अफ़ग़ानिस्तान तालिबान संकट मामले में भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी का अभूतपूर्व प्रस्ताव पारित – एड किशन भावनानी
अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के कब्जे और 31 अगस्त 2021 को अमेरिकन सेना द्वारा काबुल एयरपोर्ट परिछेत्र छोड़ने की डेडलाइन, काबुल एयरपोर्ट पर 26 अगस्त 2021 को जबरदस्त धमाकों में 169 लोगों और 13 अमेरिकन सैनिकों की शहादत सहित अनेक वर्तमान परिस्थितिकी तंत्र जनक स्थितियों में भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अध्यक्षता रूपी उपस्थिति एक जवाबदारी और महत्वपूर्ण रोल अदा करने का जज़बा भारत के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति से कम नहीं था, परंतु भारत ने अपने सुकौशलता पूर्ण और सफलतापूर्ण संचालन कार्यवाही में यूएनएससी में सोमवार – मंगलवार 31 अगस्त 2021 की बैठक में अफ़ग़ानस्तान संकट मामले के संबंध में लाया गया प्रस्ताव क्रमांक 2593 पर कार्रवाई की अध्यक्षता कर प्रस्ताव को 13/0 मतों से पारित किया गया। तालिंबान के अफ़ग़ानस्तान पर कब्जा करने के बाद वहां की स्थिति पर परिषद द्वारा अपनाया गया यह पहला प्रस्ताव है। अगस्त के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत कर रहा था और उसकी अध्यक्षता के अंतिम दिन इसे पारित किया गया।बता दें कि यूएनएससी में कुल 15 सदस्य होते हैं जिनमें से 13 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में सहमति दी जबकि रूस और चीन सभा में अनुपस्थित रहे ऐसी जानकारी प्रिंट मीडिया और ट्विटर हैंडल पर दी गई है। काबुल की सत्ता पर तालिंबान का कब्ज़ा होना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बड़ी चिंता की बात है। इसीलिए यूएनएससी की पिछली बैठकों में तालिबान का ही मुद्दा छाया रहा लेकिन, अब यूएनएससी ने अफ़ग़ानस्तान को लेकर अपना प्रस्ताव पास कर दिया है। भारत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए विदेश सचिव न्यूयॉर्क पहुंचे थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने ट्वीट में कहा कि प्रस्ताव में कहा गया है कि अफ़ग़ानस्तान की जमीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के 1267 नियम के तहत घोषित आतंकवादियों के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। तालिबान अफ़ग़ानियों को बाहर जाने देगा। महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करेगा…साथियों बात अगर हम यूएनएससी के पारित प्रस्ताव की करें तो इसमें, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका और परिषद के अन्य 13 सदस्यों देशों द्वारा लाए प्रस्ताव को मतदान द्वारा पारित किया गया। मतदान के दौरान रूस और चीन मौजूद नहीं थे।सूत्रों ने यह भी कहा है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से वर्तमान में भारत की प्रमुख चिंताएं दूर होंगी और भारत ने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की व्यवस्था सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई है। प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफ़ग़ान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देशको धमकाने, हमला करने आतंक वादियों को पनाह देने, उन्हें प्रशिक्षण देने, आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें धन मुहैया कराने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में विशेष रूप से नामित आतंकवादी संगठनों जो संयुक्त राष्ट्र के संकल्प 1267 के अनुसार नामित व्यक्तियों और संस्थाओं का उल्लेख है।यूएनएससी के इस निर्णयका अफ़ग़ानस्तान के घटनाक्रम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। टीवी चैनलों के अनुसार, यह संतोष की बात है कि भारत इस प्रमुख मुद्दे पर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से अंतरराष्ट्रीय विचार करने में योगदान कर सकता है। भारत ने कहा है कि यूएनएससी में अफ़ग़ानस्तान पर पारित प्रस्ताव से काबुल हवाई अड्डे सहित अफ़ग़ानस्तान से यात्रा संबंधी भारत की चिंताएं दूर होंगी। टीवी चैनलों अनुसार इनमें अफ़ग़ानस्तान में फंसे अफ़ग़ान नागरिकों और भारत आनेके इच्छुकअल्पसंख्यकों सहित भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालनेमें मदद मिलेगी…साथियों यह प्रस्ताव मानवीय सहायता, मानवाधिकार, समावेशी और बातचीत के जरिए समाधान के मुद्दों का समाधान निकलने में मददगार होगा। उल्लेखनीय है कि प्रस्ताव में तालिबान द्वारा 27 अगस्त को जारी किए गए बयान पर गौर किया गया, जिसमें संगठन ने इस बात को लेकर प्रतिबद्धता जतायी थी कि अफ़ग़ानिस्तान के लोग विदेश यात्रा कर सकेंगे, वे जब चाहें अफ़ग़ानिस्तान छोड़ सकते हैं और वे दोनों हवाई एवं सड़क मार्ग से किसी भी सीमा से अफ़ग़ानिस्तान से बाहर जा सकते हैं, जिसमें काबुल हवाई अड्डे को फ़िर से खोलना तथा उसे सुरक्षित करना शामिल है, जहां से कोई भी उन्हें यात्रा करने से नहीं रोकेगा। प्रस्ताव में कहा गया कि परिषद यह उम्मीद करता है कि तालिंबान इन और अन्य सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों और सभी विदेशी नागरिकों का अफ़ग़ानिस्तान से सुरक्षित एवं व्यवस्थित प्रस्थान शामिल है। अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता तथा राष्ट्रीय एकता के लिए मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, प्रस्ताव में 26 अगस्त को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास हुए हमलों की कड़े शब्दों में निंदाकी गई… साथियों बात अगर आम अमेरिकी सेना द्वारा काबुल छोड़ने की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एक दिन पूर्व ही का काबुल एयरपोर्ट परिसर को अलविदा कर छोड़ दिया है। हमने 1 सितंबर 2021 को टीवी चैनलों पर देखेकि वहां तालिंबानी इस ख़ुशी में उत्साह का माहौल मना रहे हैं। आसमान में फायरिंग की जा रही है, हालांकि अभी सरकार के बनाने की अनिश्चितता बनी हुई है… साथियों बात अगर हम भारत के रुख की करें तो, टीवी चैनलों द्वारा दी जानकारी के अनुसार रणनीति रोडमैप बनाना शुरू है और पड़ोसी तथा विस्तार वादी इत्यादि देशों को ध्यान में रखते हुए भारत अपने मजबूत रणनीति बनाने में कामयाब होगा, ताकि भारत को इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद बनी रहे और सबसे बड़ी बात इस परिक्षेत्र में सुख शांति अमन चैन, भारतीय मजबूत सुरक्षा हित सर्वोपरि रहे। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन पर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अफ़ग़ानिस्तान तालिबान संकट मामले में भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी का अभूतपूर्व प्रस्ताव जो पारित हुआ है इसका सकारात्मक प्रभाव भविष्य में देखने को ज़रूर मिलेगा।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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