कानपुर, जन सामना संवाददाता। विधायक के इशारे पर काम करता है थाना प्रभारी! यह बात खुद थाना प्रभारी ने बताई कि भाई अगर थानेदार रहना है तो भाई विधायक जी का कहना मानना पड़ेगा, मजबूरी है, सत्ता पक्ष के लोगों की बात तो माननी पड़ेगी।
जी हां, एक मामला किदवई नगर थाना क्षेत्र का है। जहां गौशाला चैराहे पर सन्तोष सिंह का पैतृक मकान है और उस मकान के एक कमरे में मंगल ने कब्जा कर रखा है और अपने को किरायेदार बताता है।
बिगत दिनों मंगल ने कमरा बन्दकर उसमें आग लगा दी थी, जबकि उस दौरान कमरे में रसोई गैस सिलेण्डर रखा था। इससे पड़ोसियों में दहशत फैल गई थी इसीलिए उन्होंने आग को बुझाने में मदद की थी, साथ ही आग लगाए जाने की सूचना पर किदवई नगर पुलिस ने स्वयं आग बुझवाई थी और सन्तोष सिंह के रिश्तेदार द्वारा दी गई तहरीर के मुताबिक पुलिस ने आग लगाने के आरोप में मंगल को जेल भी भेजा था। जब से आग लगाने का विवाद सामने आया तो पड़ोसियों ने भी मंगल को वहां से हटाने पर जोर दिया है, लेकिन अब स्थानीय पुलिस मंगल का पक्ष ले रही है, किसी पड़ोसी की बात भी सुनने को तैयार नहीं।
सन्तोष सिंह की बहिन ममता के मुताबिक, इसी मामले में मालिक सन्तोष सिंह पर दबाव बनाने के लिए गुरूवार को थाना प्रभारी ने मेरे बेटे दीपू को थाने बुलवाया और हवालात में बन्द कर दिया। ममता ने आरोप लगाया कि कोई लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ सिर्फ मेरे भाई के ऊपर दबाव बनाने के लिए मेरे बेटे दीपू को पुलिस ने थाने बुलाया और एक पक्षीय कार्यवाही करते हुए बन्द कर दिया है।
इस मामले में जब थाना प्रभारी शेष नारायण पाण्डेय से जानकारी की तो उन्होंने कहा कि मंगल का पक्ष स्वयं भाजपा के विधायक जी ले रहे हैं और मेरे ऊपर दबाव बनाये हुए हैं, इसी लिए मुझे दीपू को बन्द करना पड़ा है। मुझे अगर थानेदार रहना है तो विधायक जी की बात तो माननी ही पड़ेगी, वहीं जब लड़ाई झगडा करने के आरोप में दीपू हवालात में बन्द किया गया था, तब मंगल भी थाना परिसर में मौजूद रहा, यह एक तरफा कार्रवाई करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
अब सवाल यह उठता है कि थाना प्रभारी की बातों में कितनी सत्यता है कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा की छवि धूमिल करने का प्रयास किदवई नगर थाना प्रभारी द्वारा किया जा रहा है। वहीं अगर विधायक जी पक्षपात की बात कर रहे हैं तो भाजपा के प्रति जनता में गलत संदेश जाना स्वाभाविक है और पार्टी की छवि भी धूमिल होगी।