फिरोजाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चंद्र नगर महानगर के तत्वावधान में संपूर्ण चंद्रनगर महानगर नगर में शिक्षण संस्थानों में जगह-जगह गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर गोष्ठियों का आयोजन किया गया।
वक्ताओं ने कहा गुरु गोविंद सिंह जी सच्चे देशभक्त थे और उन्होंने धर्म की खातिर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। वैसे तो गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु रहे हैं, लेकिन गोविंद सिंह ने भारतीय संस्कृति को बनाए रखने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया व समाज को एक संदेश दिया धर्म से बड़ा कोई भी कार्य नहीं है। वक्ताओं ने बताया किस प्रकार से उनके पुत्र जौरवर सिंह और फतेह सिंह को मात्र 6 और 9 वर्ष की अवस्था में जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया। दोनों पुत्रों ने भी धर्म की खातिर मुस्कुराते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी और सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह अर्थात गुरु गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर सिंह भी धर्म की खातिर चांदनी चौक पर अपना बलिदान किया। बताया जाता है कि मुगल बादशाह के वजीर ने उन्हें मारने के लिए दो पठानों को भेजा था, जिन्होनें गुरु गोविंद सिंह के सीने में भाला भौक दिया था। गुरूगोविंद सिंह ने घायल अवस्था में भी उन दोनों का काम तमाम कर दिया लेकिन इलाज के उपरांत कुछ समय बाद गुरुजी का देहांत हो गया। भारत के इतिहास में गुरु गोविंद सिंह का स्वर्णिम बलिदान सभी युवा व धर्म के लिए एक प्रेरणादाई है।