प्राण बचाने वाले महत्वपूर्ण मेडिकल संसाधन, ऑक्सीजन, वैक्सीन, दवाई के वेस्टेज पर अत्यंत सूक्ष्म निगरानी रखना बहुत जरूरी – एड किशन भावनानी
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और 130 करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले भारत देश में कोरोना महामारी का जबरदस्त आघात और संक्रमण के तीव्रता से बढ़ने के प्रभाव को नियंत्रित करने पूरा विश्व आज भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा है। हालांकि यह महामारी पिछले वर्ष 2020 में भी भारत में फैली थी परंतुअपेक्षाकृत संक्रमण तीव्रता कम रहने और राष्ट्रीय लॉकडाउन सहित अन्य सुरक्षात्मक कदम उठाए गए औरकुछ हदतक कोरोनामहामारी काबू में आई। परंतु वर्ष 2021 के शुरू से ही महामारी का तीव्र गति से आघात हुआ और संभलने का मौका तक नहीं दिया और संक्रमण तीव्रता से फैलता चला गया। जिस में अपेक्षाकृत मेडिकल संसाधनों की कमी आन पड़ी और स्थिति नाजुक बनी। प्रधानमंत्री ने विश्व के देशों से बात की और वैश्विक स्तर पर भारत की मदद करने डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र संघ सहित पूरे विश्व के बड़े से बड़े और कुवैत जैसे देश भी उदारता से भारत की मदद करने आगे आए।…. बात अगर हम कोविड-19 महामारी में उपचरार्थ लगने वाले मेडिकल संसाधनों, ऑक्सीजन, वैक्सीन, दवाइयों या अन्य जरूरी संसाधनों की करें तो बुधवार दिनांक 5 मई 2021 को प्रधानमंत्री ने केरल सरकार के प्रयासों की सराहना की हुआ ऐसा कि केरल के मुख्यमंत्री ने मंगलवार दिनांक 4 मई 2021 को एक ट्वीट करके कहा था कि केंद्र सरकार से इतने टीकों की खुराक मिली और उपलब्ध अतिरिक्त खुराक को भी इस्तेमाल करके उससे अधिक आंकड़े की खुराक के दी गई। वैक्सीन के आंकड़े ट्वीट में लिखे हुए थे और मुख्यमंत्री ने इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों खासकर नर्सेस की सराहना की थी। इसका माननीय प्रधानमंत्री ने ट्वीट को टैग करते हुए लिखा टीकों की बर्बादी कम करने में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और नर्सों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए देखना अच्छा लग रहा है और कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लडाई को और मजबूत करने के लिए टीकों की बर्बादी कम करना महत्वपूर्ण है। गौर करने योग्य बात यह है कि, प्रधानमंत्री महोदय द्वारा किसी मुद्दे पर तारीफ करना अपने आप में महत्वपूर्ण बात है।… बात अगर हम अन्य मेडिकल संसाधनों के उपयोग की करें तो एम्स के डायरेक्टर ने 2 दिन पूर्व सिटी स्कैन जरूरत होने पर ही करवाने की सलाह दी थी और बार-बार नहीं करवाने, डॉक्टर की सलाह से करवाने की सलाह भी दी थी और कहा था कई गुना रेडिएशन इसमें होता है जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का अंदेशा भी है।