति मानव बलिदान और अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथाओं और काले लोगों को बढ़ावा देने, उनका प्रचार या अभ्यास करने के लिए या तो स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से नहीं करेगा। इस अधिनियम में संलग्न अनुसूची में उल्लिखित या वर्णित जादू।] न्यायालय ने उल्लेख किया कि विज्ञापन में उल्लिखित गुणों से पता चलता है कि इसके उन गुणों के बारे में दावा किया गया था, जो विशेष,चमत्कारी और अलौकिक हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि विक्रेता यह साबित नहीं कर सकता है कि वास्तव में यत्र में वे सभी गुण हैं, जो विज्ञापन में बताए गए हैं। इस सम्बन्ध में कोर्ट ने अनेक निर्देश जारी किए…राज्य सरकार को यह भी देखने के लिए निर्देशित किया गया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन)अधिनियम,1995 के तहत केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए प्राधिकरण के समन्वय में टीवी चैनलों पर इस तरह के विज्ञापन का प्रसारण तुरंत रोक दिया जाता है।यदि ऐसा कोई अधिकार नहीं है, तो केंद्र सरकार को एक महीने के भीतर इस तरह के प्राधिकरण की नियुक्ति करने के लिए कहा गया है और यदि इस अवधि के भीतर इस तरह के प्राधिकरण की नियुक्ति नहीं की जाती है, तो राज्य सरकार को महाराष्ट्र ब्लैक मैजिक अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग करने का हकदार बनाया गया है। 2013 में इस तरह के विज्ञापन के प्रसारण को रोकने के लिए।इस फैसले को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस फैसले की तारीख से 30 दिनों के भीतर इस न्यायालय को सूचित करें।
-कर विषेशज्ञ एड किशन भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र