कानपुर, अर्पण कश्यप। एक माँ अपनी दस महीने की बेटी को लिये दर दर मदद के लिये भटक रही है पर इनकी सुनने वाला कोई नही है एक तरफ मोदी सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का राग अलाप रही है वही दूसरी तरफ ऐसी बहुत सी बेटियाँ है जो आर्थिक कमजोरी के चलते दम तोड़ रही है ऐसी एक बेटी जो खिलने से पहले मुरझाने की कगार पर है इस बेटी का नाम है सिवान्या जो महज दस महीने की है जिसने अभी जिन्दगी का मतलब नही समझा उसे ऐसी बीमारी मिली है जिसका इलाज कराने में सिवान्या के माता पिता असमर्थ है सिवान्या के पिता अजय गुप्ता अपनी पत्नी सीमा बेटा 12 हिमॉशु बेटी कोमल 9 सिवान्या 10 महीने के साथ बर्रा -8 बी सेक्टर में किराये पर रहते। सिवान्या के पिता अजय ठेला लगा कर परिवार चलाते है घर की माली हालत देखी जाये तो दो साल से बेटे हिमॉशु और बेटी कोमल की स्कूल की फीस नही जमा हो पायी है दूसरी ओर जहॉ इतनी गर्मी में लोग ऐसी में पसीने छोड़ रहे है वहॉ सिवान्या टीन शेड के बने कमरे में जमीन पर सोती है पिता अजय सिवान्या के इलाज में सिर से पॉव तक कर्ज में डुब चुके है इतनी मेहनत के बावजुद डाक्टरों ने साफ तौर अजय से कहा की सिवान्या को घर पर ही रखे इसका इलाज अब नामुमकिन है हैलट में सिवान्या का इलाज कर रहे यशवन्त कुमार राय का कहना है कि सिवान्या के दिल में छेद है जो हो सकता है कि समयानुसार भर जाये पर इस बीमारी के चलते सिवान्या के ब्रेन में असर पड़ा है जिससे सिवान्या का दिमाग सिकुड़ गया है जो कि अब ठीक नही हो सकता है जिसे सुन मायुश हो कर सीमा अपनी लाड़ली को सीने से लगाये सिवान्या की सूरत देख दबी जुबान से सिर्फ बड़ी बाते बोलने वाले नेताओं से अपनी बेटी की जिन्दगी मांग रही है अब देखना यह है कि कितने लोग सिवान्या की मदद के लिये आगे आते है।