राजीव रंजन नाग,नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने रविवार को राज्य के लिए पार्टी की संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा देकर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है।केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि 26 अप्रैल को हिमाचल कांग्रेस के स्टीयरिंग कमिटी का प्रमुख बनाने के बावजूद आज तक उनकी भूमिका साफ नहीं की गई। उन्होंने लिखा कि बीते दिनों दिल्ली और शिमला में हिमाचल चुनाव को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठकों में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया।आनंद शर्मा के इस्तीफे के लिए पार्टी की अंदरूनी राजनीति और भितरघात को वजह बताया जा रहा है… आनंद शर्मा की शिकायत ये है कि वो स्टीयरिंग कमेटी के चीफ तो थे.,लेकिन परामर्श प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की जा रही थी। इसी वजह से उन्होंने उन्होंने संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। इस्तीफे वाली चिट्ठी सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दी। हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि वो पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे.।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में आंनंद शर्मा ने कहा वह अपने स्वाभिमान से समझोता नहीं कर सकते, लिहाजा वह पद से इस्तीफा दे दिया है। बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने “भारी मन” से इस्तीफा दे दिया और वह “आजीवन कांग्रेसी” बने रहेंगे।“मेरे खून में दौड़ने वाली कांग्रेस की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध। लगातार बहिष्कार और अपमान को देखते हुए, एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में- मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। शर्मा का इस्तीफा जी-23 समूह के एक अन्य नेता गुलाम नबीं आजादा के तुरंत बाद आया है। पार्टी में सामूहिक नेतृत्व के लिए दबाव डालने वाले वरिष्ठ पार्टी नेताओं का गुट के सक्रिय सदस्य गुलाम नबी आज़ाद ने कुछ दिनों पहले जम्मू और कश्मीर में कांग्रेस की अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता रहे शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों जी-23 गुट के प्रमुख नेता हैं, जो पार्टी नेतृत्व के निर्णयों के आलोचक रहे हैं।भूपिंदर सिंह हुड्डा और मनीष तिवारी सहित प्रमुख दिग्गजों का समूह, ब्लॉक से लेकर सीडब्ल्यूसी स्तर तक के वास्तविक चुनावों पर जोर देता रहा है। शर्म, जिन्हें हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में से एक माना जाता है, ने कांग्रेस अध्यक्ष को अपने पत्र में कहा है कि- उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है क्योंकि उन्हें पार्टी की किसी भी बैठक के लिए परामर्श या आमंत्रित नहीं किया गया है।
आनंद शर्मा ने रविवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में इसी तरह के कदम के कुछ दिनों बाद पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई की “संचालन समिति” के प्रमुख के रूप में इस्तीफा दे रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने ऐसे ही आरोप लगाते हुए जम्मू-कश्मीर कांह्रेस अभियान समिति से इस्तीफा दे दिया था।
सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में शर्मा ने कहा कि वह चुनाव से पहले पार्टी के फैसलों से वंचित महसूस करते हैं और उनका स्वाभिमान ” इसकी इजाजत नहीं देता। “यह दोहराते हुए कि मैं एक आजीवन कांग्रेसी हूं और अपने विश्वासों पर कायम हूं … एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में निरंतर बहिष्कार और अपमान को देखते हुए – मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।”
माना जाता है कि कांग्रेस को इस साल के अंत में होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने की उम्मीद है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने हिमाचल की राजनीतिक लड़ाई ने पहली बार तीन-तरफा मुकाबला में बदल दिया है।
आंनंद शर्मा ,जिन्होंने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और 1984 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया था। तब से राज्यसभा सदस्य बने रहे थे। इस साल राज्य सभा की उनकी सदस्यता खत्म हो जाने के बाद पार्टी ने फिर से उन्हें मनोनीत नहीं किया। ऐसा ही गुलाम नबीं आजाद के साथ भी हुआ है। कांग्रेस मुख्यालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार माना जा रहा है आने वाले समय में जी-23 से जुड़े अन्य नेता ऐसा कदम उठा सकते हैं।