Saturday, November 23, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » कोरोना महामारी की गांवों में तीव्रता से दस्तक

कोरोना महामारी की गांवों में तीव्रता से दस्तक

– संक्रमण फैलने से रोकने महायुद्ध स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी
– भारत गांव प्रधान देश है गांव में कोविड-19 इलाज का सुचारू प्रबंधन, झोलाछाप चिकित्सकों पर सख्त कार्यवाही, टीकाकरण, जनजागरण अभियान जरूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से मानव को तीव्रता से संक्रमित कर रही कोरोना महामारी के अब सिम्टम्स पर भी नियंत्रण नहीं रहा।बड़ी तेजी से सिम्टम्स का बदलना, वैश्विक रूप से बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। 2020 में जिसके कुछ सीमित सिम्टम्स से लेकिन अब 2021 में इस महामारी ने भयंकर तांडव मचाते हुए अपने सिम्टम्स में विशालता लाकर विस्तृत परिक्षेत्र में समायोजित कर मानव को घेर रही है जिसमें मानव उसको पता ही नहीं चल पाता और उसके फेफड़े संक्रमित हो चुके होते हैं।….बात अगर हम भारत की करें तो यह एक गांव प्रधान देश है हमारी करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है। भारत में 2020 और 2021 की शुरुआत में कोरोना संक्रमण का प्रभाव शहरी क्षेत्र में अधिक फैला हुआ था। 2021 की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने जनता के नाम अपने संदेश में कहा था कि हमें ग्रामीण भारत को कोरोना से बचाना होगा कोरोना संक्रमण के कारण शहरों के अस्पतालों की हालात देखकर अब हर किसी को गांवों में फैल रहे संक्रमण की चिंता है, गांवों में शहरों की तरह अस्पताल नहीं है, लोगों के पास आवाजाही से साधन नहीं है, जिससे आने वाले समय में यह और अधिक समस्या खड़ी कर सकता है और वर्तमान जिस तरह से अनेक राज्यों से आंकड़े आ रहे हैं उसमें ग्रामीण क्षेत्र के भी आंकड़े बहुत तादाद में हैं जिसके लिए हम सभी नागरिक, शासन, प्रशासन, नेता, राजनीति के सभी कहीं ना कहीं कसूरवार हैं। हम सब ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पांच राज्यों के चुनाव हो या यूपी के पंचायती चुनाव हो या अन्य प्रदेशों के खाली सीटों के चुनाव हो हमने रैलियां, रोडशो, जनसभाओं में जनता के हुजूम देखें, टीवी चैनलों पर बार-बार कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करते हुए हमने देखा। चुनावी क्षेत्रों की ग्राउंड रिपोर्ट हम सब ने देखी और नतीजा आज हमारे सामने है कि ग्रामीण क्षेत्रों मैं भी कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है।….बात अगर हम संक्रमण को फैलने से रोकने की करें तो अभी भी स्थिति बेकाबू नहीं हुई है। अब जरूरत है संक्रमण को रोकने के लिए महायुद्ध स्तर पर मेडिकल प्रबंधन, भ्रांतियों को रोकना, इलाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना, तात्कालिक तीव्रता से टीकाकरण अभियान चलाकर गांव वासियों को जागृत करना, गांव स्तर तक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को पहुंचाना, जिला प्रशासन स्तर पर मेडिकल मानवीय संसाधनों को संविदात्मक स्तर पर सेवा के लिए नए लोगों को हायर कर गांव में नियुक्त करना, झोलाछाप चिकित्सकों पर नकेल कसना, इत्यादि सभी उपाय तात्कालिक प्राथमिकता से लागू करवाने के आदेश केंद्रीय या राज्य स्तर पर स्वास्थ्य मंत्रालय को जारी करना चाहिए। वैसे यह परंपरा रही है कि चिकित्सीय क्षेत्र राज्यों के अंतर्गत रहता है। टीवी चैनलों द्वारा हमेंने देखें कि कोरोना महामारी के इलाज के लिए मनमाने तरीके के उपचार क्रियान्वयन किए जा रहे हैं। संतरे के बगीचे में इलाज, जंगलों में इलाज, झाड़-फूंक से इलाज, गोमूत्र से इलाज, इत्यादि अनेक नुस्खे गांव में इस्तेमाल इन झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा मरीजों पर अपनाकर उनके जीवन को जोखिम में डाला जा रहा है। क्योंकि इसमें उनके फेफड़ों पर विपरीत प्रभाव पड़ने और अन्य अनेक लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। अतः हर गांव में बड़ी तीव्रता से टेस्टिंग कर पीड़ितों को उनकी स्थिति अनुसार होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती कर संक्रमण को फैलने से रोकने में शासन, प्रशासन को महायुद्ध स्तर पर कार्य करना होगा। पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन करने के लिए गांव के स्कूलों, पंचायत भवनों, या गांव छोड़कर गए हुए लोगों के खाली मकानों का प्रयोग किया जा सकता है। जहां अस्पताल नहीं है वहां कुछ किलोमीटर के दायरे में अस्पताल की सुविधा तातपूर्ति रूप से शुरू करनी होगी जो अभी के हालातों को देखकर बहुत जरूरी है। एक अनुमान के अनुसार 135 करोड़ भारत की जनसंख्या में से 90 करोड़ लोग गांव में रहते हैं अभी तक 45 करोड लोगों जो शहरों के थे उनमें से पीड़ितों के लिए मेडिकल संसाधनों, माननीय संसाधनों, की कमी पड़ गई है और वैश्विक मदद ली जा रही है तो हम सोचे कि अगर गांवमें इसी पीक से संक्रमण फैला तो कितनी भयानक और चिंतनीय स्थिति होगी। अभी एक राज्य के गांव के टेस्टिंग के आंकड़े आए जो हैरान करने वाले हैं वो यह कि हर तीसरा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है। अब हमें जरूरत है तीव्रता से सभी नागरिक, शासन, प्रशासन, मिलकर इस महामारी से लड़ाई करें गांव के पंचायतों, ग्रामसभा, ग्रामसेवक तथा सभी स्तर के सेवकों को चाहिए कि छोटी-छोटी मेडिकल सुविधाओं जैसे ऑक्सीमीटर सहित अन्य प्राथमिक मेडिकल संसाधनों को जुटाना होगा और किसी भी गांववासी का ऑक्सीजन लेवल कम, बुखार , खांसी, स्वाद नहीं आना, या अन्य सिम्टम्स मिले तो समझे यह कोविड 19 की दस्तक है और टेस्ट करवाएं। अधिक से अधिक लोग टीकाकरण करवाएं, शासकीय दिशा निर्देशों का पालन करें, शासन प्रशासन का सहयोग करें, और इस महामारी से घबराए नहीं इसका सभी मिलकर मेडिकल इलाज से मुकाबला करें और इस महायुद्ध में हम जरूर कामयाब होंगे और इस महामारी को हारना होगा। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम विश्लेषण करें तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि हमें कोरोना महामारी संक्रमण को गांव में फैलने से रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक उपायों को महायुद्ध स्तर पर अपनाना होगा।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र