फिरोजाबाद। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर जन-जन को जागरूक करने के उद्देश्य से जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन बी.एस. पब्लिक स्कूल सत्यनगर में किया गया।कार्यक्रम में सहायक वैज्ञानिक अधिकारी एम.एम. गौतम ने कहा कि मानव द्वारा उपयोग के बाद त्याग दिये जाने वाले ठोस तत्वों अथवा पदार्थों को ठोस अपशिष्ट कहते है। इसमे विविध प्रकार के डिब्बे, बोतल, काँच, पॉलिथिन बैग, प्लास्टिक समान, राख, घरेलू कचरा, लौहा-लक्कड़ इत्यादि शामिल होते है। राज्य युवा पुरस्कार विजेता एवं कोमल फाउंडेशन के अध्यक्ष अश्वनी कुमार राजौरिया ने कहा कि ठोस अपशिष्ट, प्रबंधन के अंतर्गत अपशिष्टो तथा कचरो के समुचित संग्रह, डम्पिंग स्थलो पर इनका इकट्ठा करना तथा इनका समुचित निपटान सम्मिलित होता है। इस प्रकार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मे दो प्रक्रियाये सम्मिलित होती है। संग्रह, निस्तारण। इन प्रक्रियाओं के साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मे कभी-कभी पुनर्चक्रण प्रक्रिया का उपयोग भी किया जाता है। डॉ. दुर्गेश यादव ने कहा कि घरो से निकलने वाला कूड़ा-करकट तथा सार्वजनिक स्थलों पर एकत्रित कचरा नगर निकायों के लिए भारी समस्या है। इसमे पॉलिथिन, प्लास्टिक, कागज, बोतलें, टिन, ब्लेड, घरों से निकलने वाला कूड़ा आदि शामिल है। कार्यक्रम में अतुल कुमार, शैलेंद्र शर्मा, हर्ष कुमार, एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अन्य स्टाफगण उपस्थित रहे !