…उधर कोविड-19 टेस्टिंग के को लेकर आई सीएमआर ने दिनांक 4 मई 2021 को नई एडवाइजरी जारी की गई है कि दूसरी बार आरटी-पीसीआर नहीं होगा। अंदेशा है कि कोरेना के बढ़ते मामलों से देशभर में लैब्स् पर बढ़ रहे बोझ के कारण कई लोगों के चार-पांच दिन में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मिल रही है और अब इसे लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने यह बड़ा फैसला लिया है और दूसरी वेव में कोरोना की टेस्टिंग के लिए एडवाइजरी जारी की है और बताया गया है कि जो एक बार कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है उसका दोबारा आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं किया जाएगा तथा अब उन लोगों का भी दो बार टेस्ट नहीं किया जाएगा जो हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो रहे हैं अब डिस्चार्ज के वक्त कोरोना टेस्ट की जरूरत नहीं है ऐसी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उपलब्ध है जो टीवी चैनलों द्वारा भी बताया जा रहा है।…बात अगर हम रेमडेसिवर इंजेक्शन की करें तो उसके बारे में भी एम्स के डायरेक्टर का कुछ दिनों पूर्व बताया गया था कि हर व्यक्ति बिना उचित मेडिकल सलाह के इसका उपयोग ना करें और इसके बारे में अनेक जरूरी बातों को स्वास्थ्य वार्तामें बताया और इसमें अधिक फायदे के बारे में भी इनकार किया था।…बात अगर हम अस्पतालों में भर्ती होने और ऑक्सीजन का प्रयोग करने की करें तो उसके बारे में भी कहा गया है कि माइनर सिम्टम्स वालों को घर में ही क्वॉरेंटाइन होना चाहिए तथा गंभीर मामलों में जिनमें ऑक्सीजन लेवल अत्यंत लो हो गया है और मेडिकल या डॉक्टरी अनुशंसा के आधार पर ही उसे अस्पताल में भर्ती करवाएं और ऑक्सीजन की उपलब्धि देना चाहिए बिना जरूरत वाले और सामान्य मरीजों को इसकी आवश्यकता नहीं है जिसमें अनावश्यक डर का माहौल पैदा होता है और इससे सबको बचना चाहिए। मेरा यह निजी मानना है कि वैक्सीनेशन वेस्टेज बचानाकसिटी स्कैन बार-बार नहीं करवाना, आरटी-पीसीआर टेस्ट पर लिमिटेशन, भर्ती व ऑक्सीजन पर सलाह यह सब कदम उपलब्ध संसाधनों का तात्कालिक सुचारू रूप से उपयोग करने के लिए उठाए जा रहे हैं। क्योंकि आज पूरे विश्व से मेडिकल संसाधन भारत में पहुंच रहे हैं और संक्रमण भी तीव्रता से फैल रहा है जो 130 करोड़ जनता वाले इस देश की दूरदर्शिता से रणनीति ढांचे के तहत सुचारु रुप से संसाधनों का उपयोग करना है। ताकि जरूरतमंद मरीजों को इन संसाधनों की आपूर्ति तुरंत हो सके जिससे वैश्विक रूप से यह संदेश जाएगा कि भारत का मेडिकल संसाधनों के उपयोग का प्रबंधन मजबूत और पारदर्शी और सुचारू रूप से चलता है।…बात अगर हम अस्पतालों में दवाइयों, ऑक्सीजन सिलेंडरों, इंजेक्शनों की करें तो उसकी हिफाज़त, सुरक्षा और संरक्षण भी सावधानी और सजगता से करना होगा क्योंकि, इनमें स्टाफ के कुछ लोगों की मिली भगत से चोरी होने का भी डर रखना आवश्यक है इसके लिए वहां सीसीटीवी कैमरों का बंदोबस्त करना बहुत जरूरी है। वैसे इंजेक्शनों की चोरी का एक मामला स्टॉफ के सहयोग से गोंदिया में पुलिस द्वारा पकड़ा जा चुका है। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का हम सूक्ष्मता से विश्लेषण करें तो कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई मजबूत करने के लिए मेडिकल संसाधनों का तात्कालिक सुचारू रूप से रणनीतिक उपयोग करना महत्वपूर्ण है और प्राण बचाने वाले महत्वपूर्ण मेडिकल संसाधन ऑक्सीजन, वैक्सीन, दवाई, के वेस्टेज पर अत्यंत सूक्ष्म निगरानी रखना बहुत जरूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सन्मुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र