भारत गांव प्रधान देश है, संक्रमण से बचाने, वैक्सीन लगाने, प्रशासनिक सख्ती, प्रोत्साहन योजना रणनीति बनाकर क्रियान्वयन हो – एड किशन भावनानी
भारत देश में कोरोना महामारी से लड़ाई, हमारी योजना बद्ध रणनीतिक रोडमैप बनाकर किया गया महायुद्ध हम जीतने की ओर बढ़ गए हैं। इसका दिनांक 1 जून 2021 को आए संक्रमितों के आंकड़े से लगाया जा सकता है। जहां यह आंकड़ा कई दिनों से लगातार गिर रहा है और कोरोना से जंग जीतने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों ने दिनांक 1 जून 2021 से अपने अपने राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आज अनेक प्रतिष्ठान योजनाबद्ध तरीके और शासकीय दिशानिर्देशों के अनुसार खुले। यह बात तो शहरी क्षेत्र की हुए।….बात अगर हम ग्रामीण क्षेत्र की करें तो भारत एक गांव प्रधान देश है। भारत की करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और ऐसे कई गांव हैं जहां कोरोना महामारी तीव्रता से फैल रही है। जहां स्वास्थ्य के प्राथमिक साधन भी उचित रूप से उपलब्ध नहीं हैं और थोड़े से भी स्वास्थ्य संबंधी इलाज में कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इस स्थिति में जहां एक और हम कोरोना महामारी से जंग जीतने की ओर तीव्रता से बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गांव में फैल रहे कोरोना संक्रमण, कहीं हमारी कमजोर कड़ी बनकर न रह जाए। इसलिए ग्रामीण क्षेत्र की ओर अभी से बहुत अधिक ध्यान, शासन-प्रशासन को लगाना अनिवार्य, रणनीतिक रोडमैप बनाकर करना हो गया है।….बात अगर हम ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन की करें तो दिनांक 31 मई 2021 को रात्रि में एक प्रसिद्ध टीवी चैनल द्वारा दिखाई गई, अनेक राज्यों की ग्राउंड रिपोर्टिंग में देख कर बहुत हैरानी हुई कि, कई राज्यों में अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में गांव वासियों में वैक्सीनेशन को लेकर अनेक भ्रांतियां फैली हुई है और उन्होंने आन कैमरा साफ-साफ कहा कि हम वैक्सीनेशन नहीं लगाएंगे और अनेक भ्रांतियां का हवाला दिया गया जैसे वैक्सीनेशन से मृत्यु होना, बांझपन आना, बीमार पड़ना, सहित अनेक भ्रांतियों को कहा गया जो हैरानी करने वाला है। देखा जाए तो इसमें उनका भी कसूर नहीं है क्योंकि भोले भाले गांववासियों को इस महामारी की भयानकता के बारे में इतना गहरा ज्ञान नहीं है क्योंकि मुझे ऐसा महसूस हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर एक विशेष जनजागरण अभियान, प्रशासन की सख्ती, विशेष सांत्वना योजना का लाभ देने, इत्यादि कदम उठाए जाने की जरूरत है। ताकि ग्रामीण वासी वैक्सीनेशन लगाने के लिए सख़्त रुख़, पाबंदियों, और प्रोत्साहन मिलने से प्रेरित हो सके। हालांकि टीवी चैनल पर दिखाया गया कि कुछ मामलों में प्रशासन ने सख़्ती के रूप में सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है, ग्राहकों द्वारा मदिरा खरीदने पर भी वैक्सीनेशन की शर्त लगाई है कि जिसने वैक्सीनेशन कराया है उसे ही दुकानों से मदिरा मिलेगी और भी इसी तरह की अनेक पाबंदियां उस ग्राउंड रिपोर्ट में दिखाई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन बढ़ाने और गांव को महामारी से बचाने के लिए यह जरूरी भी है।….बात अगर हम वैक्सीनेशन टारगेट की करें तो थोड़ी हैरानी वाली बात है कि प्रथम चरण के अभी अनेक कोरोनावरियर्स ने भी टीकाकरण नहीं करवाया है, प्रशासन द्वारा उसकी जांच कर 100 प्रतिशत टारगेट को पूर्ण किया जाए। द्वितीय चरण के 60 वर्ष से अधिक का टारगेट अभी भी पूरा नहीं हो पाया है। सरकारी कर्मचारियों को वैक्सीनेशन लगाने का 100% टारगेट पूर्ण किया जाए। बहुत जगह हम देख रहे हैं कि टीकाकरण केंद्रों पर लोग नजर नहीं आ रहे हैं जिसका संज्ञान लेकर शासन-प्रशासन, गैर सरकारी संगठनज सामाजिक संस्थाएं, सेवादारी संगठन पक्ष -विपक्ष, सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम में मिलजुल कर एक रणनीतिक रोडमैप बनाया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के सभी गांववासियों को जल्द से जल्द वैक्सीनेशन किया जा सके, तभी हम अपनी जंग में जो और कोरोना महामारी की तीसरी लहर को आने की संभावना को जीरो कर सकेंगे और यह जंग जो हम कोरोना महामारी से, महायुद्ध के रूप में लड़ रहे हैं, वह जीत सकते हैं और हम अपने भारत को वैश्विक रूपसे एक अधिकतम नागरिकों के टीकाकरण युक्त देश बना सकते हैं और आर्थिक चक्र को फिर पूरी तरह से गति प्रदान करने के लिए कोरोना मुक्त भारत, अधिकतम वैक्सीनेशन युक्त भारत, लॉकडाउन मुक्त भारत और तेजी से आर्थिक स्थिति रिकवरी करने वाला महान भारत बनाने के सपनों को साकार करने में पूरा योगदान करें।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र