⇒लाॅकप में मारपीट होना पुलिस की कार्यशैली पर लगा रहा सवालिया निसान
⇒जब लाॅकप में पत्रकार व उसके परिजनों द्वारा मारपीट की जा रही थी तो पुलिस कर्मी कहां चले गए थे?
⇒ऐसी लापरवाही के चलते लाॅकप में बन्दियों के साथ घटित हो सकती है कोई बड़ी वारदात
कानपुर, जन सामना ब्यूरो। थाने के लाॅकप में मारपीट होती रही और पुलिस ने मारपीट करने वालों को कुछ नहीं कहा, मारपीट होने के दौरान पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया, इससे जाहिर होता है कि पुलिस अब लाचार हो चुकी है या पुलिस ने किसी दबाव के चलते पेशबन्दी का मुकदमा दर्ज करने के दौरान ध्यान नहीं दिया।
जी हां एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया कि बिगत 15 मई को बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा-6 के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार अमर अस्थाना को अवैध कटिया लगाने वालों का विरोध करना भारी पड़ गया। बिजली के पोल से अवैध कटिया लगाने वाले दबंगों द्वारा पत्रकार अमर अस्थाना, उनकी पत्नी, बेटी व बेटे के साथ लगभग दो दर्जन लोगों द्वारा जमकर मारपीट की गई, उनके घर में तोड़फोड की गई। उनकी बेटी व पत्नी को बेल्टों से जमकर पीटा गया।
पत्रकार अमर अस्थाना के अनुसार अरविन्द कौशल ने उन पर रिवाल्वर से गोली मारने के लिए निसाना साधा लेकिन मिस हो जाने के कारण वो बाल बाल बच गए। यह भी पता चला कि दबंगों के हौंसले इतने बुलन्द थे कि जब 100 नम्बर की सूचना पर पुलिस पहुंची तो पुलिस के जवानों के साथ भी दबंगों द्वारा मारपीट की गई। यह भी पता चला कि मारपीट होने की सूचना मिलने पर कवरेज करने पहुंचे मीडिया कर्मियों के साथ भी दबंगों ने जमकर मारपीट की।
इस बावत ‘आज’ अखबार के पत्रकार अमर अस्थाना की तहरीर के अनुसार अरविन्द्र कौशल, विशाल, अनिल, प्रमोद, शिवम् को नामजद करते हुए लगभग अन्य एक दर्जन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया।
वहीं आरोपियों की तहरीर लेकर पत्रकार अमर अस्थाना व उनके परिजनों के खिलाफ भी मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया। लेकिन पत्रकार व उसके परिजनों द्वारा थाने के लाॅकप में मारपीट करना और सकुशल भाग जाना, सवालिया निसान लगा रहा है।
⇒जब थाने में पत्रकार अमर अस्थाना, उनकी पत्नी व बेटी मारपीट कर रही थी तो पुलिसकर्मी कहां थे? उन्होंने मारपीट करने वाले पत्रकार व उसके परिजनों को हिरासत में क्यों नहीं लिया जबकि थाने में तो दर्जनों पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं?
⇒क्या पत्रकार के ऊपर दबाव बनाने के लिए दबंगों का साथ दिया गया और पत्रकार व उसके परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया?
⇒वहीं खास तथ्य यह है कि लाॅकप में बन्द आरोपियों के साथ जब मारपीट की जा सकती है तो इससे भी बड़ी वारदात हो सकती है इसे भी कदापि नकारा नहीं जा सकता है और पुलिस कुछ नहीं कर पायेगी, जैसा कि बिगत दिनों की घटना के बावत दर्ज की गई रिपोर्ट में पुष्टि हो रही है कि लाॅकप में पत्रकार व उसके परिजनों द्वारा मारपीट की गई।