Saturday, November 23, 2024
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त्योहारों पर फिजूल खर्च कितना जरूरी

बेशक त्यौहार हमारे जीवन में आनंद उत्साह और ऊर्जा भरते है। नये कपड़े, पटाखें, मीठाई और रंगों से भरी दिवाली इस साल हर त्यौहार की तरह फ़िकी ही लगेगी क्यूँकि कोरोना की वजह से पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। पर एक बात गौरतलब है की इन सारे त्यौहारों पर हर बार हम कितना फ़िज़ूल खर्च कर देते है। यहाँ तक की महीने भर का बजट हिल जाता है। पर जहाँ एक ओर जमाने के बदलते स्वरूप के साथ कदम मिलाना हमारे लिए जरूरी है। वहीं अपनी मेहनत की कमाई को फिजूलखर्ची से बचाना भी उतना ही अत्यावश्यक है। क्या दो साल पहले ली हुई हैवी साड़ी दोबारा इस दिवाली पर नहीं पहन सकते? कोरोना महामारी ने इंसान को एक बात बहुत बखूबी समझा दी है कि दुनिया की हर शै वक्त की गुलाम है। वक्त कब क्या हालात दिखाएं कोई नहीं जानता। आज जिन लोगों ने बचत के नाम पर पूँजी जमा की होगी उनका ये खराब समय भी आसानी से कट गया होगा। तो हर इंसान को अपनी चद्दर अनुसार पैर फैलाने चाहिए। पहले के ज़माना में ठीक था की तीज त्यौहार पर ही लोग नये कपड़े बनवाते थे, पर अब ऐसा नहीं जब मार्केट जाते है कुछ ना कुछ खरीद लाते है। और खास कर त्यौहारों पर छोटी दुकान से लेकर बड़े बड़े मोल में डिस्काउन्ट के नाम पर आकर्षित ऑफ़र से लोगों को ललचाया जाता है, और हम भी डिस्काउन्ट का नाम सुनते ही बीना सोचें समझें उठा लाते है, जरूरत से ज़्यादा कपड़े और बहुत सारी बेजरूरत की चीज़ें जो की ये गलत है। शोपिंग करके जब घर आते है और हिसाब लगाते है तब आँखें खुलती है की ओह्ह.. कुछ ज़्यादा ही हो गई शोपिंग। तो त्यौहारों पर कपड़ों से लेकर कोई भी पड़ी हुई चीज़ों से अगर चल जाता हो वहां फ़िज़ूल खर्च पर कटौती करके चार पैसे जोड़ लेने चाहिए। और ब्रांडेड चीज़ों का मोह छोड़ कर बजट के अनुरूप खरिदारी करेंगे तो जहाँ पाँच हज़ार में दो चीज़ें लेते है उसमें चार चीजें आ जाएगी।
लाइफ़स्टाइल को थोड़ा सादा बनाकर कुछ फ़िज़ूल खर्च में कटौती करके बचत अचूक करनी चाहिए। कुछ साल की उम्र के बाद आपके सामने कुछ बड़े खर्च आने लगते हैं, जैसे मकान, मेडिकल या बच्चों की पढ़ाई. ऐसे में हो सकता है कि आप रिटायरमेंट के लिए ज्यादा पैसे न बचा पाएं। इसिलिए मिडल क्लास फैमिली को शुरू से ही आयोजन में जी कर भविष्य के लिए निवेश करना चाहिए।
कुछ लोग बचत को बाद के लिए टाल देते हैं। वे मौजूदा खर्च को अधिक तवज्जों देते है इसके कई नुकसान है। युवा अक्सर यह सोचते है कि बचत के लिए तो पूरा जीवन पड़ा है।
दिखावे पर नहीं जाना चाहिए। अडोस-पडोस रिश्तेदारों की देखा देखी में अपने घर का बजेट खस्ता नहीं होना चाहिए।
बुरा समय आगाह करके नहीं आता जमा पूंजी और निवेश ऐसे समय में राहत देगा और चार पैसे हाथ पर रहेंगे तो हर परिस्थिति से लडने का हौसला बना रहेगा। अपना बुढ़ापा आराम से काटना चाहते है या अभी मौज करना चाहते है? इसकी एक तस्वीर बनाएं और निवेश की शुरुआत जल्द से जल्द शुरू करने की योजना बनाएँ पैसे पास में होंगे तो सेवा करने वाले भी मिल जाएंगे।
भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगुलूरु, कर्नाटक)