राजीव रंजन नाग: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि फेक न्यूज को फॉरवर्ड करने से पहले उसके फैक्ट चेक करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि एक फेक न्यूज देश में बड़ा बवाल करा सकती है।
पीएम मोदी ने लोगों से अपील की है कि बगैर फैक्ट चेक किए किसी भी संदेश को फॉरवर्ड न करें। हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित राज्यों के गृह मंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के इस दौर में फेक न्यूज से लड़ने का मंत्र दिया। चिंतन शिविर के दूसरे दिन अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने फेक न्यूज पर चिंता जाहिर की और कहा कि कोई भी छोटी सी गलती या फेक न्यूज बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। लिहाजा कोई भी मैसेज फॉरवर्ड से पहले उसके फैक्ट चेक जरूर किए जाएं।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘सोशल मीडिया की शक्ति को हमें कम आंकने की जरूरत नहीं है। एक छोटी सी फेक न्यूज पूरे देश में बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। हमें मालूम है कि आरक्षण की एक अफवाह फैल गई, फेक न्यूज चला दिया, जिससे देश को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। इसलिए लोगों को हमें शिक्षित करते रहना पड़ेगा कि कोई भी चीज आती है तो उसको फॉरवर्ड करने से पहले 10 बार सोचें, कोई भी चीज आती है तो उसे मानने से पहले वेरीफाई करें।’ मोदी ने दिया कहा कि सारे प्लेटफॉर्म पर वेरीफाई करने की व्यवस्था होती है। आपको फैक्ट चेक करने के लिए कुछ सोशल मीडिया पर चक्कर लगाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज की फैक्ट चेक जरूरी है। इसमें टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका होती है। संदेशों को फॉरवर्ड करने से पहले उन्हें सत्यापित करने के लिए लोगों को तंत्र से अवगत कराया जाना चाहिए।फर्जी खबरों के प्रवाह का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि ऐसी खबरों की सच्चाई सामने लाया जाना आवश्यक है और इसमें प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरों को जांचने की प्रक्रिया या तंत्र के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है ताकि किसी और से साझा करने से पहले वह उसे जांच सकें। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के गृह मंत्रियों के लिए आयोजित दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रत्येक राज्य को एक-दूसरे से सीखना चाहिए, प्रेरणा लेनी चाहिए और आंतरिक सुरक्षा के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यों का एक साथ मिलकर काम करना संवैधानिक आदेश के साथ ही देश के प्रति जिम्मेदारी भी है। सभी एजेंसियों को कार्य क्षमता, बेहतर परिणाम और आम आदमी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति संविधान के अनुसार राज्य का विषय हैं, हालांकि वह देश की एकता एवं अखंडता से समान रूप से संबद्ध है। प्रधानमंत्री ने पुलिस के लिए ‘‘एक राष्ट्र, एक वर्दी’’ का विचार रखते हुए कहा कि इसे थोपना नहीं चाहिए बल्कि इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस के बारे में अच्छी धारणा बनाए रखना महत्वपूर्ण है।आजादी से पहले बनाए कानूनों की समीक्षा कर मौजूदा संदर्भ में उनमें संशोधन करने के लिए भी कहा। इस चिंतन शिविर का उद्देश्य ‘विजन 2047’ और ‘पंच प्रण’ पर अमल के लिए एक कार्य योजना बनाना है, जिसका एलान प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में किया था। शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।