Thursday, November 28, 2024
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‘‘ऑक्सीजन संकट और कहर बरपाती कोरोना की सुनामी: नए-नए स्ट्रेन और म्यूटेंट की चुनौती’’

‘लांसेट’ जर्नल में भारत को लेकर प्रकाशित हुए हालिया अध्ययन में दावा किया गया था कि जल्द ही देश में प्रतिदिन औसतन 1750 लोगों की मौत हो सकती है, जो तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक पहुंच सकती है लेकिन कोरोना वायरस के दोहरे म्यूटेशन के कारण भारत में संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि मौतों का आंकड़ा नित नए रिकॉर्ड बना रहा है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अब सुनामी का दर्जा दिया है। अध्ययन में जहां जून के शुरूआती सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक मौतें होने का अनुमान जताया गया था, वहीं 24 अप्रैल की सुबह तक 24 घंटे में ही 2624 मौतें दर्ज की गई। देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना की नई लहर कहर बरपा रही है और अब ऑक्सीजन की कमी का भयावह संकट समस्या को और विकराल बना रहा है। कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति कितनी विकराल होती जा रही है, यह समझने के लिए इतना जान लेना पर्याप्त है कि भारत में जहां 1 मार्च 2021 को कोरोना मरीजों के कुल 12286 नए मामले सामने आए थे, वहीं करीब पौने दो माह के अंतराल बाद कोरोना की दूसरी लहर प्रतिदिन नए रिकॉर्ड बना रही है। अब हर 24 घंटे में कोरोना मरीजों की संख्या में करीब साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा की वृद्धि हो रही है और ढ़ाई हजार से भी ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। कोरोना से ठीक होने वालों की दर घटकर भी काफी नीचे आ गई है।
कोरोना की दूसरी लहर में भारत में अब कोरोना वायरस के अलग-अलग तरह के लक्षण सामने आ रहे हैं, जो पिछली लहर से कुछ अलग हैं। देश में डबल म्यूटेंट कोरोना वायरस के फैलाव को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं क्योंकि वे इसे पिछली लहर के मुकाबले ज्यादा खतरनाक और संक्रामक मान रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना के कई अनजान लक्षण भी सामने आ रहे हैं और अधिकांश मामले हल्के अथवा बगैर लक्षणों वाले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है, जो लोगों के शरीर पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। यह फेफड़ों और श्वसन तंत्र में आसानी से फैल रहा है, जिसके कारण संक्रमित होने के बाद कुछ लोगों को निमोनिया हो रहा है, जो कोरोना संक्रमण को ज्यादा खतरनाक बना रहा है। जो लोग कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित पाए जा रहे हैं, उनमें वायरल लोड काफी ज्यादा पाया जा रहा है और ज्यादा वायरल लोड बहुत अधिक संक्रामक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि वायरल लोड रक्त में मौजूद कोरोना वायरस के बारे में बताता है और जांच के दौरान इसी वायरल लोड के जरिये पता लगाया जाता है कि शरीर में संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है।
दुनियाभर के तमाम विशेषज्ञों का एक ही मत है कि कोरोना वायरस के नए रूप ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हैं। भारत में कोरोना की दूसरी लहर इतने खतरनाक रूप में सामने आ रही है कि हर कहीं लाशों के ढ़ेर नजर आने लगे हैं, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं हैं, ऑक्सीजन की जबरदस्त कमी से मरीजों की जान जा रही हैं, देशभर में वेंटिलेटर का अभाव साफ दिखाई दे रहा है। भारत में कोरोना के मामलों के रोजाना एक लाख से बढ़कर दो लाख होने में जहां मात्र 10 दिन का समय लगा, वहीं पिछले साल अमेरिका में संक्रमितों के मामले प्रतिदिन एक लाख से दो लाख पहुंचने में 21 दिन लगे थे। कोरोना वायरस के लगातार सामने आते नए रूप, मयूटेंट्स, स्ट्रेंस और ऑक्सीजन की कमी के संकट के चलते स्थिति निरन्तर विस्फोटक हो रही है। दोहरे म्यूटेशन वाले वायरस की मौजूदगी की पुष्टि अब तक 11 देशों में हो चुकी है, जिसका सबसे पहला मामला ब्रिटेन में सामने आया था। दोहरे म्यूटेशन वाला कोरोना बी.1.617 सबसे पहले महाराष्ट्र में मिला था और ग्लोबल म्यूटेशन ट्रैकर द्वारा अब देश में इसकी 10 फीसदी मौजूदगी का अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर ‘स्क्रिप्स रिसर्च’ द्वारा दावा किया गया है कि देश में मिले कोरोना के सभी रूपों में बी.1.617 सबसे आम है।
