हर स्त्री माँ बनने के बाद ही खुद को पूर्ण महसूस करती है शिशु का आगमन स्त्री के जीवन को मायने देता है। एक माँ जब पहली बार बच्चे का मुख अपनी हथेलियों में भरती है उस सुख की चरम का वर्णन शायद शब्दों के ज़रिए मुमकिन नहीं। माँ के दिल से दुआओं का समुन्दर उठता है, खुशियों की लहर धसमसती है, आँखें नम होते भी लब मुस्कुरा देते है। अपने बच्चे के सामने दुनिया की हर खुशी बेमानी लगती है। बच्चे में अपनी दुनिया देखती माँ खुद को भी भूल जाती है।
माँ शब्द चिड़ीया के पंख सा या तितली के पर सा कितना मखमली और मक्खन सा मुलायम होता है, फूट पड़ता है बच्चे के मुँह से। माँ को देखते ही बच्चे की आँखों में सुकून और चेहरे पर आत्मविश्वास छलक जाता है। माँ की ममता का शामियाना बच्चे की पूरी दुनिया होता है। माँ के आँचल में बच्चा खुद को महफ़ूज़ महसूस करता है।
ये जो स्पेशल मदर्स डे मनाने का चलन हुआ है वैसे कोई जरूरी नहीं है 365 दिन घर परिवार और बच्चों के नाम कर देने वाली माँ के नाम पर एक दिन बहुत कम है। पर ये खास दिन सच पूछो तो माँ के बलिदान की सराहना ही समझो, या माँ के प्रति सौहार्द भाव दर्शाता दिन। क्यूँकि उस ममता का, उस परवाह का और माँ की भावनाओं का अहसान कोई सात जन्मों तक भी चुका नहीं पाता।
औरत जब माँ बनती है तो अपने आप में एक ताकत बन जाती है जो रक्षती है हर हाल में अपने बच्चों को और जरूरत पड़ने पर मौत से भी लड़ जाती है। बच्चों के सुख में अपना सुख ढूँढ लेती है माँ, बच्चों के दु:ख में टूट जाती है। बच्चों की जरूरत पर अपने शौक़ वार देती है।
क्यूंकि धरती पर ईश का दिया अनमोल उपहार है माँ” माँ की ममता का कोई पर्याय नहीं। माँ निरंतर नि:स्वार्थ प्यार देती है सदैव फिर भी दरिया दिल में ममता का सूखता ही नहीं, मरुस्थल में मीठा आबशार जैसी होती है माँ
जीवन बगीयाँ की माली माँ तो बच्चों की खुशीयों का मजमा है माँ, पग-पग धरपत देती है माँ। सानिध्य का आँचल सर पर बिछाती ज़िंदगी की धूप में शीतल छाँव है माँ, माँ पृथ्वी है जीवन की धूरी है माँ के बिना सृष्टि की कल्पना ही अधूरी है।
बच्चा हंसे तो हंसती है माँ एक आह बच्चे की निकले जब सौ मौत मरती है माँ, माँ पिता भी बन सकती है, माँ गुरु भी है, माँ सखा भी है, माँ सबकुछ तो है।
बच्चों के जीवन की सच्ची राहबर है माँ, फ़लक, ज़मीं, पतवार, दरिया, मौज, रवानी, शब्द, कविता, बोल, संगीत, नींव, धुरी, रिश्ता, परिवार, ऊर्जा, “इन सारे शब्दों का अर्थ एक बच्चे के लिए उसकी माँ है” माँ की ममता से तुलना किसी भी प्रेम की कर लो माँ की ममता का पलड़ा भारी ही रहेगा।
(भावना ठाकर, बेंगलोर)