हाथरस, नीरज चक्रपाणि। जब से रामवीर सिंह परमार भाजपा के जिलाध्यक्ष बने हैं तब से उन्हें हटवाने का षड्यंत्र सुनियोजित रूप से चल रहा है। इसमें अब तक जिले के बड़े पद पर आसीन एक भाजपा जनप्रतिनिधि का नाम आता रहा है किन्तु अब इसमें कुछ और नाम जुड़ गए हैं। सूत्रों की मानें तो नवनिर्वाचित भाजपा के एक सदरान जनप्रतिनिधि के अलावा एक पूर्व जिला महामंत्री का नाम भी सामने आ रहा है, मजेदार बात यह है कि जिलाध्यक्ष को हटाने की मुहिम में जुड़े ये दोनों नेता दलबदलू हैं और जिस महिला नेत्री ने जिलाध्यक्ष पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है वह इनके बहुत करीबी मानी जाती हैं। जिले में भाजपा पिछले दस वर्ष के इतिहास पर नज़र डालें तो यहां उसका कोई विशेष वजूद नहीं रहा। सूत्र बताते हैं कि यहां के एक प्रभावशाली बसपा नेता के आगे भाजपा के अच्छे-अच्छे पहलवानों ने घुटने टेक दिये थे या फिर यों कहें कि जिले की भाजपा बसपा के इन्हीं कद्दावर नेता के इशारों पर चला करती थी। लेकिन संघ के पूर्व जिला कार्यवाह रामवीर सिंह परमार के भाजपा जिलाध्यक्ष बनने से इनके मंसूबों पर पानी फिर गया और एक कर्मठ और निष्ठावान जिलाध्यक्ष को हटवाने की सुनियोजित व्यवस्था की गई। कभी जिला कार्यकारिणी में किसी समाज को उचित प्रतिनिधित्व न मिलनें के नाम पर तो कभी परमार की कमजोर आर्थिक स्थिति के नाम पर किसी न किसी तरह विरोध कराया जाता रहा। प्रदेश के बड़े पदाधिकरियों का भी इस सम्बन्ध में जिले में आगमन हुआ, जांचें हुईं पर ‘सांच को आंच कहां’ और रामवीर सिंह परमार अपनी जगह पर खरे साबित हुए।चुनाव के बाद जिलाध्यक्ष की मेहनत और मोदी लहर के कारण अब भाजपा के दो जनप्रतिनिधि और बढ़ गए। जिनमें एक जनप्रतिनिधि पूर्व में जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और संगठन की समझ व सूझबूझ के कारण वह विवादों में नहीं हैं। किन्तु भाजपा में दलबदलुओं का दबदबा इस कदर है कि समस्त नैतिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर इन्होंने सुनियोजित साजिश रचकर जिले की एक महिला नेत्री से एक कर्मठ और चरित्रवान जिलाध्यक्ष पर छेड़छाड़ करने के आरोप लगवा दिये और जिलाध्यक्ष के ख़िलाफ कोतवाली में तहरीर भी दिलवा दी। सूत्रों का मानना है कि जैसे ही यह ख़बर मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई तो कोई भाजपा कार्यकर्ता या आम जनता इस पर यकीन करने को तैयार नहीं हुई बल्कि उल्टा आरोप लगाने वाली नेत्री के बारे में ही खरीखोटी सुनाईं। सच्चाई पुलिसिया जांच के बाद सबके सामने आ ही जायेगी, वैसे यह पब्लिक है सब जानती है। जिले के वरिष्ठ भाजपाई इस मामले को लेकर काफी दुखी हैं, उनका मानना है कि नीचता की ऐसी घटना उनके सामने कभी नहीं हुई। मुद्दा कोई भी हो जिलाध्यक्ष को हटवाने का विरोधियों का यह आख़िरी दांव है और वे इसमें कहां तक सफल हो पाते हैं यह तो वक्त बतायेगा लेकिन भाजपा की सेहत और लोकसभा चुनाव-2019 के लिए ऐसी प्रवृत्ति घातक सिद्ध होगी।