पत्रकार पंकज तोमर ने वरिष्ठ अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई
गाजियाबाद, जन सामना ब्यूरो। गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद थानांतर्गत तुलसी निकेतन पुलिस चौकी क्षेत्र के गगन विहार निवासी पत्रकार पंकज तोमर ने पांच मई को सेवाराम की दादागिरी पर साहिबाबाद थाने में मुकद्मा पंजीकृत कराया था, जिसकी सूचना लगते ही सेवाराम तिलमिलाते हुए पंकज तोमर और उनके परिवार पर समझौता करने का दबाव बनाने लगा और उनके पिता नरेंद्र तोमर को अपने आफिस कई बार बुलाकर धमकाया, जिसका कोई असर न पड़ने पर मामले को पत्रकारिता के पेशे से जोड़कर उगाही का रंग चढ़ाने में लगा हुआ है और एक चाऊमीन बेचने वाले को आगे लाकर उसके द्वारा मामले को नया मोड़ देने की कोशिश कर रहा है,जैसा कि विश्वस्त सूत्रों से ख़बर आ रही है। विदित हो कि सेवाराम की कई चाऊमीन बनाने वाली फैक्ट्रियाँ भोपुरा, साहिबाबाद में खाद्य सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ उड़ाती चल रही हैं। गौरतलब हो कि पंकज तोमर के अनुसार पांच मई को भोपुरा तिराहे के निकट सेवाराम के जानकार ने पंकज तोमर को मोटर साइकिल से साइड मार दिया था जिस बात को लेकर साइड मारने वाले व्यक्ति ने मौके पर सेवाराम को बुला लिया जो आते ही पंकज तोमर पर हमला कर दिये। मामला थाने में दर्ज होने के बाद अब सेवाराम मामले को दूसरा एंगल देकर अपनी दादागिरी दिखा रहे हैं और फोन पर तरह-तरह की धमकी भी दे रहे हैं। चूंकि सेवाराम क्षेत्र के चर्चित दबंग व्यक्ति हैं इसलिए कुछ तथाकथित उनके पिट्ठू मीडियाकर्मी भी मामले में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। मोबाइल पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग से साफ होता है कि सेवाराम अपने धन और रसूखदारी के दम पर पंकज तोमर को दूसरे ऐंगल से फंसाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे देखते हुए पकंज तोमर ने आवाज की रिकार्डिंग, शिकायत प्रार्थना पत्र, समाचार पत्र में छपी खबर, मुख्यमंत्री योगी को संबोधित एक वीडियो और दर्ज मुकद्मे के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी गाजियाबाद और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गाजियाबाद को अवगत कराते हुए न्याय एवं सुरक्षा की मांग की है। दरअसल आज सामान्य रूप से एक चलन देखने में आ रहा है कि पुलिस और पत्रकार पर उगाही का आरोप सामान्य तौर पर लगाया जाता है। पुलिस यदि किसी माफिया के घर पर रेड मारती है तो घरवाले तुरंत आरोप लगाते हैं कि पुलिस वाले महिलाओं के साथ बद्तमीजी किये। वहीं यदि कोई पत्रकार किसी औद्योगिक प्रतिष्ठान के आस-पास जाकर जानकारी मांगने लगे तो उसे उगाही से जोड़कर देखा जाता है। कहने के लिए आये दिन पत्रकार एकता की बात करते हैं, लेकिन जब किसी पत्रकार का उत्पीड़न किसी रसूखदार द्वारा किया जाता है तो दूसरे ज्यादातर पत्रकार जयचंद की भूमिका में नजर आते हैं जैसा इस मामले में भी देखने को मिल रहा है।