बच्चे भारत का भविष्य – कोविड -19 से बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा युवाओं की जवाबदारी – एड किशन भावनानी
वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष से लेकर तबाही मचाना चालू है। हालांकि वर्ष 2020 के अंत तक थोड़ी राहत मिली थी, परंतु अभी नए वर्ष 2021 की शुरुआत से ही और अभी फरवरी अंत से तो इस महामारी ने उग्र रूप धारण कर अपना रौद्र रूप दिखाया है और विश्व में सबसे अधिक विपरीत असर भारत पर पड़ा है। भारत में इसकी दूसरी लहर अपने पीक पर है। मेडिकल संसाधन अपेक्षाकृत कम पड़ गए और वैश्विक मदद से बड़े स्तर पर सहायता प्राप्त हो रही है।…बात अगर हम भारत में रणनीतिक, चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण अभियान की करें तो बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से इसे अंजाम दिया जा रहा है। पहले चरण में कोरोना योद्धा फ्रंटलाइन वर्कर्स, दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष से ऊपर किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति और तीसरे चरण में 18 वर्ष से 44 वर्ष तक अब चौथे चरण की तैयारी शुरू कर दी गई है वह है बच्चों का टीकाकरण जो 2 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चे के लिए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीबीएससीओ) की कोरोना एक्सपर्ट कमिटी (एसीसी) ने मंगलवार दिनांक 11 मई 2021 को भारत बायोटेक द्वारा किए गए आवेदन पर विचार विमर्श किया तथा उसके वैक्सिंन टीके की 2 से 18 वर्ष तक के बच्चों में सुरक्षा और रोग प्रतिबंधक क्षमता बढ़ाने समेत अन्य चीजों का आंकलन करने के लिए ट्रायल के दूसरे और तीसरे फेस की अनुमति देने काअनुरोध किया था उसकी सिफारिश की गई जिसे सीडीएससीओ ने मंजूरी प्रदान की। एक्सपर्ट कमेटी ने बताया कि कोविड-19 टीके की वैक्सीन की यह ट्रायल दिल्ली, पटना के एम्स और नागपुर महाराष्ट्र के मेडिट्रिना चिकित्सा विज्ञान संस्थान समेत विभिन्न स्थानों पर 525 लोगों पर ट्रायल किया जाएगा, और गुरुवार दिनांक 13 मई 2021को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से भी इसकी मंजूरी मिल गई हैं ऐसा इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनलों द्वारा जानकारी दी गई हैं। हालांकि इसके पहले फरवरी माह 2021 में भी भारत बायोटेक ने अनुमति मांगी थी परंतु उस समय अस्वीकार कर दी गई थी। अब इसे मंजूरी मिल गई है। यह एक बड़ी सफलता और शुभ संकेत है क्योंकि पीएम के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने पिछले दिनों अंदेशा जताया था कि अभी वायरस का जिस तरह प्रसार हुआ है उसे देखते हुए तीसरी लहर आ सकती है हालांकि बाद में उन्होंने सकारात्मक रुख अपनाया था वैसे भी इस भयंकर महामारी से वर्ष 2020 से ही 10 वर्ष तक उम्र के बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों पर फोकस कर अति सावधानी व दिशा निर्देश जारी किए गए थे और अभी भी जारी है। परंतु तीव्रता से संक्रमण को देखते हुए और तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए वैक्सीनेशन के चौथे चरण की ओर बढ़ाएं गए कदम याने 2 से 18 वर्ष के 2/3 ट्रायल को मंजूरी एक सटीक रणनीति कदम है और जरूरी भी है। क्योंकि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं और उनकी सुरक्षा करना शासन, प्रशासन, समाज, परिवार, युवाओं, का अत्यंत तात्कालिक कर्तव्य बनता है क्योंकि वह अभी बच्चे हैं इसलिए इनका इम्यूनिटी पावर कम है, समझ कम है, बड़ों के ऊपर निर्भरता है। अतः उनकी सुरक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है और हर व्यक्ति को चाहिए कि वर्तमान में बच्चों की पुरजोर तरीके से कोविड-19 से सुरक्षा पर ध्यान दें और बिना वजह बाहर, स्कूल, अस्पताल, इत्यादि जगह परभी नहीं ले जाएं और घर पर ही सुरक्षित रखें। इम्यूनिटी बढ़ाने के वाले आहार का सेवन करवाएं और जब तक वैक्सीन नहीं लग जाती उनका सुरक्षा कवच बनकर रहें। क्योंकि अगली पीढ़ी हमारी यह बच्चे हैं… उधर केंद्र सरकार भी सरकारी संस्थानों के बच्चों की विशेषज्ञों से देखभाल की योजना बना रही है। इसके लिए देश भर के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इंडियन अकैडमी फॉर पीडियाट्रिक्स (आईएएम) के साथ जोड़ा है जो 2,000 से अधिक सरकारी बाल देखभाल संस्थाओं (सीसीआई) के हजारों बच्चे इस सेवा के माध्यम से लाभान्वित होंगे। प्रत्येक इकाई में चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर देश के दूरदर्शी कोनों से भी बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा इस टेलीमेडिसिन सेवा का लाभ सप्ताह में 6 दिन ले सकेंगे। केंद्रीय महिला व बाल विकास कल्याण मंत्री महोदया ने अनेक ट्विट्स के द्वारा बताया यह बाल संस्थाएं सेवाओं के लिए योजना के तहत बच्चों को प्रदान की जाने वाली चिकित्सीय देखभाल के अतिरिक्त होगा…बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के वैक्सीनेशन की करें तो अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल ने भी इस और तीव्रता से कदम बढ़ा दिए हैं और बहुत आगे तक पहुंच गए हैं अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (यूएस- एफडीए) ने सोमवार दिनांक 10 मई 2021 को 12 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए फाइजर बायोएंटीक की कोरोना वैक्सीन की इजाजत दे दी है। अब तक यह वैक्सीन 16 वर्ष से अधिक उम्र वालों को लगाई जा रही थी। इससे पहले कनाडा भी बच्चों की पहली वैक्सीन को लगाने की इजाजत दे चुका है और ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश है। उम्मीद है कि बच्चों को वैक्सीनेशन से अनेक स्कूल और समर कैंप खोलने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि यह अमेरिकी वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 प्रतिशत कारगर साबित हुई थी। परंतु यहां भी प्रक्रिया के अनुसार केवल एफडीए की अनुमति काफी नहीं है अभी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रोटेक्शन (सीडीसी) भी एडवाइजरी कमिटी वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े डेटा की समीक्षा करेगी इसके बाद 12 से 15 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन लगाने की सलाह जारी करेगी। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का हम विश्लेषण करें तो बच्चे भारत का भविष्य हैं और दूसरी लहर के पीक स्तर और तीसरी लहर के अंदेशों को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों की कोविड-19 से सुरक्षा करना शासन-प्रशासन युवाओं की प्राथमिक जवाबदारी है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र