भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। दो दसकों के अन्तराल में सरकारों द्वारा यह पहल की जाती रही है कि देश को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकसित किया जा सके, विशेषरूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश की तरक्की ने भारत देश को विश्व के ऊर्जा नक्शे पर विशेष पहचान दिलाई है। पिछली सरकारों का भी प्रयास यही रहा है और वर्तमान सरकार के भी तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऐसे में हाल ही में भारत की ऊर्जा क्षमता में परमाणु ऊर्जा के रूप में 7 गीगा वाॅट ऊर्जा क्षमता को शामिल किए जाने का निर्णय, जोकि एक ही बार में भारत के घरेलू परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की दिशा में सबसे बड़ी मंजूरी, एक स्थायी रूप से कम कार्बन विकास रणनीति की दिशा में भारत सरकार की गंभीरता और प्रतिब(ता को दर्शाता है।
आंकड़ों की बात करें तो भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 6.7 गीगा वाॅट यानीकि 6780 मेगा वाॅट है और 700 मेगावाॅट प्रति रिएक्टर की क्षमता वाले 10 नए परमाणु रिएक्टरों को मंजूरी देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को व्यापक स्तर पर और मजबूत करेगा। वहीं देश में ही 6.7 गीगा वाॅट की अन्य परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इन योजनाओं का वर्ष 2021-22 तक परिचालन में आने की उम्मीद है। घरेलू कंपनियों को करीब 70,000 करोड़ रुपये के संभावित विनिर्माण का कार्य मिलने के साथ ही, इस परियोजना से भारतीय परमाणु उद्योग में बड़े बदलाव के लिए मदद मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही देश में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से 33 हजार से अधिक नौकरियां सृजित होने का अनुमान है। इसे विकास की राह में एक नया आयाम कहा जा सकता है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पिछली सरकार का काम भी कम नहीं आंका जा सकता है लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा किए जा रहे इस क्षेत्र के प्रयास देश को विश्वपटल पर एक अलग पहचान दिलाने में सार्थक कदम साबित होगा। इससे देश के परमाणु कार्यक्रम को मजबूती भी मिलेगी और रोजगार भी पैदा होंगे।