Saturday, November 23, 2024
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छा गया जेहन पर

nutan-aछा गया जेहन पर सुन्दर सा जो ये अक्स है
सिर्फ साया है किसी का या कोई सख्श है।

बुला रहा जो दूर से ही कर इशारे मुझे
है आसमाँ का चाँद या थाली में कोई अक्स है।

दिख रही है खूबसूरत आज फिर ये जमीं
जो जमीं पर छा रहा वो आसमाँ का अक्स है।

बज रही है मन की वीणा तार भी झंकृत हुए
सोच कर बस साथ मेँ जो किसी का अक्स है।

भूलकर सब जो जमीं नभ से है जा मिली
दिख रही है कुछ अलग कुछ अलग सा अक्स है।

तन भी सुंदर मन भी सुंदर सुंदर समां ये हो गया
छा रहा उस पर जो आज सुंदर सा ये अक्स है।