Saturday, November 23, 2024
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किसान भाई कीट/रोग के लक्षण के अनुसार IPM पद्धति अपनाते हुए फसल की करें सुरक्षा

धान की फसल अथवा किसी भी अन्य फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में जिला कृषि रक्षा अधिकारी के मो0नं0-7839882320 पर सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है
प्रयागराज। जिला कृषि रक्षा अधिकारी इन्द्रजीत यादव ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि किसान भाई खरीफ की मुख्य फसल धान में विगत दिनों में मौसम की प्रतिकूलता के कारण कीट एवं रोग के प्रकोप बढ़ने की सम्भावना है, जिस सम्बन्ध में कृषकगण को सुझाव दिया जाता है कि वे अपने फसल की बराबर निगरानी रखते हुऐ कीट/रोग के लक्षण के अनुसार आई0पी0एम0 फसल पद्धति अपनाते हुए फसल की सुरक्षा करें।
जीवाणु झुलसा रोग को बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें पत्तियाॅ नोक से अथवा किनारे की तरफ से सूखना प्रारम्भ होकर नीचे की तरफ सूखती है। आरम्भ में धब्बें धूसर रंग के होते है, जो एक या दो दिन में पीले हो जाते है। खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देते ही स्टैप्टोसाइक्लीन 15 ग्राम एवं कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति डब्लू0पी0 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगभण 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल पर दूसरा छिड़काव किया जाय। जब तक रोग के लक्षण समाप्त न हो जाय तब तक यूरिया का पर्णीय छिड़काव न किया जाय।
फुदका कीट प्रौढ़़ पौधे के निचले हिस्से में पत्तियों, दानों का रस चुसकर पौधे को प्रभावित करते है। जिससे फसल पीली पड़ कर सूख जाती है। जिससे फसल उत्पादन प्रभावित होता है। फुदका कीट सफेद, भूरें या हरे पंख वाले छोटे आकार के होते है। जिन्हें सफेद फुदका/भूरा फुदका/हरा फुदका के नाम से जाना जाता है। इनमें भूरा फुदका अत्यन्त विनाशकारी होता है। जिनके द्वारा खेत में जगह-जगह गोलाकार आकार में पौधे झुलसे दिखाई पड़ते है। अधिक प्रकोप की दशा में डाईक्लोरोवास 76 प्रतिशत 500 मिली0 प्रति हे0 या क्यूनाॅलफास 25 प्रतिशत 01 लीटर प्रति हे0 या कार्बोफ्यूरान 03 जी0 20 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जाय।
गंधी कीट प्रौढ़ बाली के दुग्धावस्था में दानों से रस चूस लेते हे जिसके फलस्वरूप दाने नही बनतें है। फूल आने के बाद औसतन 02 से 03 कीट प्रति हिल दिखाई देने पर मैलाथियान 05 प्रति या फेनेवेलरेट 0.04 प्रति धूल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से अथवा एजाडिरैक्टिन 0.15 प्रति0 ई0सी0 2.5 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हे0 छिड़काव किया जाय। छिड़काव प्रातः अथवा सायं हवा बन्द होने पर ही करें।
किसान भाई धान की फसल अथवा किसी भी अन्य फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में जिला कृषि रक्षा अधिकारी के मो0नं0-7839882320 पर जानकारी प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त किसान भाई के किसी भी फसल में कीट/रोग की समस्या की स्थिति में कृषि विभाग के सहभागी फसल निगरानी निदान प्रणाली के मो0 नं0-9452247111 अथवा 9452257111 पर ह्वाट्सएप या मैसेज द्वारा 48 घण्टे में फसल के कीट/रोग की समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।