इस ऋतु में आमतौर से होने वाले रोगों में से खांसी-जुकाम या सर्दी एक साधारण रोग होता है। वैसे तो सर्दी या खांसी-जुकाम कभी भी और किसी भी कारण से हो सकता है लेकिन शीतकाल में शीत प्रकृति के लोगों को यह रोग प्रायः हो जाता है।
कारणः- आयुर्वेद के मतानुसार खांसी-जुकाम होने का दो प्रधान कारण बताया गया है। एक शरीर में एकत्र होने वाले विजातीय तत्वों का प्रभाव तथा दूसरा अपचपूर्ण आहार-विहार का सेवन माना गया है। पूर्वसंचित विजातीय विकार, कब्ज, श्वास-रोग, टांसिल बढ़ना, शारीरिक कमजोरी आदि कारणों से कितना भी सावधानी रखने पर बार-बार सर्दी- जुकाम हो जाता है।
इस ऋतु में अपचपूर्ण आहार से ठंड लग जाना, नदी-पोखरो के जल में स्नान, शीत लहरी का लगना, रात में जागना, शीतल पदार्थों का सेवन, परिश्रम तथा तेज धूप से आकर तत्काल ठंडा पानी पीने से जुकाम हो जाता है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार अनुचित आहार-विहार, अपच और पूर्वसंचित शारीरिक दोषों के प्रभाव से नाक और गले श्लैष्मिक झिल्ली में घाव, सूजन तथा अन्य दोषों के कारण सर्दी- जुखाम हो जाता है।
परहेजः- जुकाम होते ही पहले दिन उपवास करना चाहिए। यदि खान-पान में काफी सावधानी बरती जाए तो खांसी-जुकाम से शीघ्र छुटकारा पाया जा सकता है और अपने को सुरक्षित रखा जा सकता है। जुकाम होने पर चटपटी वस्तुएं, ठंडी चीजें, खटाई आदि खाना-पीना त्याग देना चाहिए। दिन और रात में भोजन के बाद गर्म पानी का सेवन करना चाहिए। कच्चा तथा शीतल जल पीना छोड़ देना चाहिए और शरीर को ठण्ड से बचाना चाहिए।
घरेलू उपचारः- आयुर्वेद में खांसी-जुकाम की लाभकारी औषधि पंच कल्याण वटी, कफकेतु, अमृतादिक्वाथ, मारिचादि गुटका, शिलोपकादि चूर्ण है। जुकाम होने पर पेट साफ रखना चाहिए। पेट साफ रखने के लिए त्रिफला का सेवन किया जा सकता है।
सर्दी-जुकाम तथा कफ बढ़ जाने पर छाती में भारीपन मालूम होता है। जब कफ निकलता नहीं है तो बार-बार खांसना पड़ता है। ऐसी स्थिति में मुलहठी का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।
5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण लेकर दो कप पानी में डालकर इतना उबालें कि पानी आधा रह जाए तब उतारकर कपड़ा से छान लें। इसे ठंडा करके आधा सवेरे तथा आधा आधा रात को सोते समय सेवन करना चाहिए। यह क्रिया कुछ दिनों तक करने से खांसी-जुकाम तथा सर्दी से मुक्ति मिल जाएगी।
इसके सेवन से कफ ढीला होता है और खांसने पर आसानी से निकलने लगता है। तब खांस-खांसकर कफ को थूक देना चाहिए। वास्तव में सूखकर जमा हुआ कफ ढीला होकर खांसने पर निकलने लगता है और खांसी का आना बंद हो जाता है। कफ बढ़ने पर कफ सुखानेवाली दवा नहीं लेनी चाहिए।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम