रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता।वर्ष 2018-19 के बीच लोगों ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए व्यवसाय हेतु कहीं न कहीं से कुछ ऋण तो लिया ही है। चरमराती अर्थव्यवस्था के बीच आम जनमानस बैंकों से लिया हुआ ऋण अब पुनः धीरे-धीरे वापस कर रहा है। बावजूद इसके बैंको ने कुछ बिचौलिए भेज कर अपने ग्राहकों का फिजूलखर्ची करवा रहे हैं।बताते चलें कि पुणे वाला फिनकॉर्प लिमिटेड पूर्व में मैग्मा था। जिन्होंने कुछ गाड़ी सीज़रों को मुख्य मार्गों पर छोड़ रखा है। जिनका काम है कि जो ऋण दाता ऋण नहीं दे रहा हो तो उसकी गाड़ी को सीज कर यार्ड में गाड़ी खड़ी करवाते है। जो ऋण दाता अपना ऋण भर रहा हो या चुका रहा है उसे भी लगातार इन गाड़ी सीजरो के द्वारा गाड़ी को रोक कर क्लीयरेंस मांगने की धमकी देकर जबरन पैसा वसूला जा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में लोग बैंकों से ऋण लेकर ऐसे ही बिचौलियों का सहारा लेकर अपनी गाड़ी सड़क पर दौड़ाएंगे क्योंकि जिस हिसाब से यह बिचौलिए फाइनेंस कंपनी के ग्राहकों को बताते है कि यार्ड में गाड़ी खड़ी होगी तो बकाया राशि किस्त के साथ कई हजार अतिरिक्त खर्च भी देना होगा और ऐसी गणित लगाते हैं कि कुछ ना कुछ वाहन मालिक से धन वसूल ही लेते हैं। इस दरमियान गाड़ी सीजर संबंधित बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों से बात भी नहीं करना चाहता और वाहन चालक व मालिक का मोबाइल फोन लेकर किसी से बात न करवाने की धमकी देते हैं। इस तरह का धंधा रायबरेली जनपद के जगतपुर कोतवाली क्षेत्र और ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र में पिछलेे दो दिनोंं से देखने को मिल रहा है।
यह है मामला
वाहन मालिक बताते हैं कि उनके वाहन का पुणे वाला फिनकार्प लिमिटेड के बैंक से फाइनेंस हैं जिसकी लगभग सारी किस्तें समयानुसार जमा हो चुकी हैं, उनकी जानकारी के अनुसार लगभग 2 किस्त अभी बकाया हैं। जिसके संबंध में उक्त फाइनेंस कंपनी के रायबरेली शाखा प्रबंधक से वाहन मालिक की फोन पर बकाया राशि जमा करने के लिए बातचीत समझौते के तौर पर पहले ही चुकी है जिसे इसी सप्ताह शाखा में बुलाया भी गया है। परंतु उक्त फाइनेंस कंपनी बकाया ऋण को वसूलने के लिए कंपनी द्वारा मार्ग में छोड़े गए बिचौलिए वाहन मालिक से अवैध धन उगाही कर रहे हैं उसके वाहन को सीज करने की धमकी देकर पैसे ऐंठ रहें हैं जबकि जबकि शाखा के प्रबंधकों से बात करने से भी वह इनकार कर देते हैं। वाहन मालिक कंपनी के इन बिचौलियों से परेशान है उस से अवैध धन की उगाही की गई जिस पर उसमें कहा है कि अब अगर पुणे वाला फिनकॉर्प लिमिटेड बैंक के कर्मचारी ऐसा नजारा देखना चाहते हैं तो ऋण से ली हुई गाड़ी को लेकर आ जाए स्वत: पूरा मामला साफ हो जाएगा।