मानवीय जीवन यापन में ज़रूरी खाद्य और पोषण क्षमता विकास पर अंतरराष्ट्रीय मंथन एक सकारात्मक कदम – एड किशन भावनानी
भारत एक कृषि व गांव प्रधान देश है जहां अधिकतम जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारतमाता की मिट्टी में जीवन यापन में ज़रूरी खाद्य पोषक के उत्पादन की अपार क्षमताएं हैं, जिसके कारण यहां पोषक अनाज की भरपूर मात्रा उत्पन्न होती है, जिसमें बासमती चावल में भारत का स्थान भी शुमार होता है। हमारा देश खाद्य और पोषकके उत्पादन, कृषि कार्यों के लिए जंग प्रसिद्ध है। यही कारण है कि, भारत की पहल और प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीयपोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है व वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाने के लिए तैयारियां की जा रही है। भारत में कृषकों के लिए अनेक योजनाएं, सुविधाएं, राहत, प्रोत्साहन, अनुदान, स्कीम इत्यादि दशकों से केंद्र में सत्ता पाने वाली सरकार द्वारा घोषणाएं कर उसका क्रियान्वयन किया जाता रहा है, जो वर्तमान केंद्रीय शासन द्वारा भी किया जा रहा है। हालांकि वर्तमान कुछ महीनोंवसे चालू किसान आंदोलन में सरकार सकारात्मक रुख अपनाए हुए है, कई दौर की बातचीत हो चुकी है उम्मीद है समस्या का समाधान ज़रूर निकलेगा। परंतु यह समय है हमें खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कृषि जैव विविधता को मजबूत करने औरउसके तकनीकीसंरक्षण पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करने का!!! क्योंकि मानवीय जीवन यापन केलिए और अगली पीढ़ियों के लिए जरूरी है कि रणनीतिक रोडमैप बनाकर खाद्य और पोषण क्षमता का विकास करने पर अंतरराष्ट्रीय मंथन किया जाए जो एक सकारात्मक कदम ब्रिक्स देशों के कृषिमंत्रियों की वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय बैठक भारतीय केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में दिनांक 27 अगस्त 2021 को हुई। जिसमें, भारत, रूस, चीन, ब्राज़ील, दक्षिण अफ़्रीका के कृषि मंत्रियों ने भाग लिया।…साथियों बात अगर हम इस ब्रिक्स की 11 वीं कृषि मंत्रियों की बैठक की करें तो पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए कृषि जैव विविधता विषय पर संबोधन में कहा कि कृषि जैव विविधता के संरक्षण के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत ने विभिन्न संबंधित ब्यूरो में पौधों, जानवरों, मछलियों, कीड़ों व कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीवों के लिए राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की है और उनका रखरखाव कर रहा है।भारत दलहन, तिलहन, बागवानी फसलों, राष्ट्रीय बांस मिशन व हाल ही में शुरू किए गए राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन जैसे देशव्यापी कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी कृषि-खाद्य प्रणालियों के विविधीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य खेतों व थाली दोनों में विविधीकरण प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना है। बैठक में ब्रिक्स देशों में मजबूत कृषि अनुसंधान आधार व विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की स्थिति में ज्ञान का लाभ उठाने व साझा करने की जरूरत, उन्नत उत्पादकता के लिए बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए प्रयोगशाला से भूमिपर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा, कृषि जैव विविधता बनाएरखने व प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने को मंजूरी दी गई। ब्रिक्स देशों के बीच भावी सहयोग के लिए व्यापक फोकस क्षेत्रों को कवर करतेहुए ब्रिक्स कृषिमंत्रियों की इस बैठक की संयुक्त घोषणा व ब्रिक्स देशों के कृषि सहयोगके लिए कार्ययोजना 2021-24 और ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच को अपनाने का निर्णय लिया गया वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर ब्रिक्स कृषि विशेषज्ञों और ब्रिक्स कृषि कार्यकारी समूह की बैठकों में इन दस्तावेजों पर व्यापक चर्चा की गई थी।ब्रिक्स देशों के लिए खाद्य सुरक्षा व पोषण हेतु कृषि जैव विविधता के ध्येय को आगे बढ़ाने में सहयोग करने की क्षमता को देखते हुए, ब्रिक्स देशों के कृषि सहयोग के लिए कार्य योजना 2021- 2024 में फोकस क्षेत्रके रूप में पोषण और सततता के लिए कृषि जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। मंत्रियों ने भारत द्वारा विकसित ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच को कार्यात्मक बनाने और उत्पादकों व प्रसंस्करणकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकियों के उपयोग तथा अनुप्रयोग में सुधार के लिए अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करने के प्रति अपनी मंशा व्यक्त की। ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच कृषि अनुसंधान, विस्तार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा। कृषि मंत्री ने बताया कि भारत की पहल और प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है व वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाने के लिए तैयारियां की जा रही है और भारत पोषक-अनाज के अनुसंधान, शिक्षण, नीति- निर्माण व्यापार और खेती में क्षमता विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं, जो फसलों के इस समूहमें उपलब्ध अद्भुत विविधता के संरक्षण के साथ-साथ किसानों को लाभान्वित करने में दीर्घकालीन उपाय होगा और यह दुनिया के कम पर्यावरणीय रूप से संपन्न क्षेत्र में केंद्रीत हैं। उन्होंने बताया कि कृषि अनुसंधान और नवाचारों में सहयोग को बढ़ावा देनेके लिए ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच तैयार किया गया है और आज से इसका क्रियान्वयन प्रारंभ कर दिया गया है। बैठक में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कृषि जैव विविधता को मजबूत करने हेतु ब्रिक्स साझेदारी विषय पर विचार-विमर्श किया। ब्रिक्स महत्वपूर्ण समूह है, जो दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है, दुनिया की 41 प्रतिशत आबादी कीमेज़बानी करता है, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 24 प्रतिशत और विश्व व्यापार में 16 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश भूखमरी व गरीबी मिटाने के लिए वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने की अच्छी स्थिति में हैं। कृषि उत्पादन बढ़ाकर व किसानों की आय में वृद्धि करके, आय असमानता व खाद्य मूल्य अस्थिरता की समस्या को दूर किया जा सकता है। अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कृषि जैव विविधता को मजबूत करने उसके तकनीकी संरक्षण पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करना जरूरी है और वर्तमान में इस पहलू पर ब्रिक्स देशों के कृषि मंत्रियों की 11वीं बैठक में विचार किया गया जो एक सकारात्मक कदम है क्योंकि मानवीय जीवन यापन में ज़रूरी खाद्य और पोषण क्षमता विकास करने पर अगली पीढ़ियों के लिए भी यह एक सुरक्षात्मक कदम होगा।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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