हाथरस, नीरज चक्रपाणि। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर बैंकों के पुनः निजीकरण के आरबीआई के उकसावे के विरुद्ध स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया मुख्य शाखा, हाथरस पर समस्त बैंकों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रर्दशन किया गया। प्रर्दशनकारियों को सम्बोधित करते हुए फोरम के जिला संयोजक बी.एस. जैन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सामना की जा रही कई चुनौतियों से आप सभी साथी अच्छी तरह से अवगत हैं। खराब ऋण प्रत्येक तिमाही बढ़ रहे हैं और यह रुपया 13 लाख करोड़ से अधिक के चिन्ताजनक अनुपात तक पहुंच गये हैं सरकार द्वारा कोई प्रभावी उपाय खराब ऋणों की वसूली के लिए नहीं किया जा रहा है और सभी प्रकार की रियायतें चूक कर्ताओं को दी जा रही हैं व खराब ऋणों को सस्ती कीमत पर बेचा जा रहा है। सरकार खराब ऋणों को वसूल करने के कठोर उपाय करने के स्थान पर बैंकों के बहीखातों में खराब ऋणों को कम करने के विभिन्न उपायों पर चिन्तन कर रही हैं। श्री जैन ने आगे कहा कि आरबीआई गवर्नर तथा डिप्टी गवर्नर ने एनपीए मुद्दे को हल करने के उपाय के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनः निजीकरण, विनिवेष, विलय और समेकन, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के माध्यम से कर्मचरियों की कमी आदि के सुझाव देते हुए सार्वजनिक बयान दिये हैं, जो नितान्त अनुचित और उत्तेजक हैं। हमारे राश्ट्रीय संगठन ने इन बयानों का गम्भीर संज्ञान लिया है। हम आरबीआई अधिकारियों के बयानों की निन्दा करते हैं। यदि प्रदर्षनों तथा अन्य आन्दोलन कार्यक्रमों से सरकार ने अपना स्पश्टीकरण नहीं दिया कि ये बयान सरकारी नीति और निर्णयों के अनुसार हैं या ये इन अधिकारियों की व्यक्तिगत टिप्पणियां हैं, तो बैंक कर्मियों को एक दिन की हड़ताल का आह्वान भी आ सकता है, जिसे सफल करने की आपकी जिम्मेदारी होगी। एनसीबी के साथी पी.एस.रावत ने उक्त अधिकारियों के बयानों को उत्तेजित करने वाला बताया और कठोर षब्दों में निन्दा की। यूपीबीईयू के अध्यक्ष वी.के.षर्मा ने सरकार की निजीकरण की नीति को गलत बताया उन्होंने कहा कि बैंकों का राश्ट्रीयकरण बैंक कर्मचारियों ने संघर्श कर देषहित में कराया था। राश्ट्रीयकरण के बाद देष ने चहुंओर प्रगति की है। उन्होंने सभी प्रदर्षनकारियों को आज के सफल प्रदर्षन के लिए धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया और भविश्य के कार्यक्रमों को पुरजोर सफल बनाने का आह्वान किया। आज के प्रदर्षन को सफल बनाने में सन्तोश कुमार सिंह, राकेष वर्मा, बनी सिंह, अषोक कुमार सिंह, अषोक कुमार षर्मा, हुकुम सिंह, नरेन्द्र कुमार, सतेन्द्र सिंह, नवल किषोर षर्मा, ओम प्रकाष, इतवारी लाल, लोकेष गौतम, रवि राकेष, जितेन्द्र सिंह राना, एके गुप्ता, चन्द्रकान्त चैरसिया, सतेन्द्र कुमार, मनीश कुमार, सुधीर षर्मा, सुरेष चन्द्र, राजवीर सिंह, प्रकाष वर्मा, विवेक अग्रवाल, राकेष कुमार सारस्वत, षोभित वर्मा, राजेन्द्र कुमार, किषन गोपाल, विवेक यादव, प्रियांकर जैन, रमेष सैनी, षंकरलाल, जगवीर, मनमोहन षर्मा, अमर सिंह, लालाराम, षैलेन्द्र तौमर, रमेष सैनी एवं अषोक कुमार आदि ने सक्रिय भूमिका अदा की।