केन्द्र सरकार द्वारा 13614 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में मिले नतीजों के आधार पर दी गई जानकारियों के मुताबिक देश में कोरोना के तीन नए स्वरूप भी अब कहर बरपाने लगे हैं। इस जीनोम सीक्वेंसिंग में कुल 1189 (करीब 8.77 प्रतिशत) मामलों में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले वायरस के बेहद घातक स्वरूप को संक्रमण के लिए जिम्मेदार पाया गया है। देश में कोरोना के उस घातक रूप का प्रसार सबसे तेजी से होने की बात सामने आई है, जो ब्रिटेन में मिला था। 13614 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में सामने आए कुल 1189 मामलों में से इसके 1109 मामले सामने आए जबकि दक्षिण अफ्रीका के 79 और ब्राजीलियाई स्वरूप से एक संक्रमण की पुष्टि हुई।
जान लें कि वायरस का म्यूटेशन क्या है और यह कैसे होता है। वायरस डीएनए या आरएनए तथा प्रोटीन के बने अणु अथवा कण होते हैं, जो तेजी से म्यूटेंट (उत्परिवर्तित) होते रहते हैं। म्यूटेंट का अर्थ है लगातार अपना रूप बदलते रहना। वायरस में चूंकि अपना स्वयं का डीएनए या आरएनए पाया जाता है, जो एक ‘सेल्फ डुप्लीकेटिंग न्यूक्लिक एसिड’ है अर्थात् यह अपने जैसी बहुत सारी कॉपियां तैयार कर सकता है और बदलते वातावरण में ये कॉपियां स्वयं को समायोजित करने के लिए म्यूटेंट होती रहती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वायरस अपने आप को अपडेट करते रहते हैं। यही वजह है कि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट या स्ट्रेन पहले के मुकाबले और ज्यादा ताकतवर होता जा रहा है। किसी भी वायरस के स्वरूप तथा गुणधर्म बदलने की गतिविधियों को स्ट्रेन एवं म्यूटेशन कहा जाता है और कई देशों में कोरोना के रूप बदलने की प्रकिया तथा मारक क्षमता को लेकर लगातार शोध किए जा रहे हैं। कोरोना के स्ट्रेन को ज्यादा खतरनाक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके कुछ रूप जीन में प्रोटीन बढ़ाने वाले होते हैं, जिनमें से कुछ बहुत खतरनाक होते हैं।
पिछले सवा वर्ष के भीतर दुनियाभर में कोरोना के कई रूपों की पहचान हो चुकी है। कभी कोरोना के अमेरिकी स्ट्रेन के बारे में सुनने को मिलता है तो कभी यूके स्ट्रेन, साउथ अफ्रीकी स्ट्रेन, यूएई स्ट्रेन या अन्य किसी देश के नए स्ट्रेन के बारे में पता लगता रहा है और अब अमेरिका सहित कुछ जगहों पर भारतीय स्ट्रेन पाए जाने की खबरें भी आ रही हैं। कोरोना जिस प्रकार से निरन्तर अपना रूप बदल रहा है, ऐसे में यह लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर रहा है। हालांकि इसका किसी के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है कि कोरोना के स्ट्रेन में पूरी दुनिया में अभी तक कितने बदलाव हुए हैं। कोविड-19 के लिए बने नेशनल टास्क फोर्स के मुताबिक कोरोना वायरस के करीब सात हजार वेरिएंट हैं, जिनमें चौबीस हजार से ज्यादा म्यूटेशन हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ये सभी वेरिएंट या म्यूटेशन व्यक्ति को संक्रमित नहीं करते या संक्रमण नहीं फैलाते लेकिन किस स्ट्रेन का क्या लक्षण है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।
बहरहाल, ऑक्सीजन की भयानक कमी अस्पतालों के सारे इंतजामों और मरीजों की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ रही है। कोरोना इस दूसरी खतरनाक लहर, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘सुनामी’ की संज्ञा दी है, उसे देखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में फिर से लॉकडाउन लगाने या कड़े कदम उठाने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि ऐसे कदमों का देश की अर्थव्यवस्था और श्रमिक वर्ग पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है, यह गत वर्ष देखा जा चुका है लेकिन संक्रमण की चेन तोड़ने और अधिकाधिक लोगों की जान बचाने के लिए ऐसे कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि कोरोना की इस सुनामी से अपनों की सुरक्षा के लिए तमाम जरूरी सावधानियों को अपनाते हुए पूरी तरह सतर्क रहें।
(लेखक – योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’, ‘जीव जंतुओं का अनोखा संसार’ इत्यादि कुछ चर्चित पुस्तकों के लेखक हैं)