विश्व व्यापार संगठन ने सभी देशों की सहमति बनाकर शीघ्र निर्णय लेना जरूरी
कोरोना वैक्सीन बौद्धिक संपदा अधिकार स्थगित करना जरूरी – वैक्सीन उत्पादन बढ़ेगा, मानवता का भला होगा – एड किशन भावनानी
विश्व के मानवों को कोरोना महामारी अपने फंदे में जकड़ तीव्रता से निकल रही है और हम मानव अभी तक वैश्विक रूप से आपस में ही उलझ कर रह गए हैं। हालांकि हर देश एक दूसरे की मेडिकल संसाधनों से मदद कर रहे हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्रसंघ भी हरकत में आए हैं परंतु वर्तमान समय में जरूरत है विश्व व्यापार संगठन को अत्यंत तात्कालिक रूप से सभी सदस्य 160 सदस्य देशों की सम्मिट आयोजित कर कोरोना वैक्सीन से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार को अस्थाई अवधि के लिए तात्कालिक सस्पेंड करने का प्रस्ताव पास करने की ओर ठोस कदम बढ़ाने की जरूरत है ताकि लाखों लोगों की जो विश्व स्तर पर सांसे अटकी हुई है, उन्हें जीवन दान देनेमें यह ठोस प्रस्ताव पारित कर सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सकता है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ चुनिंदा देशों और व्यक्तियों का सस्पेंड प्रस्ताव की ओर सकारात्मक रवैया नहीं है जिसके कारण मामला अधर में लटका हुआ है और इसका सबसे विपरीत प्रभाव उन देशों पर पड़ रहा है जहां कोरोना महामारी विरोधी वैक्सीन का निर्माण किए है पर उत्पादन कम है और महामारी से जंग लड़ रहे हैं या जिन देशों ने इस वैक्सीन का निर्माण ही नहीं किया है। भारत भी एक ऐसा देश है जहां दो वैक्सीन का निर्माण तो किया गया है परंतु संक्रमण की गति दूसरी लहर में भयानक तेजी से बढ़ने और तीसरी लहर के खतरे का अंदेशा होने से वैक्सीन की भारी किल्लत आन पड़ी है जिस तेजी से संक्रमण फैल रहा है उस तेजी से वैक्सीन का निर्माण अपनी पूर्ण क्षमता के उत्पादन कैपेसिटी में भी पूर्ति नहीं कर पा रही है और वैक्सीन की कमी के कारण संक्रमण तेजी से बढ़कर मृत्यु के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है।…बात अगर हम बौद्धिक संपदा अधिकार को समझने की करें तो यह अधिकार मानव मस्तिष्क की उपज है और दुनिया के सभी देश अपने-अपने स्तर पर अपने देशों में कानून बनाकर इसे सुरक्षित करते आ रहे हैं। भारत ने भी सर्वप्रथम वर्ष 1911 में भारतीय पेटेंट और डिजाइनिंग अधिकार अधिनियम बनाया था और फिर स्वतंत्रता के बाद परिस्थितियों और ट्रिप्स के अनुसार पेटेंट अधिनियम 1970 बनाया जो 1972 से लागू हुआ और फिर उसमें पेटेंट अधिकार (संशोधन)अधिनियम 2002 और पेटेंट अधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 बनाया गया, इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार को वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होनाचाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है…इसमें कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्यो गिक डिजाइनिंग, भौगोलिक सांस्कृतिक शामिल है फिर परिस्थितियों के विकास के साथ 1995 में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) बना और इसे वैश्विक रूप से सुरक्षित करते चले आ रहे हैं। डब्ल्यूटीओ के वर्तमान में 160 देशों की सदस्यता है। डब्ल्यूटीओ ने फिर ट्रिप्स याने एग्रीमेंट ऑन द ट्रेड रिलेटेड स्पेक्टर ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स इस संगठन का समझौता है और जो सारे देश डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं उन्हें इससे मानना है और अपने देश के पेटेंट कानून इसी के मुताबिक बनाना है। भारत में आज अधिनियम के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित किए गए हैं। जिनमें यहां जो चर्चा की जा रही है वह, द पेटेंट एक्ट 1970 है जो अब पेटेंट (संशोधित) अधिनियम 2005 है।…बात अगर भारत में तेजी से फैल रहे संक्रमण और टीको की कमी की करते हैं तो भारत और साउथ अफ्रीका ने मिलकर विश्व ट्रेड संगठन में यह कोरोनावैक्सीन के पेटेंट संरक्षण को फ्री करने की मांग अक्टूबर 2020 में पहले ही लगा चुके है। कोविड-19 महामारी वैक्सीन से जुड़े बौद्धिक अधिकारों को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया जाए ताकि इसका उत्पादन अन्य फार्मासिटिकल कंपनियां भी कर सकें और महामारी परशीघ्रता से नियंत्रण पाया जा सके। लेकिन मामला विचाराधीन है। भारत के प्रधानमंत्री ने 26 अप्रैल 2021 को जो बाइडेन से चर्चा में यह मुद्दा उठाया था। अब दिनांक 5 मई 2021 को अमेरिका ने भी इसका समर्थन किया है। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रूस के राष्ट्रपति ने भी टीवी चैनल पर बयान दीया कि अपनी वैक्सीन पेटेंट को सस्पेंड करने के लिए तैयार हैं और कहा कि वैक्सीन की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए उनके पेटेंट को अस्थाई रूप से हटाया जाना चाहिए। अब अमेरिका ने कहा कि वैक्सीन को बौद्धिक संपदा अधिकार क्षेत्र से बाहर रखने की डब्ल्यूटीओ की पहल और भारत के प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कहा जो बाइडेन प्रशासन इसका समर्थन करता है। परंतु डब्ल्यूटीओ सदस्यों की सहमति में फिलहाल वक्त लगेगा जबकि जर्मनी इसके लिए तैयार नहीं है। हालांकि बुधवार गुरुवार दिनांक 5-6 मई 2021 को दो दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर आम सहमति बनने की संभावना कम है जबकि डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत नियमों में बदलाव को लेकर सदस्य देशों में आम सहमति बनाना जरूरी है हालांकि कैथरीन ताई ने बयान दिया कि कोविड-19 की पहुंच को लेकर विकसित और विकासशील देशों की पहुंच को लेकर असमानता कतई स्वीकार नहीं है। अतः उपरोक्त संपूर्ण बातों का गंभीरता से विश्लेषण किया जाए तो भारत और साउथ अफ्रीका द्वारा कोविड-19 महामारी को देखते हुए इसकी वैक्सीन पेटेंट का संस्पेंशन डब्ल्यूटीओ ने अस्थाई रूप से सस्पेंड करने के लिए 160 सदस्यों में सहमति जरूरी है ताकि अनेक फार्मासिटिकल फैक्ट्रियों में इनका उत्पादन तीव्रता से हो और पूरे विश्व का तीव्रता से टीकाकरण हो तथा इस महामारी से शीघ्र से शीघ्र मुक्ति मिल जाए।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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