➡️अपात्रों के पास राशन कार्ड होने के जिम्मेदार कार्ड धारक ही नहीं और भी लोग हैं
गलत ढंग से खाद्यान्न प्राप्त कर रहे कार्डधारको के विरूद्ध कार्यवाही से पहले कोटेदारों पर भी हो कठोर कार्यवाही
⇒आपूर्ति विभाग और तहसील/ब्लॉक में संबंधित विभाग के अधिकारी भी हैं अपात्रों को कार्ड जारी करने के जिम्मेदार
रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। जनपद में प्रचलित समस्त अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी के सभी राशन कार्डधारक जो सरकार की शर्तों/मापदण्डों के अनुसार अपात्रता की श्रेणी में आते हैं वे अपना राशन कार्ड अपनी तहसील के आपूर्ति कार्यालय में जाकर यथाशीघ्र समर्पित कर दें, सरकार और प्रशासन द्वारा ऐसा आदेश कई दिनों पहले ही जारी हो चुका है। बता दें कि जनपद स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से जनपद में प्रचलित समस्त राशन कार्ड धारकों की पात्रता/अपात्रता की जाँच/सत्यापन का कार्य कराया जा रहा है। यदि इस जाँच/सत्यापन में कोई भी कार्डधारक उपर्युक्त शर्तों/ मापदण्डों के अनुरूप पाया जाता है, और वह अपात्रता की श्रेणी में आते हैं, किन्तु गलत ढंग से खाद्यान्न प्राप्त कर रहे हैं तो सम्बन्धित कार्डधारक के विरूद्ध विधिक कार्यवाही करते हुए, रिकवरी की कार्यवाही भी अमल में लायी जायेगी। बताते चलें कि यह जानकारी पूर्व में ही जिला पूर्ति अधिकारी विमल कुमार शुक्ला द्वारा दे दी गई है।
जिले भर में प्रचलित राशन कार्ड के आंकड़े
जनपद में अन्त्योदय योजना के 101913 राशनकार्ड (341645 सदस्य/यूनिट) एवं पात्र गृहस्थी योजना के 458929 राशनकार्ड (1909916 सदस्य/यूनिट) इस प्रकार कुल 560842 राशनकार्ड (2251561 सदस्य/यूनिट) अब तक प्रचलित हैं। गौरतलब यह है कि ऐसे भी राशन कार्ड प्रचलित होने की प्रबल सम्भावना है, जो कार्डधारक अपात्र/मृतक हो गये हैं, परंतु उनके नाम से आज भी राशन कार्ड प्रचलन में है।
आखिर अपात्र होने के बावजूद क्यों मिला धारक को राशन कार्ड
वर्तमान में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब प्रदेश भर में ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने जा रही है जो कि अपात्र होने के बावजूद राशन कार्ड में अपनी पात्रता बनाकर सस्ते दामों में सरकारी राशन की खरीद कर रहे हैं, अब इस कार्यवाही की डर से ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस कार्यवाही के प्रचलन में लाने पर ज्यादा सहमें हुए हैं। इसके साथ ही साथ जिला मुख्यालय और आपूर्ति विभाग द्वारा लोगों को आगाह किया जा रहा है कि जो भी राशन कार्ड के अपात्र हैं फिर भी पात्रता की सूची में उनका नाम दर्ज है तो ऐसे लोग अपना राशन कार्ड जमा कर दें।
अब खास बात यह है कि सरकारी विभागों द्वारा जो धौंस राशन कार्ड धारकों को दिखाया जा रहा है इसके जिम्मेदार गांवों के प्रधान, सचिव और कोटेदार भी हैं और यही नहीं अपात्रों को राशन कार्ड वितरित करने में तहसील स्तर के लेखपाल और तहसीलदार भी जिम्मेदार हैं आखिरकार आम जनता को ही यह सरकार और सरकारी विभाग क्यों धौंस दिखा रहे हैं। ग्रामीणों के वोंट को पाने के लिए प्रधानों ने अपने सचिव और तहसील/ ब्लॉक के विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर अपात्रों को भी पात्र गृहस्थी के राशन कार्ड का हकदार बनाया है तो आखिर आम जनता ही क्यों इस कार्यवाही की भुक्त भोगी बनेगी। अब तो जांच के लिए टीमें भी गठित हो चुकी हैं और अब सभी बातें जांच का विषय बनकर ही रह जायेंगी।सरकार और प्रशासन को अपनी शर्तो के साथ साथ विभागीय कर्मचारियों पर भी कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। अपात्रों को राशन कार्ड वितरित करने में गांव के प्रधान, सचिव और तहसील/ब्लॉक स्तर के सेक्रेटरी, लेखपाल और तहसीलदार भी सवालों के घेरे में नजर आते हैं। क्या सरकारी महकमा अपने इन विभागीय कर्मचारियों पर भी कोई ठोस कदम उठा सकेगा।